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नदी जोड़ो योजना पर पुनर्विचार की जरूरत: संधवां

प्राकृतिक प्रणालियों में हस्तक्षेप को बेहतर ढंग से समझा जाए

  • कृषि और मौसम पर असर को समझे केंद्र

  • मॉनसून पैटर्न बाधित होने से परेशानी होगी

  • केन बेतवा लिंक परियोजना पर टिप्पणी की

राष्ट्रीय खबर

चंडीगढ़ः पंजाब विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित नदी जोड़ो योजना की व्यापक समीक्षा और गहन जांच की जरूरत है। उन्होंने इस पहल को प्राकृतिक प्रणालियों में अभूतपूर्व हस्तक्षेप बताया। उन्होंने आगाह किया कि ऐसी परियोजनायें कृषि उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं और मानसून के पैटर्न को बाधित कर सकती हैं।

यहां जारी एक आधिकारिक बयान में कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में मध्य प्रदेश में केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना का उद्घाटन किया। हालांकि केंद्र सरकार ने जल संसाधनों को सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पुनर्वितरित करने का उद्देश्य बताया है, लेकिन अध्यक्ष ने कहा कि वैज्ञानिक शोध से संकेत मिलता है कि ऐसे हस्तक्षेप प्राकृतिक जल विज्ञान प्रणालियों को महत्वपूर्ण रूप से बदल सकते हैं।

अध्यक्ष ने चिंता व्यक्त की कि बड़े पैमाने पर जल विज्ञान संबंधी संशोधन स्थापित मानसून पैटर्न को बाधित कर सकते हैं, जिससे कृषि स्थिरता को खतरा हो सकता है और देश भर में कई क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं। उन्होंने जल संरक्षण और पुनर्चक्रण पहलों को प्राथमिकता देने की वकालत की और उन्नत जल उपचार और शुद्धिकरण कार्यक्रमों को लागू करने की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर दिया।

उल्लेखनीय है कि केन-बेतवा लिंक परियोजना राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के तहत 30 नियोजित पहलों में से पहली परियोजना है, जिसे जल संसाधन विकास और नदी संपर्क के लिये केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय द्वारा संचालित किया गया है। इस परियोजना का उद्देश्य मध्य प्रदेश की केन नदी से उत्तर प्रदेश की बेतवा नदी तक अधिशेष जल पहुंचाना है, जिसका उद्देश्य सूखा-संवेदनशील बुंदेलखंड क्षेत्र में सिंचाई क्षमताओं को बढ़ाना है।

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