रांची : चुनाव नहीं होने और पेसा रूल नहीं बनाने के बावजूद केंद्र सरकार ने झारखंड की पंचायतों को अनुदान देने का फैसला किया। इस फैसले के आलोक में पंचायतों को चालू वित्तीय वर्ष की पहली किस्त के रूप में 261।40 करोड़ रुपये मिलेंगे।
इससे पहले केंद्र सरकार ने पंचायत चुनाव नहीं कराने और पेसा रूल नहीं बनानेवाले राज्यों की पंचायतों के 15वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित अनुदान की राशि बंद करन की चेतावनी दी थी। साथ ही इससे संबंधित दिशा निर्देश जारी किया था। केंद्र ने चुनाव नहीं होने की वजह से भी अनुदान बंद करने की चेतावनी दी थी।
संविधान की पांचवीं अनुसूची में शामिल 10 में से आठ राज्यों ने पेसा रूल बनाया है, जबकि सिर्फ झारखंड और ओडिशा ने पेसा रूल नहीं बनाया। केंद्र सरकार ने उक्त निर्णय के संबंध में राज्य सरकार को पत्र भेज कर सूचित किया है। पत्र में कहा गया है कि सरकार ने उन पंचायतों को भी अनुदान देने का फैसला किया है, जहां चुने हुए प्रतिनिधियों के अलावा विधिवत गठित ग्रामीण स्थानीय निकाय हैं।
ऐसे स्थानीय ग्रामीण निकायों (रूरल लोकल बॉडी) के वार्षिक लेखा-जोखा का ऑडिट होना चाहिए। इस मामले में वित्तीय वर्ष 2021-22 का पूर्ण ऑडिट ऑनलाइन और 2022-23 का अंतरिम ऑडिट होना चाहिए।
केंद्र सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष (2023-24) के लिए निर्धारित अनुदान की राशि विमुक्त करने के मामले में पिछली राशि के खर्च के बिंदु पर भी शर्त निर्धारित की है। इसके तहत 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में मिले अनुदान में से खर्च नहीं हो पानेवाली राशि 10 प्रतिशत से कम हो। साथ ही 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में वित्तीय वर्ष 2022-23 में मिली राशि में से 50 प्रतिशत राशि खर्च हो चुकी हो।
केंद्र सरकार द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि चालू वित्तीय वर्ष में अनुदान पाने के लिए निर्धारित शर्तों को झारखंड ने पूरा कर लिया है। राज्य में 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में मिली राशि में से बची हुई राशि 10 प्रतिशत से कम है। अनुदान के लिए निर्धारित नयी शर्तों को पूरा करने की वजह से केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 की पहली किस्त के रूप में 261।40 करोड़ रुपये (अनाबद्ध) विमुक्त करने का फैला किया है।
15वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में राज्य की पंचायतों को चालू वित्तीय वर्ष के दौरान अनुदान के रूप में कुल 1307 करोड़ रुपये मिलने हैं। चालू वित्तीय वर्ष के दौरान अब राज्य की पंचायतों का कामकाज वित्तीय वर्ष 2022-23 में मिली अनुदान की राशि से चल रहा था। केंद्र ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए निर्धारित अनुदान की राशि काफी देर से विमुक्त की थी।