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नईदिल्लीः कर्नाटक चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई के अलावा किसी ने पराजय की जिम्मेदारी नहीं ली है। हर सफलता पर मोदी की सफलता का बखान करने वालों ने इस पराजय पर मुंह बंद कर रखा है। जिस तरीके से पूरी बात को सजाया जा रहा है, उससे संकेत मिल रहे हैं कि मोदी का करिश्मा अब भी कायम है, इस बात को कायम रखने की पुरजोर कोशिश भाजपा के अंदर हो रही है।
इसलिए राजनीति के जानकार मानते हैं कि भाजपा संगठन की सच्चाई बताने वाले पार्टी के महासचिव (संगठन) बी एल संतोष अब इस गुट के निशाने पर आ गये हैं। चर्चा है कि डैमेज कंट्रोल में इस बार भाजपा के अखिल भारतीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष ने मोदी-शाह के सूत्र काटने की तैयारी शुरू कर दी है।
ये बीएल संतोष बंगाल के प्रभारी भी रहे। यहां टूटे संगठन के बारे में केंद्रीय नेतृत्व को रिपोर्ट करने वाले वे पहले व्यक्ति थे। हालांकि, तब भी भाजपा बंगाल का संगठन तय नहीं कर पाई थी। इस बीच, आरएसएस 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक नया संगठन मंत्री नियुक्त करने जा रहा है। और अगर ऐसा होता है तो बंगाल समेत देश के कई राज्यों में पार्टी की सत्ता का केंद्र बदल जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक संतोष की इस संभावित विदाई घड़ी को लेकर बंगाल-भाजपा के कई प्रभावशाली नेता चिंतित हैं। बंगाल भाजपा के पुराने नेताओं का आरोप है कि 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले संतोष और तत्कालीन आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचारक प्रदीप जोशी बंगाल में जमींदारी चलाते थे।
भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष और संगठन सचिव सुब्रत चट्टोपाध्याय का इन दोनों से मतभेद था। हालांकि बाद में दिलीप-सुब्रत को हटना पड़ा। संतोष को मैनेज कर प्रदेश कमेटी में जगह बनाने वाले कई नेताओं को अब पद छिनने का डर सताने लगा है।
दूसरी ओर, अखिल भारतीय समिति और राज्य समिति में आरएसएस के उम्मीदवारों को महासचिव (संगठन) के रूप में नियुक्त किया जाता है। अब बीएल संतोष की विदाई की घंटी बज चुकी है। मोदी-शाह उन पर इस कदर सवार हैं कि कर्नाटक संतोष का गृह राज्य होने के बावजूद उन्हें चुनाव में नहीं उतरने दिया गया।
संतोष के संबंध पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से बहुत खराब हैं। सिद्धारमैया ने मुख्यमंत्री रहते हुए बीएल संतोष को कर्नाटक छोड़ने के लिए प्रभावित किया। सूत्रों के मुताबिक संतोष ने अखिल भारतीय भाजपा के शीर्ष पद की ताकत का इस्तेमाल कर सिद्धारमैया को बीच में ही मुख्यमंत्री पद से हटा दिया। एक भाजपा नेता ने कहा, बीएल संतोष उस स्थिति में बैठे और बंगाल सहित कई राज्यों में अपने लोगों को स्थापित करना शुरू कर दिया।
लिहाजा अगर संतोष अपना पद खोते हैं तो बंगाल के जैसा कर्नाटक में भी उनकी पसंद के लोग किनारे लगा दिये जाएंगे। बंगाल से भाजपा के एकमात्र प्रदेश अध्यक्ष रहे सुकांत मजुमदार चुनाव प्रचार के लिए कर्नाटक गए थे। नतीजों से साफ है कि संतोश के समर्थक नेता भाजपा के खाता में कुछ जोड़ नहीं पाये हैं। इसलिए मोदी-शाह यह जानकर खुश हैं कि पार्टी में आज का गुटबाजी संतोष के लिए है। ऐसे में कर्नाटक की हार के लिए बीएल संतोष को ही बलि का बकरा बनाना ज्यादा आसान हो गया है।