सिक्किम में बाढ़ से प्रवासी पक्षियों का ठिकाना नहीं बचा
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दिन में ही छा गया था अंधेरा
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सभी इलाकों में पर्यटकों की भीड़
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प्रवासी पक्षी आये थे पर चले गये
राष्ट्रीय खबर
शिलिगुड़ीः सिक्किम के बाद अब दार्जिलिंग के पर्यटक भी बर्फवारी देखकर प्रसन्न हो गये हैं। वहां ठंड होने के बाद भी वैसी बर्फ नहीं गिरी थी। सिक्किम में भीषण बर्फवारी के बाद अब दार्जिलिंग में बर्फ गिरी है। बहुत खुश पर्यटक तुमलिंग से लेकर सिंगलिला तक बर्फबारी देखने के लिए निकल रहे हैं। तमाम पर्यटन केंद्रों के आसपास पर्यटकों की भारी भीड़ देखी गई।
दोपहर की भीड़ के पास शाम होने से पहले ही सन्नाटा छा गया क्योंकि बर्फवारी की वजह स शाम ढलने के पहले ही रात का अंधेरा सा छाने लगा था। सुबह से मौसम में भारी बदलाव आया है। मकर संक्रांति के बाद पहाड़ी इलाकों में यह संभवत: इस मौसम के सबसे ठंडे दिनों में से एक है। इस बीच, सुखियापोखरी, जलपाईगुड़ी सहित दार्जिलिंग के कई स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश हुई।
ठंड का प्रकोप बढ़ गया है। बर्फबारी शुरू हो गई। मंगलवार सुबह उत्तरी सिक्किम के कई इलाकों में बर्फबारी शुरू हो गई है। दार्जिलिंग के संदकफू, तुमलिंग, मेघमा, सिंगलिला नेशनल पार्क समेत विस्तृत इलाकों में भारी बर्फबारी हुई। पूरे दिन बर्फबारी होती रही है। दार्जिलिंग का एक बड़ा इलाका मोटी सफेद चादर से ढक गया है।
सिक्किम मौसम विभाग के निदेशक डॉ गोपीनाथ राहा ने कहा, मंगलवार को सिक्किम के संदकफू और दार्जिलिंग में बर्फबारी हुई है। सुखियापोखरी क्षेत्र में भी कुछ बारिश हुई। नाथूला से सटे इलाके में भारी बर्फबारी हो रही है। जलपाईगुड़ी के कई इलाकों में अब बारिश के साथ-साथ नम मौसम का भी सामना करना पड़ रहा है। इस तरह का मौसम अगले दो-तीन दिनों तक जारी रहेगा। दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में मंगलवार को अधिकतम तापमान 10.9 डिग्री था। न्यूनतम तापमान 2.2 डिग्री सेल्सियस रहा।
उधर इस मौसम में आने वाले प्रवासी पक्षियों के बारे में नई जानकारी मिली है। सिक्किम में एक बांध के ध्वस्त हो जाने के बाद तीस्ता का मार्ग बदल गया है। पिछले अक्टूबर की प्राकृतिक आपदा ने जिस प्रकार आम लोगों के जीवन को प्रभावित किया है, उसी प्रकार संकटग्रस्त जानवरों के जीवन को भी प्रभावित किया है। दरअसल, तीस्ता का निचला बेसिन अभी भी पूरी तरह से सामान्य नहीं हुआ है। उसका प्रमाण ग़ज़लडोबा में मिला। इस बार प्रवासी पक्षी उस तरह नजर नहीं आये।
पिछले अक्टूबर में सिक्किम में बाढ़ के कारण दक्षिणी लोनाक झील टूट गई और बाढ़ का सारा पानी तीस्ता से होकर बहने लगी। उसके बाद उत्तर की ‘जीवन-रेखाओं’ में से एक कही जाने वाली इस नदी ने लगातार अपना रास्ता बदला है।
धारा में आए इस बदलाव की पूरी तस्वीर सैटेलाइट ने कैद कर ली है, जिससे सिंचाई विभाग काफी चिंतित नजर आ रहा है। एक ओर, जैसे ही तिस्तापार निवासियों को प्रशासन द्वारा संरक्षित क्षेत्रों में स्थानांतरित किया गया, जंगली जानवरों को भी तीस्ता का सामना करने से विपरीत दिशा में ले जाया गया। इसलिए वन्यजीवों को उस तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया जाता है। हालाँकि, प्रवासी पक्षियों को अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वे यहां आये थे पर इलाका सही नहीं देखकर कहीं और चले गये। पक्षी विशेषज्ञों को भय है कि एक बार लौट जाने के बाद प्रवासी पक्षियों का झूंड शायद दोबारा पलटकर यहां नहीं आयेगा।