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संयुक्त राष्ट्र ने जारी किया है नया आंकड़ा
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चीन में आबादी घटना राष्ट्रीय चिंता का विषय
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जापान भी घटती आबादी की स्थिति से परेशान है
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः जनसंख्या के हिसाब में अब भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है। अब भारत की आबादी 142.86 करोड़ होने की वजह से वह दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक, भारत की लगभग एक चौथाई आबादी 14 साल से कम उम्र की है।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा आज जारी आंकड़ों से पता चलता है कि चीन को पछाड़कर भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार चीन की 142.57 करोड़ की तुलना में भारत की जनसंख्या 142.86 करोड़ है। 1950 में जनसंख्या डेटा एकत्र करना शुरू करने के बाद से यह पहली बार है कि भारत ने सबसे अधिक आबादी वाले देशों की संयुक्त राष्ट्र सूची में शीर्ष स्थान हासिल किया है।
जन्म दर घटने और इसके कार्यबल की उम्र बढ़ने के कारण चीन को जनसांख्यिकीय गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। कई क्षेत्रों ने भी जन्म दर को बढ़ावा देने की योजनाओं की घोषणा की है लेकिन आधिकारिक प्रयास अभी तक गिरावट को उलटने में विफल रहे हैं। भारत में कितने लोग हैं, इस पर कोई हालिया आधिकारिक डेटा नहीं है क्योंकि इसने 2011 से जनगणना नहीं की है। भारत में एक दशक में एक बार जनगणना 2021 में होने वाली थी, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण इसमें देरी हुई।
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक, भारत की लगभग एक चौथाई आबादी 14 साल से कम उम्र की है। 68 प्रतिशत आबादी 15 से 64 आयु वर्ग में है, जबकि 7 प्रतिशत 65 वर्ष से अधिक आयु के हैं। विभिन्न एजेंसियों के अनुमानों ने सुझाव दिया है कि भारत की जनसंख्या लगभग तीन दशकों तक बढ़ती रहने की उम्मीद है, इससे पहले कि यह 165 करोड़ पर पहुंच जाए और फिर घटने लगे।
संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि 2023 के मध्य तक वैश्विक जनसंख्या 8.045 बिलियन तक पहुंच जाएगी। अन्य देश, ज्यादातर यूरोप और एशिया में, आने वाले दशकों में जनसांख्यिकीय मंदी की उम्मीद कर सकते हैं, पिछले जुलाई में प्रकाशित संयुक्त राष्ट्र के अन्य आंकड़ों के अनुसार, जो भविष्यवाणी करते हैं कि दुनिया की आबादी अब और 2100 के बीच कैसे विकसित होगी।
वैसे भारत के लिए यह गर्व का विषय होने के साथ साथ गंभीर चुनौतियों का भी विषय है। इतनी अधिक आबादी के लिए भोजन सहित अन्य संसाधन उपलब्ध कराना कोई आसान चुनौती नहीं है। वैसे यह समझा जा सकता है कि इसके जरिए भारत अपनी अर्थव्यवस्था में जबर्दस्त सुधार कर सकता है। चीन की आबादी में अब तेजी से बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है।
दूसरी तरफ एक अन्य विकसित देश जापान में तेजी से जनसंख्या घट रही है। इन दोनों देशों के पास अपनी खेती और उद्योग के लिए पर्याप्त श्रमिकों का भी अभाव सामने आने वाला है। इसलिए हाल के दिनों में संभावित स्थिति को भांपते हुए कई दूसरे देश भी अब पहले से ही भारत के साथ कारोबार बढ़ाने में जुट गये हैं। कोरोना के दौरान भारतीय दवा उद्योग ने अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों को पीछे छोड़ दिया था। सिर्फ खांसी की दवा में जहर का मामला सामने आने की वजह से उसमें गिरावट आयी है।