दिल क्या करे, यह सवाल अनंत काल से चला आ रहा है। साधु संतों को अलग कर दें तो दुनिया का हर इंसान इसी सवाल में उलझा हुआ है क्योंकि यह ऐसा मामला है, जिसपर उसका अपना कोई अख्तियार नहीं होता है।
अब इसी वजह से दुनिया के हर इलाके में कोई न कोई बवाल होता ही रहता है। चाहे वह रूस वनाम यूक्रेन का युद्ध हो अथवा इजरायल वनाम हमास का युद्ध हो, दिल क्या चाहता है, यह बात उनकी समझ में नहीं आती। वे तो सिर्फ दिमाग से मिलने वाले आदेश का पालन करते हैं।
खैर अब आस पास के हालत का जायजा ले लें। चीन से लगा कि रिश्ता सुधर रहा है तो लद्दाख के इलाकों पर शी जिनपिंग की सरकार ने नये सिरे से दावा ठोंक दिया। बात यही पर नहीं थमी और आगे बढ़कर चीन ने ब्रह्मपुत्र पर एक और बांध बनाने का एलान कर दिया, जिसे लोग पानी बम बता रहे हैं।
पानी रोक दिया तो पूर्वोत्तर के इलाके में पानी की कमी हो गयी और डैम से अचानक पानी छोड़ दिया तो बाढ़ के हालात बन जाएंगे। अब चीन के दिल में क्या चल रहा है यह तो भारत 1962 से पहले भी नहीं समझ पाया था। खैर वहां से आगे निकले तो किसानों और केंद्र सरकार के दिलों में क्या चल रहा है, यह बात अभी सुप्रीम कोर्ट तक की समझ में नहीं आ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट बार बार यह कह रही है कि अनशनकारी किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ही हालत पर तरस खाओ पर पंजाब सरकार कह रही है कि केंद्र किसानों से बात करें और केंद्र सरकार चुपके से दोबारा तीनों कृषि कानूनों को लागू करने की तैयारियों में जुटी है। भाजपा की नाक में दम करने वाले अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार के पत्र का हवाला देते हुए यह मामला उजागर कर दिया है।
वैसे संसद का सत्र बंद होने के इतने दिनों बाद भी दो मामलों का सीसीटीवी फुटेज नहीं आया है। पहला तो अभिषेक मनु सिंघवी की सीट के पास पचास हजार रुपये पाये जाने का है और दूसरा मामला संसद के मकर द्वार के बाहर धक्कामुक्की का है। दूसरा कोई इलाका होता तो चंद मिनट में सारी सच्चाई सामने आ जाती।
जेल में बंद आप नेता सत्येंद्र जैन क्या खा रहे हैं, इसका फुटेज तो बाहर आ गया फिर संसद के अपने सीसीटीवी फुटेज के बाहर आने में परेशानी क्या है। इसी वजह से लगता है कि दिल क्या करे जब किसी को किसी से प्यार हो जाए।
इसी बात पर एक पुरानी फिल्म का गीत याद आने लगा है। साल 1975 में बनी थी यह फिल्म जूली। इस टाईटल सॉंग को लिखा था आनंद बक्षी ने और संगीत में ढाला था राजेश रोशन ने इसे किशोर कुमार ने अपना स्वर दिया था। गीत के बोल कुछ इस तरह हैं।
दिल क्या करे जब किसी से किसी को प्यार हो जाए
जाने कहाँ कब किसी को किसी से प्यार हो जाए
ऊँची-ऊँची दीवारों सी इस दुनिया की रस्में
न कुछ तेरे बस में जुली, न कुछ मेरे बस में
जैसे पर्वत पे घटा झुकती है
जैसे सागर से लहर उठती है
ऐसे किसी चेहरे पे निगाह रुकती है
ऐसे किसी चेहरे पे निगाह रुकती है
हो, रोक नहीं सकती नज़रों को, दुनिया भर की रस्में
न कुछ तेरे बस में जुली, न कुछ मेरे बस में
दिल क्या करे …
आ मैं तेरी याद में सब को भुला दूँ
दुनिया को तेरी तस्वीर बना दूँ
मेरा बस चले तो दिल चीर के दिखा दूँ
हो, दौड़ रहा है साथ लहू के प्यार तेरे नस-नस में
न कुछ तेरे बस में जुली, न कुछ मेरे बस में
दिल क्या करे …
इस किस्म की राजनीतिक चर्चाओं से अलग अब वन्य जीवन की चर्चा कर लें। लगता है कि अब झारखंड के जंगलों के प्रति बाघों का प्रेम बढ़ता जा रहा है। कुछ अरसा पहले हजारीबाग में बाघ नजर आया था। उसके बाद से मामला सीन से गायब हो गया।
इस घटना को हम भूल ही रहे थे तो चाकुलिया के जंगल में उड़ीसा की एक बाघिन आ धमकी। इस बाघिन ने भी वन विभाग के लोगों को काफी परेशान किया। खैर जो भी हो पर सात दिनों तक तीन राज्यों के वन विभाग के अफसरों को परेशान करने के बाद इस बाघिन यानी जीनत को पकड़ लिया गया।
अब जीनत सिमलीपाल के जंगल में आराम फरमा रही है। लोग चैन की सांस लेते तब तक जमशेदपुर के करीब चांडिल के जंगल में एक और बाघ के आने की खबर से दिलों को धड़का दिया है। अब इस प्रजाति के जीवों यानी बाघ और बाघिनों के दिल में क्या चल रहा है, यह कौन बता सकता है। उनकी अपनी मर्जी है तो वे कहीं भा आ जा सकते हैं।