दिल के टुकड़े टुकड़े हो गये क्योंकि सदन में बोलने और सरकार के खिलाफ आवाज उठाने का मौका ही नहीं मिला। विपक्ष के नहीं होने की वजह से मेज थपथपाकर हर बात की तारीफ करने के बीच एक के बाद एक विधेयक पारित हो गये। इसी तरकीब से चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में भारत के मुख्य न्यायाधीश के होने की शर्त को भी बदल दिया गया। अब चुनाव आयोग पूरी तरह केंद्र सरकार के भरोसे की चीज बनकर रह गया है। जिसे जो शिकायत करना है या आरोप लगाना है, लगाते रहिए।
दूसरी तरफ विपक्ष के डेढ़ सौ के करीब सांसदों को बाहर निकालने का भी कोई खास फायदा नहीं हुआ। इसी वजह से फिर से इंडिया गठबंधन को नये सिरे से एक साथ मिलकर आंदोलन करने की छूट मिल गयी। अब तो सही दलील दी जाने लगी है कि संसद में देश की साठ प्रतिशत की आबादी की बात करने वाला कोई नहीं रहा। ऊपर से निकाले गये सांसदों के बीच उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ का मिमिक्री भी हुई। नतीजा है कि इससे उप सभापति नाराज हुए तो ऐसी मिमिक्री की बाढ़ सी आ गयी। लोगों ने उनके जाट होने पर भी सवाल उठा दिये। यह पूछा जाने लगा कि किसान आंदोलन और महिला पहलवानों के धरने के वक्त उन्हें यह याद क्यों नहीं आयी कि वह जाट समुदाय से आते हैं।
वैसे मसला एकतरफा नहीं है। खुद मोदी जी भी तीन राज्यों के धमाकेदार जीत पर मुस्कुरा कर चल रहे हैं। विपक्ष और खासकर कांग्रेस इस झटके से सही तरह उबर नहीं पायी है। बड़े बड़े दावे किये थे लेकिन जब डब्बा खुला तो बोलती बंद हो गयी। अब ईवीएम की शिकायत करते रहिए। पता नहीं इस जंतर में क्या जादू है कि सोचता कुछ हूं और रिजल्ट कुछ और ही आ जाता है। लेकिन इससे एक समस्या और खड़ी हो रही है, वह है जीत वाले राज्यों के पुराने नेताओं का क्या होगा। खासकर मध्यप्रदेश के शिवराज सिंह चौहान को देखना होगा। पार्टी की वरीयता और मुख्यमंत्री के तौर पर उनके कार्यकाल के लिहाज से वह भाजपा के बड़े कद के नेता हैं। इसलिए वह चुपचाप हथियार डाल देंगे, इसकी बहुत कम उम्मीद है।
इसी बात पर एक पुरानी फिल्म का गीत याद आने लगा है। वर्ष 1979 में बनी थी फिल्म दादा। इसमें विनोद मेहरा, बिंदिया गोस्वामी, अमजद खान जैसे कलाकार थे। इस गीत को लिखा था कुलवंत जानी ने और संगीत में ढाला था उषा खन्ना ने। इस गीत को के जे येशुदास ने अपना स्वर दिया था। गीत के बोल इस तरह हैं
दिल के टुकड़े टुकड़े कर के मुस्कुरा के चल दिए
दिल के टुकड़े टुकड़े कर के मुस्कुरा के चल दिए
जाते जाते यह तोह बता जा हम जिएंगे किस के लिए
दिल के टुकड़े टुकड़े कर के मुस्कुरा के चल दिए
दिल के टुकड़े टुकड़े कर के मुस्कुरा के चल दिए
चाँद भी होगा तारे भी होंगे फूल चमन में प्यारे भी होंगे
लेकिन हमारा दिल ना लगेगा
भीगेगी जब जब रात सुहानी आग लगायेगी रुत मसतानी
तुहि बता कोई कैसे जिएगा
दिल के मारों को दिल के मालिक ठोकर लगकर चल दिए
दिल के टुकड़े टुकड़े कर के मुस्कुरा के चल दिए
जाते जाते यह तोह बता जा हम जिएंगे किस के लिए
दिल के टुकड़े टुकड़े कर के मुस्कुरा के चल दिए
रूठे रहेंगे आप जो हम से मर जायेंगे हम भी कसम से
सुन ले हाथ छुड़ाने से पहले जान हमारी
नाम पेह तेरे जाएगी
एक दिन दिलबर मेरे सोच समझ ले जाने से
पहले यूं अगर तुम दिल के तमन्ना को मिटाकर चल दिए
दिल के टुकड़े टुकड़े कर के मुस्कुराके चल दिए
जाते जाते यह तोह बता जा हम जिएंगे किस के लिए
दिल के टुकड़े टुकड़े कर के मुस्कुरा के चल दिए।
अब जिसे मुस्कुरा के जिधर जाना है जाए पर ईडी ने फिर से अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन को डराना प्रारंभ कर दिया है। दोनों को समन जारी किये जाने के बाद आगे क्या होगा, इसपर अटकलबाजी का दौर जारी है। लोग कह रहे हैं कि अब शायद दोनों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट मांगा जाएगा। विपक्ष के यह दोनों नेता भी गिरफ्तारी का भी लाभ उठाने को तैयार बैठे हैं। सबको पता है कि इन दोनों की गिरफ्तारी का लोकसभा के चुनाव में असर तो होगा ही। भाजपा फिलहाल एक एक सीट के लिए जोड़ घटाव कर रही है। केरल में भी तनातनी इसी वजह से है ताकि दक्षिण भारत में भी राजभवन के सहारे ही भाजपा का शासन चलाने की छूट मिले। हर कोई मुस्कुरा के ही अपने विरोधी को चित करने की चाल चल रहा है। इसके बीच इंडिया का मैंगो मैन दर्शक बना बैठा है। उसे तो चुनाव से ज्यादा महंगाई, बेरोजगार की चिंता है। देखते हैं अयोध्या में प्रभु राम स्थापित होने के बाद कुछ कमाल करते हैं या नहीं।