Breaking News in Hindi

सेबी प्रमुख के खिलाफ लोग पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

जेपीसी से जांच कराने के इंकार के बाद अब अदालती पेंच फंसा

  • जांचकर्ता ही आरोपों के घेरे मे है

  • ऑफशोर निवेश के सबूत दिये गये

  • जनता के संदेह को दूर करना जरूरी

राष्ट्रीय खबर

 

नयी दिल्लीः हिंडनबर्ग की ताजा रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों को लेकर उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है। याचिका में शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री द्वारा उस आवेदन को सूचीबद्ध करने से इंकार करने को चुनौती दी गई है, जिसमें अडाणी समूह की कंपनियों के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए कथित धोखाधड़ी के आरोपों के समाधान के लिए की गई कार्रवाई पर सेबी से स्थिति रिपोर्ट मांगी गई थी। इससे पहले कांग्रेस द्वारा मामले की जेपीसी से जांच कराने की मांग का भाजपा ने विरोध कर दिया है तथा कांग्रेस को टूलकिट गैंग करार दिया है।

याचिका में हिंडनबर्ग की ताजा रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों को रिकॉर्ड में लाया गया है कि सेबी की चेयरपर्सन और उनके पति ने बरमूडा और मॉरीशस के ऑफशोर फंड में कथित तौर पर निवेश किया था, जिसका नियंत्रण अडाणी ग्रुप के अध्यक्ष गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी के पास है। याचिका में कहा, हालांकि सेबी प्रमुख माधबी बुच ने इन आरोपों को निराधार बताया और इस अदालत ने यह भी माना है कि तीसरे पक्ष की रिपोर्ट पर विचार नहीं किया जा सकता है, लेकिन इन सबने जनता और निवेशकों के मन में संदेह का माहौल पैदा कर दिया। ऐसी परिस्थितियों में सेबी के लिए लंबित जांच को समाप्त करना और जांच के निष्कर्ष की घोषणा करना अनिवार्य हो जाता है।

याचिका में कहा गया है कि इस मामले में जांच के लिए शीर्ष अदालत के आदेश के लिए पहले जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता विशाल तिवारी ने रजिस्ट्रार के 05 अगस्त के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें मामले में उनके पिछले आवेदन को पंजीकृत करने से इनकार कर दिया गया था।

 

याचिका में कहा गया है कि अदालत ने इस वर्ष 03 जनवरी के अपने आदेश में सेबी द्वारा जांच पूरी करने के लिए तीन महीने की समयसीमा दी गयी है। याचिकाकर्ता ने कहा कि रजिस्ट्रार द्वारा 03 जनवरी के आदेश की व्याख्या को स्वीकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि शीर्ष अदालत का पिछला आदेश खुद ही एक विशेष समय अवधि में एक कार्य करने की बात करता है।

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि मामले में समीक्षा याचिका को खारिज करने का कोई असर नहीं होगा, क्योंकि समीक्षा याचिका की प्रकृति और आधार आदेश के अनुपालन के लिए उनके द्वारा दायर वर्तमान विविध आवेदन से बिल्कुल अलग हैं।

याचिका में कहा गया है कि जनहित में और उन निवेशकों के हित में जिन्होंने 2023 में अडाणी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद अपना पैसा खो दिया है…सेबी द्वारा की गई जांच और उसके निष्कर्षों के बारे में जानना महत्वपूर्ण है।

याचिका में दलील दी गई है कि हिंडनबर्ग द्वारा एक नई रिपोर्ट प्रकाशित की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि सेबी की वर्तमान अध्यक्ष और उनके पति धवल बुच के पास अडाणी समूह के कथित धन गबन घोटाले से जुड़े ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी। उल्लेखनीय है कि शीर्ष अदालत ने अपने गत 03 जनवरी के फैसले में तब सीबीआई या एसआईटी जांच का आदेश देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि बाजार नियामक सेबी आरोपों की व्यापक जांच कर रहा और उसका आचरण विश्वास जगाता है। इसके बाद शीर्ष अदालत ने सेबी को अडाणी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच तीन महीने के भीतर पूरी करने का निर्देश दिया था।

 

Leave A Reply

Your email address will not be published.