राष्ट्रीय खबर
बेंगलुरुः सुनने में असंभव सा लगता है। हम जानते हैं कि सूर्य की रोशनी की वजह से हर चीज की एक छाया बनती है। अगर वह छाया या यूं कहें कि साया ही गायब हो जाए, तो सुनने में बड़ा अजीब लगता है। अनेक बार बचपन में भूतों की कहानी सुनाते वक्त घर के बुजुर्ग इस बिना छाया वाले इंसान का जिक्र किया करते थे।
इस बार बेंगलुरु में यह बात सही साबित हुई। इस बारे में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने पहले ही एलान कर दिया था। इसी वजह से लोगों में इसके प्रति उत्सुकता काफी अधिक थी। इसमें एक निश्चित समय पर, इस शहर में, नब्बे डिग्री जमीन पर खड़े होकर, यानी लंबवत, कोई भी व्यक्ति बिना साये का होगा।
इस खास पल को सेलिब्रेट करने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स की तरफ से खास इंतजाम किया था। ऐसा क्यों हो रहा है, यह एक स्वाभाविक प्रश्न था। इस बारे में जानकारी दी गयी है कि ऐसी घटनाएं कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच के क्षेत्र में हो सकती हैं। बेंगलुरु में भी ऐसा ही हुआ, जिसमें लोगों ने गोलाकार में खड़े होकर इस घटना को खुद महसूस किया।
वैसे भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान ने ऐसी घटना 18 अगस्त को भी होने की बात कही है। यह बताया गया है कि इसके पीछे का कारण सूर्य की स्थिति है। जब सूर्य सीधे सिर के ऊपर होता है, तो जमीन से 90 डिग्री पर किसी वस्तु की छाया दिखाई नहीं देती है। इसीलिए इसे छायाविहीन अवस्था कहा जाता है। जिस दिन ऐसा होता है उसे जीरो शैडो डे कहा जाता है। इस दुर्लभ क्षण को मनाने के लिए भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान ने इस दिन एक पैनल चर्चा का आयोजन किया। छाया बदलने के साथ सूर्य की स्थिति कैसे बदलती है, यह भी यहां दिखाया गया। दिन के दोपहर 12 बजकर 17 मिनट पर हुई इस घटना को अनेक लोगों ने देखा।