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सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को जांच पर हिदायत दी

राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से कहा कि वह प्रतिशोध के आधार पर नहीं बल्कि पारदर्शिता के आधार पर जांच करे। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के एक मामले में गिरफ्तार दो कारोबारियों को जमानत देने के बाद कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ईडी जांच प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ करेगी। हालांकि, कोर्ट ने केंद्रीय जांच एजेंसी को कोई निर्देश नहीं दिया।

14 जून को ईडी ने गुरुग्राम में एक हाउसिंग कंपनी के दो मालिकों वसंत बंसल और पंकज बंसल को गिरफ्तार किया था। लेकिन उन्हें उस मामले में नहीं, बल्कि किसी दूसरे मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें उन्हें उस दिन पूछताछ के लिए बुलाया गया था। आरोपियों ने इस गिरफ्तारी के खिलाफ पंजाब और हरियाणा की अदालतों का दरवाजा खटखटाया। लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद दोनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस मामले की सुनवाई में कोर्ट ने कहा, उम्मीद की जानी चाहिए कि ईडी का हर काम पारदर्शी होगा।

शीर्ष अदालत ने इस संदर्भ में कहा, यह उम्मीद नहीं है कि ईडी बदले की भावना से कार्रवाई करेगा। ईडी के वकील ने अदालत को बताया कि यह मानने का अच्छा कारण है कि आरोपी वित्तीय धोखाधड़ी में शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी को समन भेजने के बाद भी अगर वह व्यक्ति पेश नहीं होता है तो उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को याद दिलाया कि यह सोचने का कोई कारण नहीं है कि सिर्फ इसलिए कि किसी को पूछताछ के लिए बुलाया गया है, वह अपराध में शामिल है। बसंत और पंकज पर ईडी की विशेष अदालत के जज सुधीर परमार को रिश्वत देने का आरोप था। ईडी ने दावा किया कि जज ने फैसला सुनाते समय बंसल बंधुओं का पक्ष लिया। हालांकि, गिरफ्तारी के मद्देनजर ईडी उचित सबूत पेश नहीं कर सकी। हालाँकि, उच्च न्यायालय की टिप्पणी को महत्वपूर्ण माना जाता है जब विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ भाजपा पर ईडी का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए करने का आरोप लगाया है। बुधवार को तृणमूल ने भी इस मामले का जिक्र करते हुए भाजपा पर तंज कसा।

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