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पानी के लिए राजधानी में हाहाकार

  • पहले से ही मौसम विभाग ने चेतावनी दी थी

  • अगले पांच वर्षों में जलशून्य होने का खतरा है

  • पानी के लिए रात को ही लाइन लग रही हैं

राष्ट्रीय खबर

रांचीः रांची के अनेक इलाके में भीषण जलसंकट है। जैसे जैसे गर्मी बढ़ी है वैसे वैसे यह जलसंकट भी बढ़ा है। शहर के सूखाग्रस्त समझे जाने वाले इलाकों में अब हर रोज बोरवेल भी फेल कर रहे हैं। कोई वैकल्पिक इंतजाम नहीं होने की वजह से अब लोगों और खास कर घर की महिलाओं को दूर दूर जाकर किसी तरह पानी लाना पड़ रहा है।

यह भीषण स्थिति तब है जबकि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने रांची के बारे में पिछले जनवरी माह में ही चेतावनी दे दी थी। इस चेतावनी में कहा गया था कि देश के पांच शहर भीषण गर्मी में जलशून्य हो सकते हैं। दूसरी तरफ जिन डैमों से शहर को जलापूर्ति होती है, उनका जलस्तर भी काफी कम हो गया है।

साथ ही वहां से आने वाले जल में प्रदूषण अधिक होने की वजह से अनेक इलाकों में लोग पेट की बीमारी से पीड़ित होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। दूसरी तरफ रांची नगर निगम ने पिछले मार्च माह में जो दावा किया था, वे भी रांची के लिए अपर्याप्त साबित हो गये हैं।

निगम ने गर्मियों के करीब आते ही पूरे शहर में कई स्थानों पर पानी की आपूर्ति प्रदान करने के लिए कमर कस ली है। कुल 53 वार्डों में गर्मियों में पानी की कमी को दूर करने के लिए नागरिक निकाय जल भंडारण टैंकरों की संख्या का विस्तार करेगा। 15 अप्रैल से पानी की आपूर्ति शुरू करने का एलान किया गया था।

अब निगम के इन टैंकरों को पानी कहां से मिले, इसकी चुनौती खड़ी हो गयी है। मार्च माह में दावा किया गया था कि परिस्थितियों के आधार पर वार्ड की जरूरत के अनुसार आपूर्ति जल्दी शुरू की जा सकती है। आरएमसी मांग के अनुसार मौजूदा 30 टैंकरों की संख्या में वृद्धि करेगा।

उधर मौसम विज्ञान विभाग ने जनवरी माह में ही कह दिया था कि दक्षिण पश्चिम मानसून के आने तक भूजल की भीषण समस्या होगी। जिन पांच शहरों को इसके बारे में आगाह किया गया था, उनमें रांची शामिल था। झारखंड की राजधानी के बारे में कहा गया था कि रांची में गर्मी आने से पहले ही नलों से पानी आना बंद हो जाता है।

स्थानीय लोग पानी के लिए कतार में खड़े हैं। कई स्थानों पर अब लोगों ने पानी के बंटवारे के मुद्दों पर लड़ते हुए पाया जा रहा है। इसकी वजह है कि शहर का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। लगभग पांच दशक पहले, 100 से अधिक तालाब और छोटे जल निकाय थे, अब यह 40 से भी कम है।

रांची नगर निगम ने 2017 में एक हलफनामे में एक अदालत को बताया कि उसे इसकी आवश्यकता है निकट भविष्य में कुछ 22 जल निकायों का संरक्षण। इतना कुछ जानकारी में होने के बाद भी वैकल्पिक व्यवस्था शून्य है। ऊपर से बिजली के संकट की वजह से जिनके पास अपनी बोरिंग हैं, वे भी समय पर पंप नहीं चला पा रहे हैं।

नतीजा है कि कम साधनहीन ही नहीं सामान्य इलाकों में भी लोगों को पानी के लिए रात को लाइन में लगना पड़ रहा है। इस बारे में सरकार की तरफ से कोई राहत का एलान भी नहीं किया गया है।

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