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कॉलेजों के प्लेसमेंट सेल से हो रहा है काला धंधा

मानव तस्करी का नया रास्ता खोला है गलत कंपनियों ने


  • एक घटना से मामला उजागर हुआ

  • कंपनियों के कारोबार की जांच नहीं

  • कहां गयी लड़कियां, कॉलेज को पता नहीं


प्रकाश सहाय

रांचीः पुलिस और अन्य एजेंसियों की सतर्कता के बाद अब मानव तस्करों ने शायद रांची के कॉलेजों को अपना सही ठिकाना बनाना प्रारंभ कर दिया है। दरअसल इस कॉलेजों में प्रशिक्षित कुशलता (लरनेड स्किल) केंद्र बनाये गये  हैं। इनकी उपयोगिता विद्यार्थियों को दूसरे विषयों का प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार के लिए कुशल बनाना है। इसके तहत प्लेसमेंट सेल भी बनाये गये हैं। इस बात की शिकायत मिली है कि इन प्लेसमेंट सेलों का ही अब दुरुपयोग होने लगा है।

इस घटना के बारे में लोगों में सतर्कता तब जगी जब गुजरात गयी एक लड़की किसी तरह भागकर अपने घर वापस लौटी। रांची के ही एक अल्पसंख्यक कॉलेज के प्लेसमेंट सेल से उसे गुजरात की किसी कंपनी में नौकरी लगी थी। वह उस कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग की छात्रा थी। सूत्र बताते हैं कि वह वहां का अपना सारा सामान छोड़कर किसी तरह भागकर वापस अपने घर रांची आयी है। रांची लौटने के बाद उसने अपने परिवार के लोगों को जानकारी दी।

इसके बाद संबंधित कॉलेज के प्राचार्य से उसके माता पिता भी मिलने गये। सुना जाता है कि वहां इस मुलाकात के दौरान काफी तीखी बात चीत भी हुई। लड़की के अभिभावक इस बात से नाराज थे कि कॉलेज प्रशासन ने बिना जांचे ऐसी कंपनी को अपने यहां नौकरी के लिए प्लेसमेंट सेल में मौका क्यों दिया। लड़की के माता पिता ने थाने में मामला दर्ज करने की भी धमकी दी।

मामले की जांच में पता चला है कि कई अन्य कॉलेजों में भी ऐसे प्लेसमेंट सेल बनाये गये हैं, जिनके जरिए दूसरे स्थानों की कंपनियां अपने लिए श्रमिकों अथवा कर्मचारियों की बहाली करने आती है। जांच में पता चला है कि गुजरात सहित कई अन्य राज्यों से आने वाली कंपनियों ने खास तौर पर आदिवासी लड़कियों का ही चयन किया है।

दूसरी तरफ इन कंपनियों की वास्तविक स्थिति के बारे में कॉलेज प्रशासन भी कोई जानकारी नहीं रखता। दूसरे शब्दों में कहें तो बिना जांच परखे ही इन कंपनियों को श्रमिक बहाल करने के लिए प्लेसमेंट सेल का उपयोग करने की अनुमति दी गयी है। एक अनुभवी शिक्षक के मुताबिक दरअसल कॉलेज पर भी नैक में बेहतर ग्रेडिंग पाने का दबाव होता है।

शायद इसी वजह से वे बिना जांचे परखे ऐसी कंपनियों को अनुमति प्रदान कर रहे हैं। वे कंपनियां दरअसल क्या करती हैं, इसकी गहन जांच नहीं हो पाती है। इस क्रम में कई ऐसे प्लेसमेंट सेलों के जरिए बहाल की गयी आदिवासी लड़कियां दरअसल कहां ले जायी गयी हैं, इसकी जानकारी कॉलेज को भी नहीं है। एक उदाहरण की वजह से यह अंदेशा होता है कि अब दूसरे रास्ते से मानव तस्करी पर कड़ी नजर होने की वजह से तस्करों ने कॉलेज के जरिए यह धंधा चालू रखने का काम प्रारंभ कर दिया है। इस पूरे मामले की जांच से ही सच्चाई का पता लगाया जा सकता है।

खबर है कि रांची विश्वविद्यालय प्रशासन तक इसकी भनक पहुंची है और विश्वविद्यालय प्रशासन इसके प्रति काफी गंभीर है। कुलपति ने इस बारे में सभी महाविद्यालयों को प्लेसमेंट सेल के बारे में सावधानी बरतने की हिदायत दी है। यह निर्देश दिया गया है कि बिना अच्छी तरह कंपनियों की जांच किये, उन्हें प्लेसमेंट सेल के जरिए छात्रों को रोजगार प्रदान करने का अवसर कतई प्रदान नहीं किया जाए।

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