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मणिपुर में गोलीबारी में तीन कुकी नागरिकों की मौत

  • भाजपा विधायक ने कहा उग्रवादियों से बात न करे सरकार

  • कोकोमी ने कहा कि आप्रवासी उग्रवादियों के साथ बातचीत अवैध

  • लिटान क्षेत्र में पुलिस की तलाशी में जंगल से मिले तीनों लोगों के शव

भूपेन गोस्वामी

गुवाहाटी: मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी है। हिंसा प्रभावित मणिपुर में संघर्ष की ताजा घटना में उखरूल जिले के कुकी थोवाई गांव में शुक्रवार को भारी गोलीबारी के बाद तीन लोगों के सड़े-गले शव मिले। हिंसा  के आज हुए विभत्स तांडव में तीन लोगों की जान चली गई है, तीन लापता बताये जा रहे  है। उधर लिटान थाना क्षेत्र के एक गांव में हुई, जहां सुबह-सुबह गोलियों की आवाज सुनी गई। अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने आसपास के गांवों और जंगलों की गहन तलाशी ली और 24 से 35 साल की उम्र के तीन लोगों के शव बरामद किए।

पुलिस ने बताया कि पिछले कुछ दिनों की शांति के बाद हिंसाग्रस्त मणिपुर में शुक्रवार सुबह एक बार फिर हिंसा भड़क गई।बीएसएफ सहित सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेरकर तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। क्षेत्र में स्थिति तनावपूर्ण बताई गई है।सूत्रों के मुताबिक, मैतेई उपद्रवियों ने सबसे पहले गांव के ड्यूटी पोस्ट पर हमला किया, जहां स्वयंसेवक गांव की सुरक्षा के लिए ड्यूटी कर रहे थे। इस गोलीबारी में कुकी स्वयंसेवकों के तीन लोगों के मारे जाने की खबर है।

मारे गए लोगों की पहचान जामखोगिन हाओकिप (26), थांगखोकाई हाओकिप (35) और होलेनसोन बाइते (24) के रूप में हुई है।उल्लेखनीय है कि यह गांव मैतेई आबादी क्षेत्र से काफी दूर स्थित है। निकटतम मेइतेई निवास यिंगांगपोकपी में है जो घटना स्थल से 10 किलोमीटर से अधिक दूर है। बताया जा रहा है कि घटनास्थल से 37 बीएन बीएसएफ (महादेव) करीब पांच से छह किलोमीटर दूर है। घटना के बाद बीएसएफ सहित अन्य सुरक्षाबल मौके पर पहुंच गए हैं।

सुरक्षाबलों ने पूरे क्षेत्र को घेरकर तलाशी अभियान शुरू कर दिया है।मणिपुर में बहुसंख्यक मैतई समुदाय जनजातीय आरक्षण देने की मांग कर रहा है। इसकी वजह ये है कि मैतई समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है लेकिन ये लोग राज्य के सिर्फ 10 प्रतिशत मैदानी इलाके में रहते हैं। वहीं कुकी और नगा समुदाय राज्य के पहाड़ी इलाकों में रहते हैं जो की राज्य का करीब 90 फीसदी है। जमीन सुधार कानून के तहत मैतई समुदाय के लोग पहाड़ों पर जमीन नहीं खरीद सकते, जबकि कुकी और नगा समुदाय पर ऐसी कोई पाबंदी नहीं है।

इस बीच, मणिपुर के भाजपा विधायक आरके इमो सिंह ने केंद्र सरकार से उन एसओओ विद्रोही समूहों के साथ कोई बातचीत नहीं करने का आग्रह किया है, जिन्होंने पिछले कुछ महीनों में कथित तौर पर जमीनी नियमों का उल्लंघन किया है। आरके इमो सिंह ने कहा, हमें केंद्र और एसओओ विद्रोही समूहों के बीच बातचीत के बारे में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से कुछ जानकारी मिली है और मैं केंद्र सरकार से अपील करता हूं कि इन समूहों के साथ किसी भी प्रकार की बातचीत में शामिल न हों क्योंकि उन्होंने जमीनी नियमों का उल्लंघन किया है।

इसके अलावा, विधायक ने जोर देकर कहा कि एसओओ समूहों के साथ कोई भी बातचीत जिन्होंने जमीनी नियमों का उल्लंघन किया है और जो पिछले कुछ महीनों में कथित तौर पर हिंसा का हिस्सा रहे हैं।हालांकि, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी को आज 18 से 20 अगस्त तक मणिपुर के दौरे पर चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करना है। यह दौरा क्षेत्र में लंबे समय से चल रहे संघर्ष की पृष्ठभूमि में हो रहा है, जो तीन महीने से अधिक समय से जारी है, जिससे लोगों की जान चली गई है और बड़े पैमाने पर लोग विस्थापित हुए हैं।

स्थिति की गंभीरता को संबोधित करते हुए, येचुरी ने कहा, “मणिपुर में संघर्ष तीन महीने से अधिक समय से जारी है और इसने लोगों के जीवन और विस्थापन पर बहुत बड़ा असर डाला है। उन्होंने आगे चल रही उथल-पुथल और लोगों के जीवन पर इसके प्रभाव पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अब तक डबल इंजन की यह सरकार किसी समाधान या दिशा पर नहीं पहुंच पाई है कि इस मुद्दे को कैसे हल किया जाए।मणिपुर इंटेग्रिटी पर समन्वय समिति (सीओसीओएमआई) ने आज 18 अगस्त, 2023 को आप्रवासी चिन कुकी नार्को आतंकवादियों के छाता संगठन के साथ बातचीत में शामिल होने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए हालिया कदमों की कड़ी आलोचना की है, जिसे केएनओ और यूपीएफ के नाम से जाना जाता है।

भारत सरकार और कुकी सोओ (अभियानों का निलंबन) उग्रवादियों के बीच चल रही बातचीत, जिसका नेतृत्व मुख्य रूप से म्यांमार के नागरिकों के रूप में पहचाने जाने वाले व्यक्तियों ने किया है, को कोकोमी से निंदा मिली है। संगठन इस बातचीत को अवैध मानता है और केंद्र सरकार से ऐसे व्यक्तियों के साथ बातचीत में शामिल होने से बचने का आग्रह करता है।

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