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बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी पार्टी पर प्रतिबंध

राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल होकर हिंसा भड़काने का आरोप

राष्ट्रीय खबर

ढाकाः बांग्लादेश ने गुरुवार को जमात-ए-इस्लामी पार्टी, इसकी छात्र शाखा और अन्य सहयोगी निकायों को उग्रवादी और आतंकवादी संगठन के रूप में प्रतिबंधित कर दिया।

यह हिंसक प्रदर्शनों के बाद राष्ट्रव्यापी कार्रवाई का हिस्सा है, जिसमें 200 से ज़्यादा लोग मारे गए और हज़ारों लोग घायल हो गए।

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके राजनीतिक
सहयोगियों ने सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली को लेकर हाल ही में हुए छात्र विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़काने के लिए जमात-ए-इस्लामी, इसकी इस्लामी छात्र शिविर छात्र शाखा और अन्य सहयोगी निकायों को दोषी ठहराया।

पहले से ही इस बात के साफ संकेत मिलने लगे थे कि दरअसल छात्रों के आंदोलन को हिंसक बनाने के पीछे कई समूहों का हाथ है। जिनकी पहचान की जा रही थी।

एक आधिकारिक परिपत्र में, बांग्लादेश के गृह मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि प्रतिबंध आतंकवाद विरोधी कानून के तहत लगाया गया है।

15 जुलाई से अब तक, देश भर में कम से कम 211 लोग मारे गए हैं और 10,000 से ज़्यादा लोगों को गिरफ़्तार किया गया है।

जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख ने गुरुवार को एक बयान में इस फैसले को खारिज करते हुए इसे संविधान विरोधी बताया और हाल ही में हुई हिंसा के पीछे इसके हाथ होने से इनकार किया।

पार्टी प्रमुख शफीकुर रहमान ने कहा, सरकार ने छात्रों के गैर-राजनीतिक आंदोलन को दबाने के लिए देश में पार्टी कार्यकर्ताओं और राज्य कानून व्यवस्था बलों द्वारा नरसंहार किया।
देश के शिक्षक, सांस्कृतिक हस्तियां, पत्रकार और विभिन्न व्यवसायों के लोग सरकार के इस नरसंहार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
दूसरी तरफ प्रधानमंत्री के समर्थक यह दावा कर रहे हैं कि दरअसल इसके पीछे वे लोग ही हैं, जिनके पूर्वज 1971 के मुक्तियुद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना का समर्थन कर रहे थे।
स्थानीय तौर पर इन्हें रजाकार कहा गया था, जो पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर बांग्लादेश के मुक्तियुद्ध के खिलाफ लड़ रहे थे।

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