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कई विवादों से जुड़ गया है सुपर कॉप का नाम

  • किट्टी नोमानी करता था विदेश भ्रमण का इंतजाम

  • पासपोर्ट नवीकरण गया में किसके सहयोग से हुआ

  • सीएम की पुनर्समीक्षा का निर्देश सवालों के घेरे में

दीपक नौरंगी

भागलपुर:  पुलिस मुख्यालय में बैठे अधिकारी अपने सहयोगी अमित लोढ़ा को बचाने में जी जान से जुट गए हैं। इस मामले में कमजोर वर्ग के  अपर पुलिस महानिदेशक अनिल किशोर यादव की रिपोर्ट पर फिर से समीक्षा करने का आदेश जारी कर दिया गया है। उसके बाद यह चर्चा  आईएएस और आईपीएस महकमें यह चर्चा होने लगी कि बिना डीजीपी के सहयोग के बिना अमित लोढ़ा को मदद नहीं हो सकती है।

इस आदेश को लेकर पुलिस मुख्यालय में तरह-तरह की चर्चाएं हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भी नजर इस मामले पर है या नहीं यह कहना कठिन होगा। सूत्रों का कहना है कि गया में  किट्टी निमानी का दबदबा एवं प्रभाव काफी जबरदस्त माना जाता था। उसने पुलिस पदाधिकारी को अपने प्रभाव में लेकर कई उल्टे सीधे काम करवाएं। 2012 में जब थाईलैंड की प्रधानमंत्री गया आये तो नॉमिनी उसके साथ-साथ घूमते हुए नजर आया था। जिसे उसके प्रभाव का अंदाजा इस और आईएएस और आईपीएस को लग गया कि कितना प्रभावशाली है।

लेकिन हैरानी इस बात को लेकर निमानी पाकिस्तान में जन्मे थे लेकिन अपनी ऊंची पहुंच और रसूख की वजह से उन्होंने थाईलैंड की नागरिकता प्राप्त कर ली।  इस दौरान गया जिला में वह कई आईएएस और आईपीएस पदाधिकारी के संपर्क में आए। पदाधिकारी को उपकृत करने के लिए निमानी थाईलैंड की सैर करवाते थे। अधिकारियों को होटल में रहने और गाड़ियों की भी व्यवस्था अपने स्तर  से करवाते थे। उनके इस उपकार के बदले गया में अधिकारी उनका हर काम करने को तैयार रहता था। प्रशासनिक पकड़ मजबूत होने के कारण कोई भी साधारण व्यक्ति उनके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत नहीं करता था।

गया में कई वर्षों पूर्व जब एसपी गया हुआ करते थे अमित लोढ़ा भी किटी नोमानी के संपर्क में आए। और लंबे वर्षों के बाद जब केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे तो उनकी पोस्टिंग गया आईजी में हो जाती है उसके बाद विवादों का दौर शुरू हो जाता है लेकिन देश में बड़ी-बड़ी जांच एजेंसी है यह मालूम करें किट्टी नोमिनी की गया जिला में कितनी संपत्ति है और गया जिला में उसने कितनी बार अपना पासपोर्ट बनाया है और कितने लोगों के साथ मिलकर जमीन का अवैध कारोबार हुआ क्यों कर रहा था।

कौन सी कंपनी और संस्था व गया जिला में बनाना चाहता था कई अहम और गंभीर बिंदु है। फिर पुलिस ने पासपोर्ट के मामले में जांच रिपोर्ट में अपने अंतिम अनुसंधान क्या दिया है। इस पर आईबी और सीबीआई के अधिकारियों को गहराइयों से ध्यान देना होगा तभी कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आ सकते हैं।

आखिर वर्तमान में सरदार पटेल भवन के किस वरीय पदाधिकारी के कहने पर पूर्व एडीजी कमजोर वर्ग अनिल किशोर यादव के मामले में दी गई जांच रिपोर्ट का उन्हें समीक्षा का निर्देश दिया गया आखिर पुलिस मुख्यालय में वह कौन जिम्मेदार पुलिस अधिकारी है जो इस आदेश को देने के बाद सवालों के घेरे में है मामले को सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए।

