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गांव के बाहर बने मचान से होती है नजरदारी

  • बंगाल के आसनसोल में आ गये हैं कई अपराधी

  • अब तो धंधे में दूसरी पीढ़ी को भी लगा दिया है

  • लोगों का लोभ ही इनकी कमाई का असली कारण

एस दासगुप्ता

कोलकाताः जामताड़ा गैंग से जुड़े लोगों के गांवों की कहानी लगभग एक जैसी है। हर गांव के मैदान में छोटे-छोटे अहाते। वहीं से बैंक अधिकारी आम लोगों को बुलाते थे। गांव के बाहर किसी पेड़ पर बना है एक मचान, जिस पर कोई न कोई तैनात रहता है। उसकी जिम्मेदारी गांव की तरफ आने वाले वाहनों पर नजर रखना है और अगर पुलिस की गाड़ी आती दिखे तो लोगों को सतर्क करना है।

कई बार इन मचानों से भी ठगी का ऑनलाइन धंधा संचालित किया जाता है। मचान से ऑपरेशन चलाने की वजह, पुलिस आ रही है या नहीं, दूर से ही देखा जा सकता है। जब जामताड़ा गैंग का नाम पूरे देश में कुख्यात हुआ तो स्थानीय पुलिस भी मजबूरी में सतर्क हुई। किसी न किसी राज्य की पुलिस के वहां पहुंचने की वजह से स्थानीय पुलिस ने वर्ष 2018 में जामताड़ा में साइबर क्राइम ब्रांच खोली गई।

जामताड़ा गैंग के इलाकों तक पहुंचने के पहले ही नजरों में आ जाएंगेजामताड़ा पुलिस के मुताबिक तब से अब तक करीब 700 जालसाजों को गिरफ्तार किया जा चुका है. एक सौ सात मुकदमे दर्ज किए गए हैं। वर्ष 2012 के अंत तक करीब 82 लाख की ठगी की वसूली की जा चुकी है। डेढ़ हजार मोबाइल और ढाई हजार से अधिक सिम कार्ड जब्त किए गए हैं। 150 से अधिक मोटरसाइकिल और 30 कारें जब्त की गई हैं। हालांकि, धोखाधड़ी की राशि की तुलना में बरामद पैसा वाकई बहुत कम है, ऐसा पुलिस को लगता है।

साइबर क्राइम ब्रांच के अधिकारियों का दावा है कि पहले तो जालसाजों ने इस पेशे को इतना अपना लिया है कि वे इसे अगली पीढ़ी को भी सिखा रहे हैं. हाल ही में कुख्यात साइबर अपराधी गफ्फार अंसारी को करमाटांड़ के ताराभल गांव से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस के मुताबिक जिरह के दौरान धीरता ने कहा कि उसने अपने बेटे को भी इस काम में प्रशिक्षित किया था।

दूसरा, जालसाज अब केवल जामताड़ा से काम नहीं करते हैं। पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए ये अलग-अलग इलाकों में फैल गए हैं। सीमा पार कर इन्होंने पश्चिम बंगाल के आसनसोल, दुर्गापुर, अंडाल, कुल्टी के अलग-अलग इलाकों में गुप्त शिविर लगा रखे हैं. वहां से ठगी का सिलसिला इसी तरह चलता रहता है।

जामताड़ा की साइबर अपराध शाखा के डीएसपी मजरुल होदा ने कहा, हम इसके लिए पश्चिम बंगाल पुलिस के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। आसनसोल-दुर्गापुर के पुलिस आयुक्त सुधीरकुमार नीलकांतम ने कहा कि पश्चिम बर्दवान के 42 पुलिस थानों और चौकियों में साइबर हेल्प डेस्क बनाए गए हैं।

जामताड़ा के विशाल पांडेय को हाल ही में पंथ के शीतलपुर में कैंप लगाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जामताड़ा की पहल है कि युवाओं को शिक्षित करके, उन्हें आय का एक स्वस्थ स्रोत प्रदान करके इस अपराध से दूर किया जाए।

इसी क्रम में पता चला कि बंगाल का आसनसोल अब जामताड़ा बन चुका है। यहां से साइबर ठगी को अंजाम दिया जा रहा है, अलग-अलग मैसेज के जरिए लोगों को लूटने का पूरा इंतजाम किया जा रहा है। इस समय लोगों को अपने फोन में दो मैसेज जरूर आ रहे हैं, एक ये कि आपका बिलजी कनेक्शन कटने वाला है और दूसरा वर्क फ्रॉम होम को लेकर।

इन दोनों ही मैसेज में एक बात कॉमन है, बड़े स्तर पर ठगी। अगर बिजली वाले मैसेज पर क्लिक किया जाए तो भी अकाउंट खाली होने का डर है और अगर वर्क फ्रॉम होम वाले लिंक पर क्लिक किया जाए तो भी फोन का सारा डेटा इन जालसाजों के पास पहुंच सकता है। लेकिन अब क्योंकि लोग जागरूक हुए हैं और पुलिस ने जामताड़ा से कई युवकों को गिरफ्तार किया है, ये ठगी वाला कारोबार शिफ्ट हो गया है।

एक और साइबर अपराधी ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि जामताड़ा में अब काम करना काफी मुश्किल हो गया है। ऐसी स्थिति बन गई है कि पुलिस हर कॉल पर नजर रख रही है।बताया जा रहा है कि आसनसोल में इन अपराधियों के कई रिश्तेदार रहते हैं, ऐसे में वे आसानी से एक दूसरे राज्य से अपने धंधे को संचालित कर पाते हैं।

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