राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) से सेवाएं छीनने वाले केंद्रीय अध्यादेश को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका को पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजने को इच्छुक है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 20 जुलाई को तय की। उसी सुनवाई में, शीर्ष अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल वीके सक्सेना से उन पूर्व न्यायाधीशों के नामों पर चर्चा करने को कहा, जो राष्ट्रीय राजधानी के बिजली नियामक, दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) के प्रमुख हो सकते हैं। नए डीईआरसी अध्यक्ष की नियुक्ति पर मतभेदों के बीच, शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि दोनों संवैधानिक पदाधिकारियों को राजनीतिक कलह से ऊपर उठना होगा।
डीईआरसी अध्यक्ष का पद 9 जनवरी से खाली है। इस महीने की शुरुआत में, शीर्ष अदालत ने डीईआरसी के नामित अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) उमेश कुमार का शपथ ग्रहण समारोह स्थगित कर दिया था। सेवा मामले पर केंद्र के अध्यादेश की घोषणा के बाद डीईआरसी अध्यक्ष की नियुक्ति दिल्ली में आप सरकार और उपराज्यपाल वीके सक्सेना के बीच विवाद का विषय थी।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा पूर्व में फैसला दिया गया था कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार ही सर्वोपरी है। इस फैसले की वजह से सारे अधिकार भी दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास होंगे। इस फैसला के लागू होने के बाद केंद्र सरकार ने दिल्ली के लिए एक अध्यादेश जारी कर दिया। इस अध्यादेश के जरिए सरकारी अधिकारियों की सेवा सहित तमाम अधिकार दिल्ली के उप राज्यपाल को सौंप दिये गये। यहां तक की नई व्यवस्था में मुख्यमंत्री को अपने स्तर पर कोई फैसला लेने तक को अधिकृत नहीं किया गया। इसके बाद ही दिल्ली सरकार ने फिर से सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के इस अध्यादेश के खिलाफ याचिका दायर की है।