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यह झील काफी गहरी है इसलिए खतरा
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झील के ठीक ऊपर विशाल ग्लेशियर है
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सैटेलाइट से निगरानी शुरु कर दी गयी
राष्ट्रीय खबर
सिलिगुड़ीः सिक्किम की साको-चो झील में पानी का स्तर बढ़ गया है। इस कारण विशेषज्ञों को डर है कि अगर यह फूटा तो उत्तर बंगाल भी डूब जाएगा। सिक्किम प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक, गुरुवार रात के बाद शुक्रवार सुबह 7:30 बजे साको-चो झील पर सैटेलाइट निगरानी शुरू हुई। यह झील उत्तरी सिक्किम में 16,404 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
हाल ही में साउथ लोनाक झील के बांध ने सिक्किम और बंगाल के तीस्ता से सटे इलाकों में भयानक तबाही मचाई है। उत्तरी सिक्किम में साको-चो झील ने भी चिंता बढ़ा दी है। इस संबंध में पड़ोसी राज्य के प्रशासन ने अपना मुंह बंद कर लिया है, लेकिन झील के आसपास के इलाके में चेतावनी जारी कर दी गई है।
सिक्किम प्रशासन के सूत्रों के अनुसार, झील से 12 किमी दूर लाचेन घाटी में थांगु, चेला और याथांग गांवों के निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। गंगटोक के सिंगतम में गोलितर, मंगन में डिक्चू और पाक्योंग में रंगपो आईबीएम इलाके को खाली करा लिया गया है। कुछ दिन पहले उत्तरी सिक्किम के मंगन के पुलिस प्रशासन की ओर से इस संबंध में चेतावनी जारी की गई थी।
सिक्किम प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक, गुरुवार रात के बाद शुक्रवार सुबह 7:30 बजे साको-चो झील पर सैटेलाइट निगरानी शुरू हुई। यह झील उत्तरी सिक्किम में 16,404 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। विशेषज्ञों के मुताबिक, झील आकार में साउथ लोनाक से छोटी है लेकिन ज्यादा गहरी है।
उपग्रह निगरानी से पता चला कि पिछले कुछ दिनों में इसका जल स्तर लगभग छह मीटर बढ़ गया है। कई लोग इसे एक शगुन के रूप में देखते हैं। इतना ही नहीं, 594 फीट गहरे साको-चो के ऊपर 1000 मीटर ऊंचा ग्लेशियर है। विशेषज्ञों के एक समूह का कहना है कि वार्मिंग के कारण ग्लेशियर का कटाव हुआ है।
हिमानी जल में झील की गहराई हाल ही में बढ़ी है। विशेषज्ञों को डर है कि लगातार पानी के दबाव के कारण झील किसी भी समय फट सकती है। यहां ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड की भी आशंका है। उस स्थिति में यह उत्तरी बंगाल के डुआर्स तक जा सकता है। क्योंकि, अगर हरपा बाने में बाढ़ आएगी तो डुआर्स की नदियां भी उफान पर आ जाएंगी। और अगर डुआर्स में बाढ़ आती है तो इससे बड़ी तबाही मचने की आशंका है।
हालाँकि, सिक्किम प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी के शब्दों में, कोई नई चिंता सामने नहीं आई है। हालाँकि, सिक्किम सरकार तीस्ता में पानी बढ़ने की आशंका के कारण आपदा के बाद से हाई अलर्ट पर है। विभिन्न झीलों पर सतर्कता बढ़ा दी गई है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को सिक्किम में झीलों के फटने से हुई प्राकृतिक आपदा की जांच के लिए एक अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम’ का गठन किया है।
हैदराबाद में नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर या एनआरएससी ने सबसे पहले 2013 में सिक्किम सरकार को लोनाक झील के बारे में सचेत किया था। सिक्किम ने भी 2017 में झील से पानी वापस ले लिया था। उसके बाद कुछ नहीं हुआ। वह सूचना पिछले बुधवार को दिल्ली पहुंची। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की नेतृत्व बैठक में ये सब बातें सामने आईं। प्रशासनिक सूत्रों का दावा है कि वहां साको-चो को अधिक महत्व दिया जा रहा है।