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राहुल और घोर विरोधियों से होगा सामना

पूर्ण बहुमत नहीं मिलने के अलावा भी मोदी की दूसरी परेशानी


  • विरोधी दल नेता का पद महत्वपूर्ण है

  • कई पदों पर बहाली के लिए राय जरूरी

  • महुआ मोइत्रा से बचाने बिड़ला नहीं होंगे


राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद भी नरेंद्र मोदी के लिए संसद में कई परेशानियां मौजूद रहेंगी। वह इन चुनौतियों का सामना कैसे करेंगे, इस सवाल पर विरोधियों के साथ साथ भाजपा के लोगों की भी नजर है। श्री मोदी ने राहुल गांधी को अपने सामने से दूर रखने का भरसक प्रयास किया था। इसी वजह से मानहानि मामले में उन्हें सजा होते ही उनकी सदस्यता आनन फानन में खारिज कर उनसे घर भी छीन लिया गया था।

बदली हुई परिस्थितियों में राहुल गांधी अगर चाहें तो वह लोकसभा में विरोधी दल के नेता का पद हासिल करेंगे। यह पद केंद्र के किसी मंत्री के बराबर का पद होता है। मंत्री के बराबर का पद होने के अलावा अब मोदी को हर स्वायत्त एजेंसियों के प्रमुखों के चयन में भी राहुल गांधी से राय लेना पड़ेगा। भले ही संशोधन की वजह से कई मामलों में अब मोदी कैबिनेट का कोई मंत्री सुप्रीम कोर्ट  के मुख्य न्यायाधीश के बदले सदस्य होगा लेकिन राहुल की मौजूदगी से अब इन एजेंसियों के प्रमुख लोग भी सहमे हुए हैं।

भाजपा के सूत्रों की मानें तो इस बार की बदली हुई परिस्थितियों में ओम बिड़ला का फिर से लोकसभा अध्यक्ष बनना लगभग नामुमकिन है। एनडीए के सहयोगी दलों की मांग में यह पद भी शामिल है। इसलिए लोकसभा के अंदर ओम बिड़ला के कार्यकाल जैसी सुविधा भी नरेंद्र मोदी को नहीं मिलेगी। उनके कार्यकाल में विरोधी नेताओं को टीवी प्रसारण में नहीं दिखाने का आरोप एक नहीं कई बार प्रमाणित हुआ था।

लोग मानते  हैं कि भाजपा हर कीमत पर गृह मंत्रालय अपने पास रखना चाहेगी क्योंकि कई जांच एजेंसियों को इसी माध्यम से नियंत्रित किया जाता है। लेकिन इन सारी एजेंसियों के अलावा लोकपाल और सतर्कता आयोग के अलावा चुनाव आयोग में नियुक्ति में भी राहुल गांधी की राय का होना एक कठिन चुनौती होगी।

भले ही बहुमत के फैसले से मोदी अपनी पसंद के व्यक्ति को किसी पद पर ला दें पर राहुल के तर्कों को सार्वजनिक होने से रोकना असंभव होगा। वैसे भी गृह मंत्रालय अपने पास रखने की एक मजबूरी दिल्ली भी है। जहां आम आदमी पार्टी से भाजपा को कड़ी चुनौती मिल रही है। राज्य सरकार और दिल्ली नगर निगम पर पहले से ही आम आदमी पार्टी का कब्जा है। ऐसे में गृह मंत्रालय अगर भाजपा के हाथ से निकला तो सारी पुलिस भी उसके हाथ से निकल जाएगी, जो सबसे बड़ी चिंता का कारण है। ऊपर से उप राज्यपाल के जरिए शासन करने की सुविधा भी नहीं होगी।

राहुल गांधी के अलावा एक और चेहरे से नरेंद्र मोदी को परेशानी होगी, वह है तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा। वह दोबारा चुनाव जीतकर तथा मोदी की पसंद के प्रत्याशी को परास्त कर लोकसभा पहुंची है। एक प्रखर वक्ता के तौर पर उनकी दलीलों ने सिर्फ मोदी ही नहीं बल्कि पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को भी परेशान किया था। अब वह दोबारा से लोकसभा के भीतर नरेंद्र मोदी को चुनौती देंगी। यह भी कोई सहज स्थिति नहीं होगी।

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