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बाबू लाल मरांडी को फ्री हैंड की चाल
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सरयू राय और बन्ना पर होने लगी चर्चा
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अर्जुन मुंडा और दीपक प्रकाश भी खुश होंगे
राष्ट्रीय खबर
रांचीः पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को उड़ीसा का राज्यपाल बनाये जाते ही प्रदेश भाजपा के संगठन में मिली जुली प्रतिक्रिया महसूस की गयी है। एक गुट इससे हताश है जबकि दूसरे सारे गुट इस फैसले से खुश हैं। दोनों तरफ की गुटबाजी के बीच का निष्कर्ष यही है कि अब रघुवर दास को प्रदेश भाजपा की राजनीति से पूरी तरह अलग कर दिया गया है।
इससे एक संकेत यह भी मिलता है कि अब रघुवर दास के बचाव में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इच्छा नहीं रख रहे हैं। इसी वजह से उन्हें पार्टी के संगठन से अलग कर राज्यपाल बना दिया गया ताकि वह दैनंदिन राजनीति से पूरी तरह दूर हो जाएं। अंदरखाने की मानें तो इस फैसले से पार्टी के बाहर यानी आजसू खेमा से भी बेहतर संकेत निकलेंगे क्योंकि आजसू प्रमुख सुदेश महतो से उनका रिश्ता जगजाहिर था।
पार्टी के अंदर के संभावित समीकरणों में ऐसा माना जा रहा है कि रघुवर दास की पार्टी से विदाई होने के बाद अब जमशेदपुर के विधायक सरयू राय का रास्ता साफ हो गया है। रघुवर दास के मुख्यमंत्री रहते हुए ही सरयू राय से उनका रिश्ता सार्वजनिक तौर पर बिगड़ चुका था। इसके बाद अब भी कई अवसरों पर ईडी द्वारा हेमंत सोरेन के खिलाफ जारी जांच में सरयू राय के तथ्यों और तर्कों ने ईडी के तोप का मुंह रघुवर दास की तरफ कर दिया था। अब पार्टी में सरयू राय के शामिल होने से परिस्थितियां बदलेंगी, ऐसी उम्मीद लोगों को है।
इसके अलावा एक धड़ा यह भी मानकर चल रहा है कि रघुवर दास के चले जाने के बाद भी वहां की राजनीतिक शून्यता को भरने कांग्रेसी मंत्री बन्ना गुप्ता भाजपा में शामिल होंगे। वैसे यह काफी पहले से हेमंत सोरेन का खेमा मानकर चल रहा है कि बन्ना गुप्ता का झुकाव भाजपा की तरफ बहुत अधिक रहा है। राज्य के कई मंत्रियों ने भी सार्वजनिक कार्यक्रमों में उनके आचरण में यह तब्दीली देखी है। जिसके बाद वह खांटी कांग्रेसी नेताओं से दूर चले गये हैं।
आम तौर पर झारखंड की राजनीति से दूरी बनाकर चलने वाले केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा भी इस फैसले से प्रसन्न ही होंगे क्योंकि यह सभी जानते हैं कि अर्जुन मुंडा की राह में रोड़े बिछाने में भी रघुवर दास ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। वैसे अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को अपने स्तर पर संगठन को नये सिरे से सक्रिय करने के लिए ऐसा फैसला लिया गया है। श्री मरांडी ने हाल ही में पूरे राज्य की यात्रा कर संगठन को चंगा करने का काम प्रारंभ किया है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश भी इस फैसले से खुश हुए होंगे, ऐसा भाजपा के अनेक लोगों का मानना है। वैसे पार्टी में एक गुट यह मान रहा है कि अपने गॉडफादर के संगठन से बाहर चले जाने पर अब उनकी ताकत भी अचानक से घट जाएगी और उन्हें संगठन में टिके रहने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।