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मणिपुर से मिजोरम आ गये म्यांमार के लोग

चिन-कुकी लोगों ने 7-8 गांवों पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया


  • घुसपैठियों में करीब 1300 बांग्लादेशी भी

  • सीमा पर सख्ती असम राइफल्स की तैनाती

  • सीमा के करीब म्यांमार के हवाई हमले का भय


भूपेन गोस्वामी

गुवाहाटी :मिजोरम में सेना और लोकतंत्र समर्थक ताकतों के बीच ताजा झड़पों के बीच म्यांमार के पूर्वोत्तर राज्य मिजोरम में पिछले दो दिनों में कुल 6,430 से अधिक नागरिकों ने शरण ली है। एक अधिकारी के अनुसार, महिलाओं और बच्चों सहित कम से कम 4000 म्यांमार नागरिकों ने शुक्रवार और शनिवार को भारत-म्यांमार की जंगली सीमा पार की।

उन्होंने मिजोरम के सैतुआल और चंफाई जिलों में शरण ली। सूत्रों ने कहा कि दोनों जिलों में ग्रामीण शरणार्थियों को भोजन और आश्रय प्रदान कर रहे हैं।मिजोरम सरकार के एक अधिकारी के अनुसार, शरणार्थी, जिनमें से ज्यादातर म्यांमार के चिन राज्य से हैं, तातमाडॉ (म्यांमार सेना) और चिन नेशनल आर्मी के नेतृत्व में लोकतंत्र समर्थक ताकतों के बीच सशस्त्र झड़पों से उत्पन्न भय के कारण मिजोरम के विभिन्न गांवों में भाग गए। ग्रामीणों ने दावा किया कि प्रवासियों को म्यांमार वायु सेना के हवाई हमलों से भी डर लगता है। जिला के अधिकारी फरार नागरिकों का विवरण एकत्र कर रहे हैं।

इस बीच, विपक्षी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के नेता टी.सी. पचुंगा ने कहा कि लगातार मांग के बावजूद, केंद्र ने अभी तक म्यांमार, बांग्लादेश के शरणार्थियों और मणिपुर के आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों को राहत देने के लिए मिजोरम सरकार को कोई सहायता प्रदान नहीं की है।

पचुंगा ने कहा कि केंद्र सरकार को मानवीय पहलुओं पर विचार करते हुए वित्तीय और अन्य सहायता प्रदान करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछली एमएनएफ सरकार ने कई मौकों पर केंद्र सरकार से म्यांमार, बांग्लादेश और मणिपुर के प्रवासियों की देखभाल के लिए धन उपलब्ध कराने का आग्रह किया था। दूसरी ओर,  मणिपुर से निकाले जा रहे म्यांमार के चिन-कुकी लोग मिजोरम में अवैध रूप से घुस रहे हैं। बीते एक हफ्ते में ऐसे करीब 10 हजार घुसपैठिए जंगल के रास्ते मिजोरम में आ चुके हैं। इन्होंने चम्फाई जिले के खुआगंफाह और वाइखाव्लांग जैसे सीमाई गांवों में अपने ठिकाने बनाए हैं।

चम्फाई के उपायुक्त जेम्स ललिन्छाना ने  बताया कि ये म्यांमारी 22 मई से घुसपैठ कर रहे हैं। चम्फाई में इनकी संख्या 26 हजार से ज्यादा हो चुकी है। 7 से 8 गांवों में इनके अवैध कब्जे हैं। ज्यादातर घुसपैठियों ने भारत-म्यांमार इंटरनेशनल बॉर्डर के पास खुआंगफा और वैखावत्लांग इलाके में अपने रिश्तेदारों के यहां शरण ली है।

उन्होंने आगे कहा कि ये लोग खुद को म्यांमार में चल रहे सैन्य संघर्ष के पीड़ित बताते हैं, लेकिन इनमें ज्यादातर वे हैं, जिन्हें मणिपुर सरकार ने हाल ही में बाहर निकाला है। अधिकारियों का मानना है कि उनके देश (म्यांमार) में उनकी जान को खतरा था। इसलिए ये लोग यहां आए हैं। हम उनकी गतिविधि से अवगत हैं। हमारा मानना ​​है कि वहां स्थिति सामान्य होने पर वे वापस अपने घर चले जाएंगे।

बता दें कि मिजोरम से सटा म्यांमार बॉर्डर खुला हुआ है। मिजोरम के छह जिले, चम्फाई, सियाहा, लॉन्ग्टलाई, हनाहथियाल, सेरछिप और सैतुअल म्यांमार के साथ बॉर्डर शेयर करते हैं। यहां 11 जिलों में बीते 3 साल में 35 हजार से ज्यादा म्यांमारी अवैध रूप से रह रहे हैं। आईजोल स्थित सचिवालय सूत्रों ने बताया कि घुसपैठियों में करीब 1300 बांग्लादेशी भी हैं, जिन्होंने लांग्त्लाई जिले में शरण ली है। म्यांमार के घुसपैठियों की हरकतों के चलते बॉर्डर पर असम राइफल्स की अतिरिक्त तैनाती की गई है। उनके मोबाइल व्हीकल चेकपोस्ट भी बढ़ा दिए हैं। दोनों देशों को बांटने वाली तियाऊ नदी पर भी अतिरिक्त बल तैनात है, लेकिन म्यांमारियों ने जंगल के रास्ते घुसपैठ करनी शुरू की है।

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