चुनाव यानी लोकसभा का सेमीफाइनल निपटा तो तुरंत मैंगो मैन चुनावी वादों की याद दिलाने लगा। भाई लोग वादा तो कर आये थे लेकिन उस वक्त जेब में रोकड़ा नहीं था। अब वादा पूरा करना है तो रोकड़ा तो जुटाना पड़ेगा।
जो हार गया, वह अपनी जिम्मेदारी निभाने से बच निकला मगर जिसे कुर्सी मिली है, उसे तो लोग बात बदल बदलकर चुनावी वादों की याद दिलाते रहेंगे। अब देखिये बेचारे मोदी जी और अपने बाबा रामदेव ने कब कहा था कि हरेक के खाते में पंद्रह पंद्रह लाख आयेंगे।
आज तक इस बात से पीछा नहीं छूट रहा है। बाबा रामदेव तो शायद इसी सवाल से डरकर आजकल ज्यादा अंडरग्राउंड रहने लगते हैं। उनके साथ दिक्कत है कि मोदी जी जैसा वह बचकर नहीं निकल सके।
इसीलिए अब लोग पंद्रह लाख के साथ साथ दो करोड़ नौकरी से लेकर अब के सस्ता गैस सिलिंडर तक की बात करने लगे हैं। मध्यप्रदेश में जिस लाडली योजना का काफी प्रचार हुआ था वह चुनाव निपटते ही बंद होने का फैसला नई किस्म की परेशानी पैदा करने वाला है।
इसी बात पर अपने जमाने की हिट फिल्म दुश्मन (1971) का यह गीत याद आने लगा है। इस गीत को लिखा था आनंद बक्षी ने और संगीत में ढाला था दुलाल गुहा ने। इसे किशोर कुमार ने अपना स्वर दिया था।
हाँ सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के उसूलों से
कि खुशबू आ नहीं सकती कभी कागज़ के फूलों से
मैं इन्तज़ार करूँ ये दिल निसार करूँ
मैं तुझसे प्यार करूँ ओ मगर कैसे ऐतबार करूँ
झूठा है तेरा वादा वादा तेरा वादा वादा तेरा वादा
वादा तेरा वादा वादा तेरा वादा
वादे पे तेरे मारा गया
बन्दा मैं सीधा साधा
वादा तेरा वादा वादा तेरा वादा वादा
तेरा वादा वादा तेरा वादा
तुम्हारी ज़ुल्फ़ है या सड़क का मोड़ है
ये तुम्हारी आँख है या नशे का तोड़ है
ये कहा कब क्या किसी से
तुम्हें कुछ याद नहीं हमारे सामने है
हमारे बाद नहीं
किताब ए हुस्न में तो वफ़ा का नाम नहीं
अरे मोहब्बत तुम करोगी तुम्हारा काम नहीं
मोहब्बत तुम करोगी तुम्हारा काम नहीं
अकड़ती खूब हो तुम मेरी महबूब हो
तुम अकड़ती खूब हो तुम मेरी महबूब हो
- तुम निगाह ए गैर से भी मगर मनसूब हो
तुम किसी शायर से पूछो गज़ल हो या रुबाई
भरी है शायरी में तुम्हारी बेवफ़ाई
हो दामन में तेरे फूल हैं कम और काँटें हैं ज़्यादा
वादा तेरा वादा वादा तेरा वादा वादे पे तेरे मारा गया
बन्दा मैं सीधा साधा
वादा तेरा वादा वादा तेरा वादा
तराने जानती है फ़साने जानती है
कई दिल तोड़ने के बहाने जानती है
कहीं पे सोज़ है तू कहीं पे साज़ है
तू जिसे समझा ना कोई वही एक राज़ है
तू कभी तू रूठ बैठी कभी तू मुस्कराई
अरे किसी से की मोहब्बत किसी से बेवफ़ाई
किसी से की मोहब्बत किसी से बेवफ़ाई
उड़ाए होश तौबा तेरी आँखें शराबी
उड़ाए होश तौबा तेरी आँखें शराबी
ज़माने में हुई है इन्हीं से हर खराबी
बुलाए छाँव कोई पुकारे धूप कोई
तेरा हो रंग कोई तेरा हो रूप कोई
हो कुछ फर्क नहीं नाम तेरा
रज़िया हो या राधा वादा
तेरा वादा वादा तेरा वादा
वादे पे तेरे मारा गया
बन्दा मैं सीधा साधा
वादा तेरा वादा वादा तेरा वादा
चुनावी स्थिति से लौटते हैं कि संसद से निष्कासन और धीरज साहू के यहां नोटों की बरामदगी सबसे बड़ा पॉलिटिकल सवाल है। डेरेक ओ ब्रायन को धनखड़ जी ने फिर से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। अब देखना है कि राघव चड्डा कब निकाले जाते हैं। उनके लिए अच्छा भी होगा क्योंकि नई नई शादी हुई है तो कहीं घूम फिर आयेंगे।
धीरज साहू के मामले में सारे लोग बोल चुके हैं पर आयकर विभाग ने अब तक कुछ नहीं कहा है जबकि कहना तो उसी विभाग को है। प्याली में तूफान लिख दिया तो बहुत सारे लोगों को बुरा लग गया। दरअसल यह भी एक किसिम की बीमारी है कि अब लोग अति भक्ति में अपनी सोच के खिलाफ की कोई बात सहन नहीं कर पा रहे हैं। आयकर विभाग वाले कुछ बोलें तो पता चले कि मसला क्या है।
अरे हां इनदिनों ईडी क्यों सुस्त पड़ गयी, इस पर भी दिमाग दौड़ाना चाहिए। तमिलनाडू में ईडी के एक अफसर को घूस के साथ वहां की पुलिस ने धर दबोचा तो उसके बाद से सारा कुछ बदला बदला सा हो गया है। ईडी वाले तमिलनाडू पुलिस ने इस गिरफ्तारी के साथ साथ ईडी कार्यालय में हुई छापामारी के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं।
शायद इसी वजह से दूसरे राज्यों में चौधरी बनने की चाहत थोड़ी कम हो गयी है। क्या पता तमिलनाडू के जैसा कोई दूसरा राज्य भी ईडी के साथ ऐसा ही सलूक कर दे। इससे एक पुरानी कहावत फिर से सच साबित होती है कि कभी नाव पर गाड़ी तो कभी गाड़ी पर नाव।