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डॉ बीपी कश्यप ने चुनाव से हटने का फैसला किया

केंद्रीय मंत्री संजय सेठ की पहल से भाजपा की परेशानी दूर

  • महेश पोद्दार के साथ आये थे रांची सांसद

  • सार्वजनिक तौर पर इसका एलान किया

  • गैर पारंपरिक तरीके से हुआ था प्रचार

राष्ट्रीय खबर

रांचीः भारत के प्रमुख नेत्र चिकित्सक डॉ वीरेंद्र प्रसाद कश्यप ने अंततः रांची विधानसभा सीट के लिए अपना नामांकन वापस ले लिया। इस बारे में भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री संजय सेठ ने एक वीडियो जारी कर जानकारी सार्वजनिक की। इसमें बताया गया है कि वह डॉ कश्यप के पारिवारिक मित्र हैं तथा बचपन से साथ रहे हैं। उन्होंने पूर्व राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार के साथ आकर डॉ कश्यप से भेंट की थी और नाम वापस लेने के लिए मनाया। अपने मित्र के आग्रह पर डॉ कश्यप ने सहमति जतायी और आज विधिवत अपना नाम वापस ले लिया।

इस नाम वापसी के बाद एक लोकप्रिय चिकित्सक की अपनी चुनावी रणनीति से सभी बड़े राजनीतिक दल परेशान हो सकते थे। उन्होंने रांची के करीब एक लाख 78 हजार मरीजों से सीधा संपर्क किया था। उनके अस्थायी कार्यालय से ऐसे करीब बीस हजार लोगों को फोन कर वोट देने का आग्रह किया गया था।

पिछले तीन दिनों से जारी यह गैर पारंपरिक प्रचार अभियान के तहत यह निष्कर्ष भी सामने आया था इच्छुक मरीजों ने डॉक्टर कश्यप के चुनाव चिह्न के बारे में जानकारी मांगी थी। इससे साफ हो गया कि फोन पर संपर्क में आने वाले करीब पंद्रह हजार लोग उनके नाम पर गंभीर रुप से विचार करने की मानसिक तैयारी में थे।

इससे भाजपा के अलावा झामुमो को भी अपना वोट बंटने के खतरे से मुक्ति मिल गयी है। ऐसा इसलिए हुआ है कि मरीजों की सूची में वैसे काफी मतदाता और उनके परिवार के सदस्य थे जो आम तौर पर झामुमो के थोक वोट बैंक का हिस्सा मानते जाते हैं। राजनीति के अनुभव यह भी बताते हैं कि इसी क्रम में जातिगत समीकरणों को दरकिनार भी नहीं किया जा सकता था। रांची सीट पर करीब 72 हजार वैश्य मतदाता भी हैं। इनमें से अधिकांश सक्रिय राजनीति में भाग नहीं लेने के बाद भी निजी तौर पर डॉक्टर कश्यप को जानते हैं।

एक अनौपचारिक भेंट में खुद डॉ कश्यप ने कहा था कि राजनीतिक चुनाव प्रचार में प्रत्याशी और मतदाताओं के बीच सीधा संबंध नहीं होता है। दूसरी तरफ एक डॉक्टर होने के नाते मेरा मरीजों के साथ सीधा संवाद होता है और कई अवसरों पर यह व्यक्तिगत पहचान में बदल जाती है। इस वजह से नामांकन का फैसला सार्वजनिक करते ही हजारों की संख्या में ऐसे लोगों ने फोन कर अथवा व्यक्तिगत तौर पर भेंट कर अपने समर्थन का एलान कर दिया था।

उन्होंने कहा कि आम मतदाताओं के समर्थन की दूसरी वजह पिछले चालीस सालों से अंधापन नियंत्रण और नेत्र प्रत्यारोपण की दिशा में किया गया काम है। पूरे राज्य में इसका फायदा लाखों लोगों को मिला है और अच्छी बात यह है कि यह सारा काम मरीजों  को बिना किसी पैसे के मिला है। इस लिहाज से आम मतदाताओं के बीच उनकी छवि बेहतर थी और चुनाव लड़ने की स्थिति में वह भाजपा प्रत्याशी सीपी सिंह और झामुमो प्रत्याशी महुआ मांझी के लिए परेशानी का सबब बन सकते थे क्योंकि सभी वर्गों में उनकी पहचान और लोकप्रियता एक जैसी थी।

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