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सेमीफाइनल का रिजल्ट आज आउट होगा

  • मोदी की लोकप्रियता दांव पर है

  • कमल या कमलनाथ तय हो जाएगा

  • राहुल गांधी की साख की भी जांच होगी

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः तमाम किस्म के एक्जिट पोल के नतीजों के आने के बाद अंतिम और आधिकारिक परिणाम की बेसब्री से प्रतीक्षा हो रही है। दरअसल इस बार के एक्जिट पोल को लेकर ही कई स्तरों पर विवाद उत्पन्न होने की वजह से असली परिणाम क्या है, इस पर सभी की नजर है। यह सच है कि, अतीत में, व्यक्तिगत एग्ज़िट पोल अपनी छाप छोड़ने में असफल रहे हैं।

लेकिन जब उनके अनुमानों को एकत्रित किया गया, तो वे हमें मतदाताओं के बीच प्रचलित मूड का अंदाजा देने में काफी मददगार रहे। एक्जिट पोल कहते हैं कि कांग्रेस की क्लीन स्वीप की उम्मीदों को झटका लग सकता है। अधिकांश सर्वेक्षणों से पता चलता है कि कांग्रेस हिंदी भाषी राज्यों राजस्थान और मध्य प्रदेश में पिछड़ सकती है।

यहां तक कि छत्तीसगढ़ में भी, जहां कांग्रेस इस समय बहुत प्रभावी है, भाजपा की देर से बढ़त के कारण उसे कड़ी चुनौती मिलेगी, ऐसा भी दावा किया गया है। कांग्रेस के लिए, एग्ज़िट पोल हमें बताते हैं कि तेलंगाना में मतदाता उसके प्रति अधिक उदार रुख रखते हैं। उम्मीद है कि कांग्रेस को केसीआर की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) पर अच्छा बहुमत मिल जाएगा। इस स्तर पर, 2024 के लोकसभा चुनावों से लगभग पांच महीने पहले, भाजपा कांग्रेस के साथ सम्मान (2-2) बांटने में भी खुश होगी।

इस चुनाव को पहले से ही लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल मैच माना गया था। इसके परिणाम और संकेत कल सुबह से ही मिलने लगेंगे। सिर्फ रविवार के दिन मिजोरम के मतों की गणना नहीं होगी। वहां के वोट एक दिन बात गिनती में आयेंगे, जहां कांग्रेस और भाजपा दोनों ही रेस में नहीं है।

इस सेमीफाइनल की सबसे बड़ी चुनौती खुद नरेंद्र मोदी की अपनी छवि की है। यह देखा जाएगा कि श्री मोदी अपनी करिश्माई छवि को अब भी कायम रख पाये हैं अथवा नहीं। इसमें हेरफेर का मतबल भाजपा के अंदर भी कई किस्म के समीकरणों का बदलना होगा।

अब, ओबीसी कार्ड पर गौर करें क्योंकि ऐसा माना गया है कि इसका भी इस बार के चुनाव में अंडरकरंट रहा है। विपक्ष जाति जनगणना का वादा करके वोट जीतने पर भारी भरोसा कर रहा है। विपक्ष को उम्मीद है कि जाति सर्वेक्षण से उसे पिछड़े वर्गों की वास्तविक आबादी से जुड़ी रियायतें देने में मदद मिलेगी, जिसे व्यंजनापूर्ण रूप से हक कहा जाता है। राहुल गांधी और उनके गठबंधन सहयोगियों का मानना है कि कोटा या मंडल कार्ड भाजपा के हिंदुत्व कार्ड का मुकाबला करेगा। यदि ऐसा होता है तो भाजपा का हिंदू वोट बैंक का आधार दरका है, यह माना जाएगा।

इसके बाद आदिवासी वोट किस तरफ गया है, यह भी बहुत सारे समीकरणों का भविष्य तय कर देगा। वैसे खुद नरेंद्र मोदी इस वर्ग को रिझाने में जुटे थे लेकिन उसमें कितनी सफलता मिली है, इसकी परख कल के परिणाम से होगी। मध्यप्रदेश में महिलाओं के कल्याणकारी योजनाओं के आधार पर शिवराज सिंह की सफलता के दावे किये गये हैं।

उससे यह महिलाओं के मतदान का संकेत देता है। यह याद दिला दें कि पश्चिम बंगाल में भी महिलाओं के थोक मतदान को भाजपा के सपनों को चकनाचूर कर दिया था। दूसरी तरफ यह कहा जा रहा है कि अगर योजनाओं की बदौलत शिवराज सिंह को सफलता मिल सकती है तो यही निष्कर्ष राजस्थान के लिए भी लागू होता है।

इसके अलावा राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का क्या परिणाम निकला है, इसकी भी परख इस मतदान में होने वाली है। वैसे कांग्रेस की तरफ से भी कई गारंटियों का एलान किया गया है। सिर्फ तेलंगना में कांग्रेस की स्पष्ट सफलता के संकेत की वजह से राहुल और प्रियंका की लोकप्रियता को नहीं परखा जाएगा।

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