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देश में एक लाख नये करोड़पति बने

पिछले दस साल में इस श्रेणी में पांच गुणा वृद्धि

  • मूल कारण शेयर बाजार को बताया

  • कोविड महामारी में भी यह चालू रहा

  • आयकर रिटर्न से पता चला है इसका

राष्ट्रीय खबर

मुंबईः भारत में तीन वर्षों में 100,000 से अधिक नए करोड़पति करदाता सामने आए हैं। उच्च आय वालों की इस वृद्धि पर सभी का ध्यान गया है। आंकड़े बताते हैं कि भारत में अब 220,000 से अधिक लोग हैं, जिनकी कर योग्य आय 1 करोड़ रुपये से अधिक है। यह पिछले एक दशक में पांच गुना वृद्धि है। इससे भी अधिक नाटकीय रूप से, उनमें से एक लाख कोविड महामारी की शुरुआत के बाद से केवल तीन वर्षों में उच्च आय वाले लोगों के समूह में शामिल हो गए।

करोड़पति बने भारतीयों की इस श्रेणी में नए लोग कौन हैं, और महामारी ने किस हद तक इस प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया है? अमीरों की इस वृद्धि के पीछे के कारणों को जानने के लिए,  एक सर्वेक्षण किया गया था। इस दायरे में अर्थशास्त्रीस कर विशेषज्ञ और चार्टर्ड एकाउंटेंट शामिल थे। वे करोड़पति करदाताओं में इस वृद्धि का श्रेय कई कारकों को देते हैं, जिनमें तेजी से बढ़ता शेयर बाजार, चुनिंदा कंपनियों में जोरदार मुनाफा, वेतन में भारी बढ़ोतरी के साथ आक्रामक प्रतिभाओं की भर्ती, सख्त कर प्रवर्तन और कर नियमों में बदलाव शामिल हैं।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के पूर्व अध्यक्ष आर प्रसाद कहते हैं, हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जब कोविड ने हम पर हमला किया और भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट आई, तब भी कई बड़ी कंपनियां फल-फूल रही थीं और शेयर बाजार में उछाल जारी था। सीबीडीटी के एक अन्य पूर्व प्रमुख सुधीर चंद्रा कहते हैं कि आयकर विभाग द्वारा करदाताओं द्वारा अपने निवेश रिटर्न में किए गए खुलासे के सावधानीपूर्वक डेटा मिलान ने करोड़पति-करदाता वर्ग में आने वाले व्यक्तियों की बढ़ती संख्या में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे कहते हैं, जब भी रिपोर्ट की गई आय और चुकाए गए करों के बीच कोई विसंगति पाई जाती है, तो विभाग तुरंत नोटिस जारी करता है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अग्रिम कर भुगतान और चालू वर्ष के लेन-देन के बीच विसंगति होने पर करदाताओं को नियमित रूप से टोका जाता है।

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