Breaking News in Hindi

रांची के जलसंकट का जिम्मेदार तो नगर निगम भी है

  • कई सरकारी भवन हैं रेन वाटर हार्वेस्टिंग के सही नमूने

  • गलत तरीके से एनओसी तो निगम ने ही जारी किया

  • सदन में मंत्री के आश्वासन पर जल आयोग नहीं बना

राष्ट्रीय खबर

रांचीः रांची की बहुमंजिली इमारतों द्वारा जमीन के अंदर का पानी पंप और बोरिंग से खींच लेने की वजह से आस पास की गरीब जनता भी प्रभावित होती है। मामले की जांच में यह भी पता चला है कि ऐसे अनेक बहुमंजिली इमारते हैं, जिनके पहले और दूसरे बोरिंग फेल होने के बाद इनलोगों ने उन्हीं खराब पड़े बोरिंग को रेन वाटर हार्वेस्टिंग में इस्तेमाल किया था।

इसका नतीजा था कि वहां इस साल जलसंकट पहले से कम हुआ। जांच में पता चला  है कि सही तरीके से रेन वाटर हार्वेस्टिंग के कई उदाहरण रांची के सरकारी भवनों में मौजूद हैं। छानबीन से पता चला है कि डोरंडा स्थित नेपाल हाउस, धुर्वा में सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता कार्यालय के पीछे तथा एटीआई बिल्डिंग में दो स्थानों पर इसे बिल्कुल सही तरीके से अमल में लाया गया है।

इसलिए इन भवनों के जलस्तर अब पहले से बेहतर होने लगा है। दूसरी तरफ जिन बहुमंजिली इमारतों में भीषण जलसंकट है, वहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग के प्रमाणपत्र तो हैं, लेकिन वास्तव में वहां सही तरीके से यह काम नहीं किया गया है। जांच में पता चला है कि अनेक बिल्डरों ने गलत तरीके से यह प्रमाणपत्र हासिल कर मकान खरीदने वालों को ठग लिया है। जाहिर सी बात है कि यह काम नगर निगम के टाउन प्लानर के कार्यालय से ही हुआ है। इसलिए टाउन प्लानर कार्यालय से जारी तमाम ऐसे प्रमाणपत्रों की भौतिक जांच से भी स्थिति मे सुधार हो सकता है।

मामले की जांच के क्रम में पता चला है कि विधानसभा में विभागीय मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा था कि झारखंड सरकार भूजल स्तर में गिरावट को रोकने के लिए जल्द ही एक बोर्ड का गठन करेगी। मंत्री ठाकुर ने कहा था कि एक मसौदा तैयार किया गया है और बोर्ड अगले साल तक कार्यात्मक होगा।

ठाकुर ने राज्य भर में भूजल स्तर में गिरावट पर कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव के एक सवाल के जवाब में यह बात कही थी। कांग्रेस विधायक ने कहा था कि रांची, धनबाद, रामगढ़ जिलों और राज्य के अन्य स्थानों में भूजल की स्थिति गंभीर है। उन्होंने कहा था कि भूजल को बचाने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है। वर्षा जल संचयन प्रणाली की स्थापना में तेजी लाई जा रही है। विभिन्न सरकारी और निजी भवनों में 178 वर्षा जल संचयन परियोजनाएं चल रही हैं।

इस बीच सरकारी अधिकारियों द्वारा अपनी हैसियत के दुरुपयोग का मामला भी चर्चा में आ जाता है। इसी साल रांची नगर निगम की एक अधिकारी पर रातू रोड पर अपने आवास के ठीक बाहर 12 फीट चौड़ी पीसीसी सड़क पर बोरवेल खोदने का आरोप लगा। बोरवेल खोदे जाने की वजह से सड़क का वह हिस्सा अवरुद्ध हो गया।

आर्यपुरी इलाके के निवासियों के एक वर्ग ने औपचारिक रूप से आरएमसी के नगर आयुक्त शशि रंजन को एक पत्र सौंपकर एक नागरिक अधिकारी की ऐसी मनमानी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। आंकड़े बताते हैं कि आरएमसी ने 13 उच्च-उपज वाले ड्रिल्ड ट्यूबवेल स्थापित किए। इनमें से दस क्षतिग्रस्त हो गये हैं और पानी भी सूख गया है।

बड़ी आबादी केवल तीन एचवाईडीटी और आरएमसी द्वारा आपूर्ति किए गए टैंकरों पर निर्भर है। इस बीच, आरएमसी के पास पानी की आपूर्ति के लिए केवल 40 टैंकर उपलब्ध हैं। टैंकरों की क्षमता 2,000 से 10,000 लीटर तक है। शहर में 2,507 हैंडपंप हैं, जिनमें से करीब 190 सूखे हैं। इसके अलावा, 1,374 माइक्रो HYDTs और 174 बड़े एचवाईडीटी और 69,078 कनेक्शन हैं।

गर्मी के दिनों में पानी की लगातार कमी रहती है। निगम ने सभी घरों को वर्षा जल संचयन प्रणालियों से लैस करने के लिए कहा है। निवासियों की जल संरक्षण के प्रति उपेक्षा पानी की कमी में योगदान करती है। 2.25 लाख से अधिक हैं शहर में घर हैं लेकिन उनमें से केवल लगभग 20,000 में ही वर्षा जल संचयन प्रणालियाँ हैं। (समाप्त)

उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा।