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अफसरों की एक पद पर दूसरी बार पोस्टिंग पर सवाल

लोकसभा चुनाव के संबंधित पदाधिकारी को देना होगा ध्यान


  • बांका एसपी को दूसरी बार वहां भेजा गया

  • पूर्णिया और दरभंगा रेंज में आईजी नहीं डीआईजी

  • डीआईजी में प्रोमोशन के बाद भी राजीव मिश्र पटना में


दीपक नौरंगी

पटनाः बिहार में लोकसभा चुनाव के संबंधित पदाधिकारी को कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है। राज्य सरकार ने हाल फिलहाल कई आईएएस रैंक और आईपीएस पदाधिकारी का तबादला किया है और तबादले पर कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं। पूर्णिया और दरभंगा रेंज में राज्य सरकार ने ही आईजी की प्रतिनियुक्ति के पद की अधिसूचना भी जारी की और सरकार ने वहां आईजी की पोस्टिंग भी की थी लेकिन फिलहाल दरभंगा रेंज और पूर्णिया रेंज में सरकार ने डीआईजी की पोस्टिंग कर दी।

जिस पर प्रशासनिक से लेकर आम पदाधिकारी के बीच की चर्चा है कि चुनाव के समय इस तरह का निर्णय लेना राज्य सरकार की तरफ से उचित नहीं। बताया जा रहा है कि पूर्णिया डीआईजी रैंक विकास कुमार वर्तमान डीजीपी के करीबी पुलिस पदाधिकारी माने जाते हैं। तीन वर्षों पूर्व दरभंगा जिला के एसपी रहे बाबूराम को दरभंगा रेंज का डीआईजी क्यों बनाया गया क्योंकि दरभंगा एसएसपी के बाद इनका तबादला भागलपुर एसएसपी में हुआ था और भागलपुर से प्रमोशन होने के बाद यह बेगूसराय रेंज के डीआईजी बनाए गए थे। बेगूसराय रेंज मे एक साल के कार्यकाल के बाद इन्हें दरभंगा रेंज का डीआईजी बना देना सरकार की कार्यशाली पर सवाल उठना लाजमी है।

प्रशासनिक पदाधिकारी की बात माने तो दरभंगा रेंज में समस्तीपुर जिला आता है और बाबूराम साहब समस्तीपुर जिले में भी एसपी रह चुके हैं। ऐसे में चुनाव आयोग को महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अपना ध्यान रखना होगा। इसी तरह पटना सीनियर एसपी राजीव मिश्रा को सरकार ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से बुलाकर पटना का सीनियर एसपी पद की जिम्मेदारी दी थी। आईपीएस पदाधिकारी राजीव मिश्रा के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटने से चार महीने पहले से ही प्रशासनिक पदाधिकारी में यह चर्चा आम हो गई थी कि राजीव मिश्रा को ही पटना का एसएसपी बनाया जाएगा। जब राजीव मिश्रा का प्रमोशन डीआईजी में ही हो गया है फिर भी सरकार उन्हें पटना में ही क्यों रखा है, यह भी बड़ा सवाल बन गया है।

बांका के एसपी डॉक्टर सत्य प्रकाश पहले भी पौने दो साल बांका के एसपी रह चुके हैं और फिर सरकार ने इन्हें बांका का एसपी बनाया। जिसके बांका की आम जनता में तरह-तरह की चर्चाएं होती दिख रही है। वर्तमान में डॉक्टर सत्य प्रकाश बांका के ही एसपी है फिलहाल थानेदार के तबादले पोस्टिंग पर भी बांका में कई तरह की चर्चाएं होती दिख रही है। ऐसे में लोकसभा चुनाव साफ सुथरे तरीके से कैसे होगा चुनाव संबंधित पदाधिकारी को गंभीर बिंदुओं पर अपना ध्यान रखना होगा बताया जाता है कि जिन अल्पसंख्यक पदाधिकारी की पोस्टिंग सरकार ने की है उन आईएएस और आईपीएस रैंक के पदाधिकारी के तबादले की भी चर्चा बनी हुई है।

बिहार के हर जिले में पुलिस इंस्पेक्टर से लेकर थानेदार तक तबादले के बाद एक चर्चा प्रशासनिक और पुलिस महकमें खूब हो रही है। नाम नहीं छापने के शर्त में कई रिटायर आईएएस के पदाधिकारी का मानना है कि लोकसभा चुनाव संबंधित किसी भी प्रकार का कार्य प्रशासनिक में आईएएस रैंक हो या आईपीएस से लेकर थानेदार तक हो यदि वह दागी है और कोई गंभीर मामले उन पर विभागीय कार्रवाई के लिए लंबित है ऐसे में किसी प्रकार के भी पदाधिकारी से जिन पर विभागीय कार्रवाई लंबित चल रही हो वैसे प्रशासनिक और पुलिस पदाधिकारी से लोकसभा चुनाव संबंधित महत्वपूर्ण कार्य लेने से चुनाव आयोग को परहेज करना चाहिए।

क्योंकि साफ सुथरे तरीके से लोकसभा चुनाव कराना है तो जिन पर गंभीर आरोप लगे हो और विभागीय कार्रवाई चल रही हो वैसे पदाधिकारी से चुनाव संबंधित कार्य लेना कितना उचित होगा, यह सोचने वाली बात है। बिहार के डीजीपी पर पर्दे के पीछे सीधे तौर पर आरोप लग रहा है यह दागी पदाधिकारी को सहयोग कर रहे हैं कई गंभीर मामले में कई आईपीएस पदाधिकारी को पड़ी राहत मिली है इसको लेकर सीधे तौर पर डीजीपी राजविंदर सिंह भट्टी की कार्यशाली पर सवाल उठना लाजिमी है।

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