मुख्यमंत्री की पत्नी ने खुलकर साजिशों का विरोध किया
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सिर्फ जेल में रखने की साजिश है
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पूरी व्यवस्था साजिश में भागीदार
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जेल में मिलने की मिली है अनुमति
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता ने गुरुवार को एक बार फिर अपने पति की आबकारी नीति मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा गिरफ्तारी की निंदा की। सुनीता केजरीवाल ने एक्स पर पोस्ट किया, अब तक हमेशा यही प्रार्थना की गई है कि भगवान सबको सद्बुद्धि दे।
लेकिन अब यही प्रार्थना होगी कि तानाशाह का नाश हो। बुधवार को उन्होंने आरोप लगाया था कि आम आदमी पार्टी के संयोजक को जेल से बाहर न आने देने के लिए एक व्यवस्था बनाई गई है। अरविंद केजरीवाल को 20 जून को जमानत मिल गई थी। इसके तुरंत बाद ईडी ने स्टे ले लिया। अगले ही दिन सीबीआई ने उन्हें आरोपी बना दिया।
और आज उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। पूरी व्यवस्था यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि वह जेल से बाहर न आ पाए। यह कानून नहीं है। यह तानाशाही है, यह आपातकाल है। बुधवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने केजरीवाल को तीन दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया।
रिमांड अवधि के दौरान कोर्ट ने मुख्यमंत्री की पत्नी सुनीता केजरीवाल को उनसे 30 मिनट और उनके वकील को उनसे हर दिन 30 मिनट मिलने की अनुमति दी। अदालत ने उन्हें रिमांड अवधि के दौरान अपनी निर्धारित दवाइयां साथ ले जाने की भी अनुमति दी है। सीबीआई ने अपनी रिमांड अर्जी में कहा था कि वह आबकारी नीति मामले में ‘बड़ी साजिश’ का पता लगाने के लिए केजरीवाल की हिरासत चाहती है।
सीबीआई के अनुसार, केजरीवाल ने कहा था कि विजय नायर सौरभ भारद्वाज और आतिशी के साथ काम कर रहा था। सीबीआई ने दावा किया कि केजरीवाल पूरा दोष मनीष सिसोदिया पर डाल रहे हैं और कह रहे हैं कि उन्हें आबकारी नीति के बारे में कोई जानकारी नहीं है । अदालत में बोलते हुए, केजरीवाल ने सीबीआई के इस दावे को नकार दिया कि उन्होंने सिसोदिया पर दोष मढ़ा है।
उन्होंने कहा, सीबीआई दावा कर रही है कि मैंने मनीष सिसोदिया के खिलाफ बयान दिया है, जो पूरी तरह से झूठ है। मनीष सिसोदिया निर्दोष हैं, आम आदमी पार्टी निर्दोष है। मैं भी निर्दोष हूं। हमें बदनाम करने के लिए मीडिया में बयान दिए जा रहे हैं।
वैसे जेल में बंद अरविंद केजरीवाल के साथ साथ आम आदमी पार्टी के दो अन्य मंत्रियों के मामलों में भी धीरे धीरे स्पष्ट होता जा रहा है कि जांच एजेंसियों सिर्फ सबूतों के नाम पर दस्तावेजों की जलेबी बना रही है और जब कभी मामला पकड़ से बाहर चला जाता है तो एक और आरोप पत्र दायर कर अभियुक्तों को जेल में रखने का काम कर रही हैं। अब तक दिल्ली के कथित शराब घोटाला में आम जनता की समझ में आने वाला कोई भी साक्ष्य सामने नहीं आया है। सिर्फ अदालती बहस और पीएमएलए कानून को हथियार बनाकर यह खेल चल रहा है।