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हर तरफ कचड़ा और दुर्गंध के नागरिक परेशान

राजधानी के सिवरेज की कलई वार्षिक सफाई में खुल रही है

  • सड़कों पर पसरा है दुर्गंधयुक्त कीचड़

  • हर साल नालियों का यही हाल होता है

  • सिवरेज का पानी सड़कों पर आने लगता है

राष्ट्रीय खबर

रांची: रांची नगर निगम ने कुछ हफ्ते पहले मानसून के दौरान सड़कों और गलियों में जलभराव को रोकने के लिए शहर की नालियों की सफाई की वार्षिक कवायद शुरू की थी। इसके साथ, स्वच्छता का एक और पुराना मुद्दा निवासियों के लिए असुविधा का कारण बन गया है। खबर है कि इस काम पर चार करोड़ से अधिक रुपये खर्च किये गये हैं।

पहली ही बारिश में इस काम की सफलता और विफलता का प्रमाण रांची के लोगों को मिल गया है। अभी बारिश ठीक से प्रारंभ भी नहीं हुई है जबकि अनेक इलाकों के नालों का सारा पानी सड़कों पर आ चुका है। इसकी वजह से सड़कों पर कीचड़ फैला है और वहां से गुजराने वालों का दुर्गंध से बुरा हाल है।

आरएमसी के सफाई कर्मचारियों के 3,000 सदस्यीय मजबूत संविदा कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा शहर की नालियों की सफाई कर रहा है। जबकि मुख्य सड़कों से सटे नालों को साफ करने के लिए उत्खननकर्ताओं को तैनात किया जा रहा है, छोटी नालियां, जो गलियों से होकर गुजरती हैं, फावड़े द्वारा मैन्युअल रूप से साफ की जा रही हैं।

सफाई कर्मचारी नालियों को साफ कर रहे हैं और कीचड़ को सड़क के किनारे खुले में फेंक रहे हैं। कचरे से निकलने वाली दुर्गंध यात्रियों और निवासियों के जीवन को दयनीय बना रही है क्योंकि वे काम और आवागमन के लिए अपने घरों से बाहर निकलते हैं। मंगलवार को शहर में हुई भारी बारिश के बाद सड़कों के किनारे जमा कीचड़ पोखर में तब्दील हो गया।

प्लास्टिक कचरा, सड़े-गले पत्ते और यहां तक कि भोजनालयों और मिठाई की दुकानों से निकला कचरा भी सड़कों पर बह गया। कचड़ा वाला पानी लगातार नाली से रिस रहा है और सड़क के किनारे जमा हो रहा है। असहनीय दुर्गंध है और मच्छर पनप रहे हैं।

सड़क किनारे बैठकर फुटपाथ पर फलों का कारोबार करने वालों का कहना है कि इससे उनका खुद का बैठना मुश्किल हो गया है जबकि दुर्गंध की वजह से ग्राहक भी वहां रूकना नहीं चाहते हैं। स्थानीय लोगों की यह शिकायत है कि सिवरेज पर अरबों रुपये खर्च किये गये हैं, उसके बाद भी यह हर साल की परेशानी बन गयी है।

आखिर सिवरेज के नाम पर क्या फायदा हुआ है, यह बताने वाला भी कोई नहीं है। जब कभी तेज बारिश होती है तो सिवरज का पानी ही सड़कों पर बहने लगता है। इस बात को डेली मार्केट, हरमू रोड सहित कई इलाकों में हर साल देखा जा रहा है। लोग कहते हैं कि  नियमित नालों की सफाई जरूरी है।

लेकिन सफाई कर्मियों को इसे सड़क किनारे फेंकने की बजाय तुरंत हटा देना चाहिए लेकिन वे ऐसा नहीं करते। कोकर के चूना भट्टा इलाके के निवासी राकेश प्रसाद ने दावा किया कि नालियों से एकत्र किए गए कचरे को कभी-कभी कई दिनों तक सड़क पर छोड़ दिया जाता है।

आरएमसी के सहायक नगर आयुक्त, कुँवर सिंह पाहन ने कहा कि नालियों से एकत्र किए गए कचरे को सूखने के लिए कुछ घंटों के लिए धूप में रखा जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि जब कचरे को ट्रकों में झिरी डंपिंग के लिए ले जाया जाए, तो यह सड़कों पर न फैले। लेकिन, अगर कूड़ा कई दिनों तक खुले में छोड़ा जा रहा है तो यह गंभीर मामला है। इसे भी शीघ्र ठीक करा लिया जाएगा।

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