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दिल्ली के अध्यादेश का मामला फंसा है
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नीतीश कुमार सबसे अधिक सक्रिय हुए हैं
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भाजपा को 119 का आंकड़ा प्राप्त करना होगा
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः भाजपा को लोकसभा चुनाव के पहले ही बैकफुट पर लाने तथा पूरे देश को एक स्पष्ट संदेश देने की नीतीश कुमार की चाल अब मूर्त रूप ले रही है। दरअसल दिल्ली की चुनी हुई सरकार की शक्तियां अध्यादेश के जरिए छीन लेने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री को तेजी से काम करने का मौका मिल गया है।
यह एक ऐसा फैसला है, जिससे सभी गैर भाजपा शासित राज्य नाराज हैं। अब नीतीश कुमार इसी नाराजगी को विपक्षी एकता के धागे में पिरोना चाहते हैं। किसी भी अध्यादेश को कानूनी जामा पहनाने के लिए उसे संसद के दोनों सदनों से पारित कराना पड़ता है। लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के पास स्पष्ट बहुमत है। इसलिए वहां भाजपा को कोई परेशानी नहीं होगी।
असली मामला राज्यसभा में आकर फंस जाएगा। भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के पास 329 सांसदों के साथ लोकसभा में पर्याप्त बहुमत है, लेकिन 238 सदस्यीय राज्यसभा में भगवा पार्टी के पास 93 सांसद हैं। यह मानते हुए कि सभी सदस्य उपस्थित होंगे और मतदान करेंगे, भाजपा को 119 पार करने की आवश्यकता है।
दूसरी तरफ इसके अलावा, आप के राज्यसभा में 10 सांसद हैं और उसे अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी, कांग्रेस, जिसके 31 सांसद हैं, को पटाने की आवश्यकता होगी। कांग्रेस के बिना, यह भविष्यवाणी करना मुश्किल है कि अन्य विपक्षी दल अंततः कैसे पक्ष लेंगे।
वर्तमान में, राज्यसभा में विपक्षी खेमा में टीएमसी – 12 सांसद, डीएमके – 10 सांसद, टीआरएस – 7 सांसद, राजद – 6 सांसद, सीपीआई (एम) – 5 सांसद, जद (यू) – 5 सांसद, तेदेपा – 1 सांसद, राकांपा – 4 सांसद, समाजवादी पार्टी – 3 सांसद, शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे- 3 सांसद, भाकपा – 2 सांसद, झामुमो – 2 सांसद हैं।
अन्य छोटे दलों जैसे एजीपी, आईयूएमएल, जेडी (एस), केरल कांग्रेस, मरुमलार्ची डीएमके, आरएलडी, तमिल मनीला कांग्रेस (मूपनार) और टीडीपी के पास राज्य में एक-एक सांसद हैं। कांग्रेस के बिना, ये 77 तक पहुंचते हैं। कांग्रेस का साथ मिला तो यह संख्या 108 हो जाती है।
अध्यादेश के खिलाफ समर्थन जुटाने के लिए नीतीश कुमार ने हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की थी. जबकि शुरुआती संकेतों ने सुझाव दिया था कि कांग्रेस आप का समर्थन करेगी, वेणुगोपाल ने सभी अटकलों को खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में दिल्ली सरकार की एनसीटी की शक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ लाए गए अध्यादेश के मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लिया है। यह अपनी राज्य इकाइयों और अन्य समान विचारधारा वाले दलों से परामर्श करेगा। लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में तथा कर्नाटक में आम आदमी पार्टी की चुनौती नहीं होने के बाद ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस भी इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी का साथ देगी।