न्यूयार्कः अमेरिका में भी अडाणी के बड़े निवेशकों से निवेश संबंधी जांच हो रही है। दरअसल अडाणी समूह ने निवेशकों के भरोसे को वापस पाने के लिए शेयरों को गिरवी रखकर लिए गए कर्ज लौटाने की स्ट्रैटजी अपनाई और इनवेस्टर रोडशो किया जिसमें कंपनी की सेहत और आगे की योजनाओं के बारे में प्रेजेंटेशन दिया गया।
हिंडनबर्ग रिसर्च के झटके से उबरने के लिए अदाणी ग्रुप ने इनवेस्टर रोडशो किया था। इसके तहत उसने निवेशकों के भरोसे के लिए बातचीत की। अब इस पर अमेरिकी नियामक की नजर पड़ी है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक न्यूयॉर्क ब्रूकलिन के अमेरिकी अटार्नी ऑफिस अदाणी ग्रुप के बड़े शेयरहोल्डर्स से पूछा है कि ग्रुप के साथ उनकी क्या बातचीत हुई।
अटार्नी ऑफिस पिछले कुछ महीने से इस पर जांच कर रही है। इसी प्रकार की एक जांच अमेरिकी बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन भी कर रही है। याद दिला दें कि हिंडनबर्ग के आरोपों पर अदाणी ग्रुप के शेयर धड़ाम से गिर गए। निवेशकों के भरोसे को वापस पाने के लिए शेयरों को गिरवी रखकर लिए गए कर्ज लौटाने की स्ट्रैटजी अपनाई और इनवेस्टर रोडशो किया जिसमें कंपनी की सेहत और आगे की योजनाओं के बारे में प्रेजेंटेशन दिया गया। अब इसी बात को लेकर अमेरिका में जांच शुरू हो गई कि अदाणी ग्रुप ने निवेशकों से क्या बातचीत की
हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी को एक रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप की कंपनियों पर स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड का आरोप लगाया था। ग्रुप ने इन सभी आरोपों से इनकार किया लेकिन ग्रुप की कंपनियों के शेयर इस झटके को संभाल नहीं सके और धड़ाम से गिर गए। इसके बाद निवेशकों के भरोसे को वापस पाने के लिए शेयरों को गिरवी रखकर लिए गए कर्ज लौटाने की स्ट्रैटजी अपनाई और इनवेस्टर रोडशो किया जिसमें कंपनी की सेहत और आगे की योजनाओं के बारे में प्रेजेंटेशन दिया गया।
इधर अदाणी ग्रुप की कंपनियों को लेकर हिंडनबर्ग के आरोपों की जांच भारत में सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया भी कर रही है। सेबी इस बात की जांच कर रही है कि क्या अदाणी ग्रुप ने मार्केट से जुड़े किसी भी नियम का उल्लंघन किया है? यह जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हो रही है और पहले इसके लिए 2 मार्च को कोर्ट ने सेबी को 2 महीने का समय दिया था।
हालांकि फिर सेबी ने अतिरिक्त समय मांगा तो 17 मई को सेबी की याचिका पर 14 अगस्त तक का समय दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसके बाद अगर जरूरत पड़ी तो 30 सितंबर तक का समय दिया जा सकता है। सेबी को इस मामले की जांच कर 2 मई को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रिपोर्ट सबमिट करनी थी। लेकिन अब सेबी ने कोर्ट से इस जांच के लिए और समय मांगा है।
न्यायालय में दायर एक आवेदन में सेबी ने कहा, वित्तीय गलत बयानी, विनियमों की धोखाधड़ी या लेनदेन की धोखाधड़ी से संबंधित संभावित उल्लंघनों का पता लगाने की कार्रवाई को पूरा करने में छह और महीने लगेंगे। सेबी ने अपने आवेदन में कहा कि 12 संदिग्ध ट्रांजेक्शन की जांच से पता चलता है कि ये जटिल हैं और इनमें कई सब-ट्रांजेक्शन शामिल हैं।
इन लेनदेन की एक सख्त जांच के लिए वेरिफिकेशन सहित डिटेल में एनालिसिस के साथ ही अलग-अलग स्रोतों से मिले आंकड़ों को मिलाने की जरूरत होगी। अडाणी ग्रुप ने बयान में कहा, इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर सेबी के एप्लिकेशन में किसी भी कथित गड़बड़ी का कोई निष्कर्ष नहीं है। अदाणी ग्रुप ने आगे कहा कि सेबी का आवेदन केवल शॉर्ट-सेलर की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का हवाला देता है, जो अभी भी जांच के दायरे में हैं।