रांचीः प्रदेश पासवा अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने बायोम मेडिकल कोचिंग संस्थान को पत्र भेजकर एवं व्हाट्स अप कर तीन दिनों के अंदर स्पष्टीकरण मांगा है वरना कारवाई करने की चेतावनी दी है।बायोम कोचिंग संस्थान और उसके फर्जीवाड़े से झारखंड की जनता अब भलिभांति परिचित हो चुकी है।
अखबार की सुर्खियां बनने के बाद इस फर्जीवाड़े का असर अब दिखने लगा है। जब आप गलत कर रहे होते हैं तब आप एक दबाव महसूस करते हैं और बायोम द्वारा जो दबाव महसूस किया जा रहा है उसका असर अब धीरे-धीरे सामने आ रहा है। टॉपर के नाम और चेहरे को लेकर मचे बवाल के बाद अब धीरे- धीरे शहर में और भी नये बैनर पोस्टर लगने लगे हैं। कई जगहों पर आपको नये बैनर दिखेंगे , जिनमें आशीष की तस्वीर है।
ये सब सिर्फ इसलिए हो रहा है क्योंकि जिस छात्र आशीष और उसके टॉपर होने को लेकर यह सारा फर्जीवाड़ा सामने आया उसी छात्र का एक और वीडियो भी सामने आ चुका है। अपने पहली वीडियो में जहां छात्र आशीष ने यह कहा था की उसके नाम का बायोम संस्थान के द्वारा गलत इस्तेमाल किया जा रहा है वही अब दूसरे वीडियो में उसका कहना है कि ऑनलाइन क्लास के दौरान उसे जो नोट्स उपलब्ध कराए गए थे वह बायोम संस्थान के थे।
लेकिन जब आप दोनों वीडियो को देखेंगे तब आप स्वयं अंदाज़ा लगायेंगे की निडरता के साथ वीडियो बनाने में और मन में डर रखकर वीडियो बनाने में बहुत अंतर होता है, छात्र के चेहरे के हाव-भाव और उसकी बोली सब कुछ बयां कर देती है , दोनों वीडियो को देख कर ही समझ में आ रहा है कि किस वीडियो में निडरता दीख रही है और किस वीडियो में बायोम के निदेशक का प्रभाव।
इतनी हाय तौबा के बाद भी संस्थान के द्वारा वापस से बैनर पोस्टर लगाना साफ-साफ दर्शाता है कि प्रेशर में आकर यह सब किया जा रहा है,साथ है झारखंड की जनता को यह भी बताना चाहते हैं कि आपके पास फर्जीवाड़े का लाइसेंस है,इसलिए तो एडमिशन के पिक समय पर बैनर पोस्टर नए सिरे से लगाने और उतारने की जरूरत पड़ रही है।
जहां इस मामले के खुलासे के बाद संस्थान के संचालक स्वयं सामने आकर कहते हैं कि हां उन्होंने यह सब किया है और ऐसा सभी करते हैं, फिर अचानक छात्र आशीष के दूसरे वीडियो के वायरल होने का क्या मतलब है। यह साफ-साफ दर्शाता है कि संस्थान भी प्रेशर में है और अपने उसी प्रेशर में आकर संस्थान द्वारा छात्र पर भी दबाव बनाया गया है।
जहां सामने आकर संस्थान को अपनी गलती पर माफी मांगी चाहिए थी और दोबारा ऐसा कुछ ना हो इसका जनता को भरोसा दिलाना चाहिए था, क्योंकि एक संस्थान के गलत हरकत का परिणाम कई कोचिंग संस्थानों को भुगतना पडेगा। लेकिन दूसरी ओर संस्थान द्वारा ऐसा ना कर इस मामले को और तूल दिया जा रहा है और यह दिखाने की कोशिश की जा रहे हैं कि आपके पास झारखंड की जनता को ठगने का लाइसेंस है।यह पूरा मामला छात्रों के भविष्य से जुड़ा है इसलिए बेहद ही गंभीर मामला है और ऐसे मामलों में कानूनी कार्रवाई एवं राजनैतिक व सामाजिक कारर्वाई अवश्य होनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी संस्थान छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने की हिम्मत ना कर सके।