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चिकित्साकर्मियों की मांगों के समर्थन में मुख्यमंत्री से आग्रहः आलोक दुबे

रांचीः प्रदेश कांग्रेस कमिटी के वरिष्ठ नेता आलोक कुमार दूबे,लाल किशोर नाथ शाहदेव एवं डॉ राजेश गुप्ता छोटू ने पारा चिकित्सा कर्मियों के नियमितीकरण एवं मानदेय बढ़ाने को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को पत्र लिखा है एवं इस बाबत उचित कार्रवाई करने को लेकर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, विधायक दल नेता आलमगीर आलम एवं मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को भी प्रतिलिपि दी गई है।

इस पत्र में कहा गया है कि स्थायीकरण एवं वेतन वृद्धि की मांग को लेकर राज्य के लगभग सात हजार पारा चिकित्सा कर्मी राजभवन के समक्ष पिछले 23 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल एवं 16 दिनों से आमरण अनशन पर आन्दोलनरत हैं।

15 वर्षों से अनुबंध पर कार्यरत  एएनएम,जीएनएम, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, एक्स-रे टेक्नीशियन पूरे राज्य से हजारों की संख्या में ठंढ़ के दिनों में नियमितीकरण की मांग को लेकर सरकार से गुहार कर रहे है।आमरण अनशन के दौरान कई स्वास्थ्य कर्मी अस्पताल में गंभीर अवस्था में एडमिट भी हुए हैं।

कोविड-19 जैसी गंभीर परिस्थितियों में फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में पारा चिकित्सा कर्मियों ने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए राज्य की जनता को भरपूर सेवा दी है।ऐसे में इनके योगदान को प्रोत्साहित करने एवं पुरस्कृत करने का वक्त है।

30 जनवरी को हम तीन सदस्यीय कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल राजभवन पहुंचकर अनशन पर बैठे चिकित्सा कर्मियों से मुलाकात की थी।इस दौरान इनके प्रतिनिधियों ने बताया कि काम के हिसाब से उन्हें वेतन और सरकारी सुविधाएं तो नहीं मिलती हैं,महंगाई के इस युग में जो मानदेय मिलता है उससे पेट पालना भी मुश्किल है। जबकि स्थायी कर्मियों की तुलना में अनुबंध पर कार्यरत कर्मी ज्यादा काम भी करते हैं और हमें 3 गुना  तनख्वाह भी कम मिलता है।

कांग्रेस नेताओँ ने लिखा है कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार पुरानी पेंशन योजना, आंगनबाड़ी सेविका सहायिका, मनरेगा कर्मियों के मानदेय में वृद्धि, पारा शिक्षकों के लिए बेहतर निर्णय जैसे काम किए हैं, नियमितीकरण के मामले में भी कार्य शुरू हो चुके हैं।

पारा चिकित्सा कर्मियों का कोरोना काल में योगदान अमूल्य है अतुलनीय है।ये सभी चिकित्सा कर्मी दक्ष लोग हैं और झारखण्ड के स्थायी निवासी हैं और सबसे बड़ी बात वास्तविकता में पारा चिकित्सा कर्मी असली कोरोना योद्धा हैं।

वहीं दूसरी तरफ सबसे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि 22 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल व अनशन पर बैठे चिकित्सा कर्मियों से मिलने या संवाद स्थापित करने की पहल अधिकारी क्यों नहीं करते हैं यह समझ के परे हैं,इसे गंभीरता पूर्वक संज्ञान में लेने की आवश्यकता है।

यह सिर्फ चिकित्सा कर्मियों की बात नहीं है,कहीं भी अधिकारी आन्दोलन कारियों से बात करने में अपनी तौहीन समझते हैं। माननीय मुख्यमंत्री से निवेदन है कि आन्दोलन पर बैठे चिकित्सा कर्मियों का मानदेय बढ़ाते हुए स्थायीकरण करने की दिशा में निर्णय हो एवं साथ ही साथ जिस विभाग में भी अनुबंध पर कर्मी कार्यरत हैं उन्हें स्थाई करना चाहिए। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस संदर्भ में आदेश पारित किया है।

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