गुम है किसी के प्यार में इसलिए तो सीधे सीधे नाम भी नहीं ले पा रहा है बेचारा चुनाव आयोग। बाकी लोगों को तो सीधे नाम से चेतावनी जारी कर दी। एक पर तो दो दिन के लिए चुनाव प्रचार पर रोक भी लगा दी थी। लेकिन अब तो बड़े साहिब का ही मसला फंस गया है। जिनकी कृपा से यह कुर्सी मिली है, आखिर उन्हें कैसे रोक सकते हैं। पहले तो माई लॉर्ड भी चयन में शामिल हुआ करते थे तो एक भय बना रहता था। अब वह भी नहीं है यानी सैय्या भये कोतवाल तो डर काहे का।
दूसरी तरफ मोदी जी को भी शायद कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र से प्यार हो गया है। जितना कांग्रेस ने प्रचार नहीं किया, उससे ज्यादा तो खुद मोदी जी इसके बारे में बोल रहे हैं। इसी बोलने में तो जुबान फिसली या फिसलायी गयी, पता नहीं पर पार्टी को नोटिस जारी हो गया। दो चरण समाप्त होने के बाद अब खुद मोदी जी भी चार सौ पार का नारा नहीं लगा रहे हैं।
चुनावी बॉंड से जो मौसम बदलना प्रारंभ हो गया है वह असली भारतीय मौसम जैसा हो गया है। यानी भाजपा को लू के थपेड़े लग रहे हैं। ऊपर से पार्टी के अंदर भी तूफान जैसी हालत है और पहली बार मोदी और अमित शाह को यह भी सोचना पड़ रहा है कि अगर चुनाव नहीं जीते तो क्या होगा। जनता के मन में ढेर सारे सवाल है और अब धीरे धीरे वह सारे सवाल सामने आ रहे हैं।
रही सही कसर तो राहुल गांधी पूरी करते जा रहे हैं। बार बार कह रहे हैं जितना पैसा मोदी जी ने अपने दो दर्जन के करीब मित्रों को दिया है, उतना पैसा वह देश की जनता को देंगे। वइसे तो यह एक चुनावी जुमला है पर आर्थिक विशेषज्ञ मानते हैं कि गांव देहात तक धन की आमद बढ़ने से आर्थिक तरक्की का चक्का तेजी से चलने लगता है। गांव से कस्वा और कस्वा से शहर तक यह पैसा तेजी से चलता है और अधिक धन पैदा करता है।
इसी बात पर एक पुरानी फिल्म रामपुर का लक्ष्मण का यह गीत याद आ रहा है। इस गीत को लिखा था मजरूह सुलतानपुरी ने और संगीत में ढाला था राहुल देव वर्मन ने। इसे किशोर कुमार और लता मंगेशकर ने अपना स्वर दिया था। गीत इस तरह हैं।
गुम है किसी के प्यार में, दिल सुबह शाम
पर तुम्हें लिख नहीं पाऊँ, मैं उसका नाम
हाय राम, हाय राम
कुछ लिखा?
हाँ
क्या लिखा?
गुम है किसी के प्यार में, दिल सुबह शाम
पर तुम्हें लिख नहीं पाऊँ, मैं उसका नाम
हाय राम, हाय राम
अच्छा, आगे क्या लिखूँ?
आगे?
सोचा है एक दिन मैं उससे मिलके
कह डालूँ अपने सब हाल दिल के
और कर दूँ जीवन उसके हवाले
फिर छोड़ दे चाहे अपना बना ले
मैं तो उसका रे हुआ दीवाना
अब तो जैसा भी मेरा हो अंजाम
गुम है किसी के प्यार में, दिल सुबह शाम
पर तुम्हें लिख नहीं पाऊँ, मैं उसका नाम,
हाय राम, हाय राम
लिख लिया?
हाँ
ज़रा पढ़के तो सुनाओ
चाहा है तुमने जिस बावरी को
वो भी सजनवा चाहे तुम्हीं को
नैना उठाए तो प्यार समझो
पलकें झुका दे तो इक़रार समझो
रखती है कब से छुपा छुपा के
क्या?
अपने होंठों में पिया तेरा नाम
गुम है किसी के प्यार में, दिल सुबह शाम
पर तुम्हें लिख नहीं पाऊँ, मैं उसका नाम
हाय राम, हाय राम
राम का नाम आ गया तो पता चला कि जिस मकसद से राम मंदिर बनाया गया था, इस चुनाव में वह भी पूरा नहीं हो रहा है। देश के दुश्मन बार बार यही कह रहे हैं कि इस बार के चुनाव में कोई मोदी लहर ही नहीं है। बिना लहर के नाव कैसे पार लगेगी, यह बड़ा सवाल है। इस पर भक्तों को ढांढस बंधाया जा रहा है कि मोदी है तो मुमकिन है। ईवीएम का जादू भी सर चढ़कर बोलता है। माकपा ने त्रिपुरा के बारे में कुल मतदाताओं से अधिक वोट पड़ने का सवाल उठा दिया तो सफाई देने की नौब आयी। कहा गया कि चुनाव में प्रतिनियुक्त कर्मचारियों ने भी ऐसे मतदान केंद्रों पर अपना वोट डाला है।
सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम की याचिका खारिज जरूर कर दी पर सरकार और चुनाव आयोग पर भी बंदिश लगा रखी है। किसी प्रत्याशी सो संदेह होने पर वीवीपैट पर्चियों की गिनती करनी होगी और यह सत्यापित करना होगा कि ईवीएम का परिणाम सही है। पहले जैसा तुरंत ही सारे आंकड़ों को नष्ट करना भी अभी बंद रहेगा। इसलिए सवाल अब इस बात का है कि चार सौ पार अगर नहीं हो रहा है तो कमसे से कम तीन सौ पार भी होगा या नहीं।