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स्वतंत्र न्याय व्यवस्था लोकतंत्र का आधार
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महिलाओं को 33 फीसद आरक्षण की बात की
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आजादी की लड़ाई में भी वकीलों की भूमिका रही
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि भारत के प्रति विश्व का भरोसा बढ़ने में यहां की निष्पक्ष व स्वतंत्र न्याय व्यवस्था की बड़ी भूमिका है। श्री मोदी ने इंटरनेशनल लॉयर्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए हाल की उपलब्धियों की चर्चा की और कहा आत्मविश्वास से भरा भारत आज 2047 तक विकसित होने के लक्ष्य के लिए मेहनत कर रहा है। निश्चित तौर पर इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भारत को एक मजबूत, निष्पक्ष और स्वतंत्र न्यायिक व्यवस्था का आधार चाहिए। उन्होंने कहा कि आज ये कॉन्फ्रेंस एक ऐसे में समय हो रही है जब भारत कई ऐतिहासिक निर्णयों का साक्षी बना है।
एक दिन पहले ही भारत की संसद ने लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का कानून पास किया है। नारीशक्ति वंदन कानून भारत में वूमेन लीड डेवलपमेंट की नई दिशा के साथ नई ऊर्जा देगा। प्रधानमंत्री ने कहा कुछ ही दिनों पहले ही जी-20 के ऐतिहासिक आयोजन में दुनिया ने हमारी लोकतंत्र, जनसांख्यिकी और कूटनीति की झलक भी देखी है।
उन्होंने कहा एक महीने पहले आज के ही दिन भारत चंद्रमा के साउथ पोल के समीप पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था। श्री मोदी ने कहा कि ऐसी अनेक उपलब्धियों के आत्मविश्वास से भरा भारत आज 2047 तक विकसित होने के लक्ष्य के लिए मेहनत कर रहा है। निश्चित तौर पर इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भारत को एक मजबूत निष्पक्ष और स्वतंत्र न्यायिक व्यवस्था का आधार चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा किसी भी देश के निर्माण में वहां की लीगल फ्रैटर्निटी की बहुत बड़ी भूमिका होती है। भारत में वर्षों से न्यायपालिका और वकील भारत की न्याय व्यवस्था के संरक्षक रहे हैं।
उन्होंने कॉन्फ्रेंस में दुनिया भर से आए मेहमानों को संबोधित करते हुए कहा,हमारे जो विदेशी मेहमान यहां हैं, उन्हें मैं एक बात खास तौर पर बताना चाहता हूं। कुछ ही समय पहले भारत ने अपनी आजादी के 75 साल पूरे किए हैं और आजादी की इस लड़ाई में कानूनी पेशे से जुड़े लोगों की बहुत बड़ी भूमिका रही है।
आजादी की लड़ाई में अनेकों वकीलों ने चलती हुई वकालत छोड़कर के राष्ट्रीय आंदोलन का रास्ता चुना था। हमारे पूज्य राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी बाबा साहब आंबेडकर, देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल, आजादी के समय देश को दिशा देने वाले लोकमान्य तिलक हो, वीर सावरकर हो, ऐसे अनेक महान व्यक्तित्व भी वकील ही थे। यानि कानूनी पेशेवर के अनुभव ने आजाद भारत की नींव को मजबूत करने का काम किया। और आज जब भारत के प्रति विश्व का जो भरोसा बढ़ रहा है, उसमें भी भारत की निष्पक्ष स्वतंत्र न्याय व्यवस्था की बड़ी भूमिका है।
उन्होंने कहा,मुझे विश्वास है इंटरनेशनल लॉयर्स कॉन्फ्रेंस इस दिशा में भारत के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगा। मैं आशा करता हूं कि इस कॉन्फ्रेंस के दौरान सभी देश, एक दूसरे की सर्वोत्तम प्रथाओं से काफी कुछ सीख सकेंगे। बार कौंसिल आॅफ इंडिया द्वारा आयोजित इस कांफ्रेंस में देश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, बार काउंसिल आॅफ इंडिया अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा तथा ब्रिटेन के लॉर्ड चांसलर एलेक्स चाक मौजूद थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार आम आदमी को आसानी से समझ में आने वाली अधिकतम भाषाओं में कानूनों का मसौदा तैयार करने का गंभीर प्रयास कर रही है ताकि उन्हें महसूस हो सके कि ये उनका अपना कानून है। कानून ऐसी भाषा में बनाया जाना चाहिए जिसे देश का आम आदमी समझ सके और उसे कानून को अपना मानना।
प्रधानमंत्री ने शीर्ष अदालत के अपने फैसलों का हिंदी, तमिल, गुजराती और उड़िया समेत स्थानीय भाषाओं में अनुवाद कराने की व्यवस्था करने के लिए उसकी एक बारफिर सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा, भारत के उच्च्तम न्यायालय को इस बात के लिए भी बधाई दूंगा कि उसने अपने फैसलों को कई स्थानीय भाषाओं में भी अनुवाद करने की व्यवस्था की है। इससे भी भारत के सामान्य व्यक्ति को बहुत मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि कोई डॉक्टर यदि रोगी की भाषा में उससे बात करे तो उसकी आधी बीमारी यूं ही ठीक हो जाती है, बस यहां यही मामला है।