बिहार में फिर पांच आईपीएस पदाधिकारी का एनओसी हुआ मंजूर
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केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की परंपरा है
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मुख्यमंत्री को इस पर ध्यान देना होगा
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पहले से कई अफसर डेपुटेशन पर हैं
दीपक नौरंगी
पटनाः बिहार हमेशा आईएएस और आईपीएस पदाधिकारी की कार्यशैली को लेकर सुर्खियों में बने रहते हैं। एक आईपीएस के बारे में तो चारों तरफ महकमें चर्चा हो रही है कि एक आईपीएस के लिए नौ लाख घड़ी बनी मुसीबत की घड़ी बन सकती है। क्योंकि घड़ी का बिल किसी और के पास में है।
चर्चा है कि कोई एयरपोर्ट वाला व्यक्ति है उसी के हाथ से यह घड़ी ले गई है, बिल भी उसी के पास है। बिहार सरकार के मुख्यमंत्री जी इस चर्चा पर क्या जांच करवाते हैं यह तो आने वाला समय बताएगा फिलहाल एक ही चर्चा है कि कितने आईपीएस फिर केंद्र जा रहे हैं
लेकिन फिलहाल यदि एक वर्ष का पूरा आकलन करें तो बिहार के कई नाम चिन्ह और चर्चित और कार्य करने वाले आईपीएस पदाधिकारी केंद्र प्रतिनियुक्ति पर चले गए। एक साथ इतने आईपीएस पदाधिकारी बार-बार क्यों केंद्र जा रहे हैं इसको लेकर कई तरह की चर्चा पुलिस महकमें में होने लगी है।
इससे पहले बिहार के डीजीपी राजविंदर सिंह भट्टी, डीजी भृगु श्रीनिवासन, विकास बर्मन डीआईजी, डीआईजी श्री किम मैडम,आईजी गणेश कुमार, एडीजी नैयर हसनैन खान, एसपी कांतश मिश्रा,केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए। अब फिर हाल फिलहाल फिर पांच आईपीएस केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जा रहे हैं।
एक साथ इतने आईपीएस पदाधिकारी क्यों बार-बार केंद्र जा रहे हैं, कहीं ना कहीं यह चिंतन करने की सरकार को आवश्यकता है। कहीं ना कहीं सरकार की कार्यशैली से क्या आईपीएस पदाधिकारी नाराज चल रहे हैं। 1993 बैच के आईपीएस एडीजी सुनील कुमार झा, 1994 बैच के आईपीएस एडीजी निर्मल कुमार आजाद,1996 बैच के आईपीएस सुधांशु कुमार, 1995 बैच के आईपीएस सुशील खोपड़े और 2003 बैच के आईपीएस राकेश राठी साहब सहित इन सभी आईपीएस पदाधिकारी को सूचना है कि सरकार ने नौ ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट दे दिया है।
सभी आईएएस पदाधिकारी और आईपीएस पदाधिकारी में यह खूब चर्चा हो रही है की महत्वपूर्ण पदों पर तैनात आईपीएस पदाधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर क्यों जा रहे हैं। आईपीएस महकमें यह चर्चा खूब हो रही है कि पहले बिहार के डीजीपी भट्टी साहब को बनाया गया। उनके कार्य करने के तरीके से पुलिस मुख्यालय के वरीय पदाधिकारी पूरी तरह से असंतुष्ट चल रहे थे।
जिसकी वजह से कई आईपीएस केंद्र चले गए और अब दूसरी चर्चा यह है कि सरकारी जाति के आईपीएस पदाधिकारी को सरकार ने पुलिस मुख्यालय में महत्वपूर्ण पद दे दिया है। ऐसे में कई ईमानदार आईपीएस पदाधिकारी जो कभी विवादों में नहीं रहे हैं वह किसी प्रकार के विवाद में दूर रहना चाहते हैं।
कई तरह की चर्चाओं के बीच आईपीएस पदाधिकारी केंद्र जाने की होड़ में लगे हुए हैं और चर्चा है कि 1996 बैच के आईपीएस सुनील कुमार जो सरकार के महत्वपूर्ण पद पर स्पेशल ब्रांच में तैनात है, उनकी भी चर्चा केंद्र जाने की है। दूसरी तरफ विधि व्यवस्था के पद पर तैनात रहे 1997 बैच के आईपीएस संजय कुमार सिंह जो फिलहाल ट्रेनिंग एडीजी के पद पर तैनात है वह भी केंद्र जाने की लिए इच्छुक हैं।