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जल जमाव की पुरानी बीमारी फिर से उभरी

  • डेली मार्केट से उर्दू लाइब्रेरी तक बहाव

  • नाली की गंदगी अब सड़कों पर पसरी

  • हर बार जनता को होती है यही परेशानी

राष्ट्रीय खबर

रांची: बड़े ही तामझाम और बहुत अधिक खर्च से बना रांची का सिवरेज सिस्टम एक बार फिर फेल साबित हुआ है। शहर के उन इलाकों में फिर से सड़कों पर पानी और नाली की गंदगी नजर आयी, जहां हर बार ऐसी ही परेशानी होती रही है। इसके बीच ही

पिछले 30 वर्षों से मेन रोड का डेली मार्केट का इलाका फिर पूर्व स्थिति में पहुंच गये। वहां पर जल जमाव की वजह से विक्रेता और दुकानदार रुके हुए बारिश के पानी और नालियों से बहते सीवेज से परेशान हो जाते हैं। फुटपाथ और दुकानों के सामने घुटनों तक कीचड़ और गंदगी के कारण मालिक भी अपनी दुकानों से बाहर नहीं निकल पाते, ग्राहक तो दूर की बात है।

पिछले 15 वर्षों से बाजार में फल बेचने वाले कई विक्रेताओं ने बारिश के दौरान जलभराव की समस्या के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जब भी बारिश होती है, तो नालियों का गंदा पानी सड़क पर जमा हो जाता है, जिससे चारों ओर गंदगी फैल जाती है, जिससे निवासियों और दुकानदारों को असुविधा होती है। इससे सेहत को भी खतरा हो जाता है। लोगों ने कहा कि, जमा हुए कचरे और गंदगी को साफ करना एक कठिन काम है। इस हालत के लिए लोगों नै नगर निगम को जिम्मेदार ठहराया।

लोगों की शिकायत है कि जल निकासी की सही व्यवस्था इस सिवरेज सिस्टम से भी नहीं हो पायी है। जाम पड़ी संकरी नालियों की सफाई में अधिकारियों की लापरवाही परेशानी का कारण बनती है। नतीजा होता है कि जब बारिश अधिक होती है तो नालियों का  सारा गंदा पानी और वहां जमा कचड़ा भी सड़कों पर बहने लगता है।

डेली मार्केट के इलाके में फुटपाथ पर दुकान लगाने वालों को मजबूरी में कचरे के ढेर के बगल में एक ऊंचे मंच पर जाना पड़ता है। वहां गंदगी इतनी अधिक है कि सामान्य क्रेता वहां आने से कतराते हैं। दूसरी तरफ रांची नगर निगम के सिटी मैनेजर संदीप कुमार इस समस्या के लिए विक्रेताओं को जिम्मेदार ठहराते हुए उन पर कूड़ा फेंकने और नालियां जाम करने का आरोप लगाते हैं। उन्होंने कहा, बाजार के विक्रेता नालियों को कूड़ादान समझ रहे हैं और बोतलें, प्लेट, ब्रेड, सब्जियों का कचरा और पैकिंग सामग्री जैसे कचरे को नालियों में फेंक रहे हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि मुख्य समस्याओं में से एक तब उत्पन्न होती है जब विक्रेता नालियों के ऊपर स्टॉल लगाते हैं। इससे सफाई प्रक्रिया में बाधा आती है और अधिकारियों के लिए जल निकासी को प्रभावी ढंग से बनाए रखना और प्रबंधित करना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा, स्टॉल हटाने के लिए 15-20 दिनों की समय सीमा के साथ नोटिस मिलने के बावजूद, विक्रेताओं ने निर्देशों का पालन करने में अनिच्छा दिखाई है।

आरएमसी के उप प्रशासक रजनीश कुमार ने कहा कि वह स्थिति की जांच करवाएंगे और स्थिति में सुधार के लिए कार्रवाई करेंगे, नगर आयुक्त शशि रंजन ने कहा, सब कुछ साफ किया जा रहा है। इसके अलावा भी शहर के कई इलाकों में कल की बारिश के बाद से जल जमाव और सड़कों पर से पानी बहने की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। इससे खास तौर पर पैदल चलने वालों को गंदे पानी के बीच से ही चलना पड़ रहा है।

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