पहले से चली आ रही चर्चा अब सच साबित हो गयी
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आलोक राज को बीच में हटाने की चर्चा थी
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साइबर अपराध के मामले में बेहतर काम किए
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नये डीजीपी और कुंदन कृष्ण की जोड़ी पर नजर
दीपक नौरंगी
भागलपुरः विनय कुमार बिहार पुलिस के नए मुखिया बनाए गए हैं। शुक्रवार को आईपीएस विनय कुमार को डीजीपी बनाने का नोटिफिकेशन जारी हुआ और शनिवार को उन्होंने पदभार ग्रहण कर लिया। 1991 बैच के आईपीएस विनय कुमार के डीजीपी बनाकर एक सकारात्मक मैसेज सरकार ने दिया है।
सख्त और कड़क आईपीएस की छवि वाले विनय कुमार को सर्वोच्च पद देने का सीधा मतलब है की बिहार पुलिस की कार्यशैली में बदलाव देखा जाएगा। विनय कुमार ने भागलपुर में ट्रेनिंग ली उसके बाद तत्कालीन झारखंड और बिहार के कई जिलों में एसपी रहे और भागलपुर में आईजी भी रहे।
लंबे समय तक सीआईडी में एडीजी के पद पर वे पदस्थापित रहे और उनके कार्य की काफी सराहना की गई। बिहार पुलिस भवन निर्माण निगम के सीएमडी रहते हुए भी उन्होंने काफी बेहतर कार्य किया और उनके कार्यकाल में कई जिलों में न सिर्फ पुलिसलाइन भवन का निर्माण हुआ बल्कि काफी संख्या में थानों के नए भवन भी बनकर तैयार हुए।
ईमानदार छवि वाले विनय कुमार को डीजीपी का पद मिलने के बाद सबसे खास बात यह होगी कि भ्रष्टाचार में डूबे पुलिस पदाधिकारी अब गलत कार्य करने से डरेंगे। वह किस सोच और कार्यशैली वाले पदाधिकारी हैं यह एसपी, डीआईजी, आईजी, एडीजी और डीजी रैंक में रहते हुए उन्होंने दिखा दिया है।
डीजीपी पद का कार्यभार संभालने के बाद विनय कुमार ने अपराध नियंत्रण, कुख्यात अपराधियों की जल्दी गिरफ्तारी, कांडों का सही समय पर निष्पादन, आपराधिक घटनाओं में शामिल अपराधियों की जल्दी गिरफ्तारी एवं पुलिस और पब्लिक के बीच बेहतर संबंध बनाने आदि को अपनी प्राथमिकता बताई।
उनका साफ कहना है कि बेहतर कार्य करने वाले पुलिस पदाधिकारी और पुलिसकर्मी पुरस्कृत होंगे जबकि शराब, भूमि और बालू माफियाओं से संबंध रखने और अन्य अवैध कारोबार में संलिप्त पुलिस पदाधिकारी और पुलिसकर्मियों के विरुद्ध त्वरित और कठोर कार्रवाई भी होगी। नए डीजेपी ने बिहार पुलिस की बेहतरी के लिए कई कार्य को अपनी प्राथमिकता बताई है।
पुलिस जांच और अनुसंधान में तकनीक के इस्तेमाल को और मजबूत बनाने की बात उन्होंने कही। एफएसएल को और सुदृढ़ करने के बारे में उन्होंने बताया।
प्रेस वार्ता में आलोक राज ने कहा कि मेरे कार्यकाल की अवधि मात्र एक महीने पांच दिन रही। तीन महीने तेरह दिन के कार्यकाल से मैं पूरी तरह से संतुष्ट हूं। 1990 बैच के आईपीएस राजविंदर सिंह भट्टी के सीआईएसफ में डीजी बनने के बाद 30 अगस्त को प्रभारी डीजीपी के तौर पर आलोक राज ने पदभार ग्रहण किया था
सरकार का प्रभारी डीजीपी के तौर पर मुझे काम करने का मौका दिया। मुझे खुशी है कि इस अवधि में मैं आम जनता का डीजीपी बना रहा। प्रेस वार्ता के दौरान प्रभारी डीजीपी आलोक राज ने कहा इस अवधि में तीन कुख्यात अपराधी पुलिस मुठभेड़ में मारे गए चार अपराध कर्मी घायल हुए भारी संख्या में हथियार और कारतूस बरामद हुए।
इसके लिए एसटीएफ के एडीजी अमित राज को मैं बधाई देता हूं 13 हत्याकांड में 50 में दिन ही अभियुक्तों को माननीय न्यायालय द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। बिहार पुलिस मुख्यालय में दो सीनियर आईपीएस एक तरफ विनय कुमार दूसरी तरफ कुंदन कृष्णन साहब की जोड़ी क्या रंग लाती है यह तो आने वाला समय बताएगा।