मामला जब तूल पकड़ने लगा तो इसकी जांच कमजोर वर्ग के एडीजी अनिल किशोर यादव को सौंप गई। यादव ने अपनी जांच रिपोर्ट में लिखा कि अमित लोढ़ा पर जो भी आरोप लगाए गए हैं वह पूर्ण रूप से सत्य है। अपर पुलिस महानिदेशक की जांच रिपोर्ट जब मुख्यालय को मिली तो पूरे मुख्यालय में भूचाल आ गया।

अमित के साथ आईपीएस की सेवा में आए एक अधिकारी उनके बचाव में पूरी तरह सामने आ गए। बताया जाता है अमित लोढ़ा के बैचमेट उन्हें पुलिस मुख्यालय में खुलकर उनका सहयोग करते दिख रहे हैं अधिकारी के बचाव मे मुख्यालय के एक अधिकारी सामने उतर आए। उन्होंने जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए इसकी समीक्षा करने का आदेश जारी कर दिया।

फिर से समीक्षा भी हो गई इसका सीधा फायदा जिसे मिलना था मिल गया लेकिन नाजायज और गैर कानूनी तरीका से उन्हें मामले की समीक्षा कर कर दोषी पदाधिकारी को निर्दोष तो नहीं किया गया है। गंभीर बिंदुओं को सरल बनाने की कोशिश पुनः समीक्षा में किए जाने की बात सामने आई है।

उक्त जांच रिपोर्ट पर पुलिस मुख्यालय के हर बड़े पुलिस अधिकारियों की नजर बनी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस मामले की सही-सही जानकारी पुलिस मुख्यालय के द्वारा क्यों नहीं दी गई है?  मुख्यालय में तैनात लोढ़ा का सहयोगी पूरी तरह से इस मामले को दबाने के चक्कर में लगा है। अब इतने बड़े मामले में मुख्यमंत्री क्या निर्णय लेते हैं इस पर सरदार पटेल भवन के अधिकारियों की नजर है।

किस आईपीएस ने कहा है कि मुख्यमंत्री कुछ नहीं

जिस बड़े आईपीएस अधिकारी पर गंभीर आरोप लगे हैं वह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात कई अपने चाहने वाले अधिकारी को कहते हैं की मुख्यमंत्री क्या है मुख्यमंत्री को क्या कहना? जब पुलिस मुख्यालय के सबसे बड़े पदाधिकारी के पास उनकी पूरा जांच का मामला पेंडिंग है। वह चाहते हैं और कहते हैं कि पूरे फाइल को हटा दीजिए मैं निर्दोष हूं।

तब वह पुलिस मुख्यालय में जिम्मेदार अधिकारी कहते हैं कि आप एक बार मुख्यमंत्री जी से मिलकर अपनी बात को रख दीजिए मामला खत्म हो जाएगा। जिस आईपीएस पर आरोप लगे हैं वह अपने सीनियर को कहता है कि मुख्यमंत्री क्या होता है ऊपर से फोन आएगा सब ठीक हो जाएगा।

उसके बाद यह जवाब सुनने के बाद वह सीनियर अधिकारी आश्चर्यचकित हो जाते हैं और कहते हैं कि आप कोर्ट के शरण में जाइए वहीं से आपको रिलीफ मिलेगी इसमें अब मैं कुछ नहीं कर सकता हूं, क्योंकि आपने तो कह दिया कि मुख्यमंत्री ही कुछ नहीं होता है तो इसकी आगे मेरी हिम्मत नहीं है कुछ कहने और बोलने की।

तब आप लगे हुए आईपीएस अधिकारी गुस्से में उनके चैंबर से उठते हैं और कहते हैं आप देखिएगा कोई कुछ नहीं कर सकेगा। यह चर्चा सरदार पटेल भवन मतलब पुलिस मुख्यालय में सभी आईपीएस में होने लगी कि यह आईपीएस कितना प्रभावशाली है जो मुख्यमंत्री को भी कुछ नहीं समझता है।

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