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चार हजार वर्षों से वहां लगातार जल रहा है एक पहाड़

  • अब यह स्थान वैश्विक पर्यटन स्थल है

  • वैज्ञानिक मानते हैं मिथेन भंडार है नीचे

  • एक अग्निमंदिर भी है, जो हिंदू परंपरा है

बाकुः अजरबैजान में एक पहाड़ है, जो पिछले चार हजार वर्षों से लगातार जल रहा है। वहां के मौसम के उतार चढ़ाव से इस आग का कोई लेना देना नहीं है। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस पहाड़ के नीचे से किसी मिथेन गैस के भंडार से रिसने वाली गैस से यह आग लगी हुई है। इस आग को देखने की उत्सुकता ने इसे अब एक आकर्षक पर्यटन केंद्र बना दिया है। दुनिया भर के पर्यटक इस लगातार जलते पहाड़ के अलावा वहां के अन्य पौराणिक स्थानों को भी देखने आते हैं।

स्थानीय लोगों ने अपने पूर्वजों से मिली जानकारी के आधार पर बताया है कि यह आग पिछले चार हजार वर्षों से जल रही है। बारिश हो अथवा बर्फवारी, आग का उनसे कोई लेना देना नहीं होता। स्थानीय भाषा में इसे यानार डाग कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है जलता हुआ पहाड़। इस पहाड़ के एक छोर पर करीब दस मीटर लंबे इलाके में यह आग लगी हुई है। इस स्थान की वैश्विक चर्चा तो 13वीं सदी से ही होने लगी थी।

अब दुनिया के अन्य इलाकों के लोगों के पहुंचने का क्रम अधिक बढ़ गया है। इस वजह से वहां के अन्य पर्यटन स्थलों को भी विकसित किया गया है। इन सभी स्थानों का प्राचीन इतिहास यह बताता है कि कभी यहां हिंदू धर्म था। वैसे प्राचीन काल में यहां जोरोसट्रियन धर्म के अनुयायी भी थे। वह धर्म ईरान में विकसित हुआ था लेकिन अजरबैजान में अधिक प्रचलित हुआ।

वहां की रात में जब बर्फवारी होती है तो अनेक लोग इसे दखने एकत्रित होते हैं। दरअसल आग की लपटों की वजह से हवा गर्म होती है। इसलिए बर्फवारी होने के दौरान भी बर्फ जमीन पर गिरने के पहले ही हवा में गर्मी पाकर घुल जाती है। वैसे कुछ लोगों का कहना है कि इस आग के बारे में जो कहानी है वह अतिरंजित है और यह आग 1950 में चालू हुई थी। यह पर्यटन केंद्र यहां से करीब तीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

वहां पर जो अन्य प्राचीन अवशेष और एक अग्निमंदिर है, वह उस प्राचीन काल में यहां हिंदुओ के होने की पुष्टि करता है। यह अग्निमंदिर भी शायद किसी मिथेन गैस के छेद के ऊपर बना हुआ है, जिस कारण वहां हमेशा आग जलती रहती है। कुछ लोग कहते हैं कि 17वीं सदी में हिंदू यहां आकर बस गये थे। वहां की संरचनाओँ को देखने से भी इस बात के संकेत मिलते हैं कि प्राचीन काल में यहां हिंदु रहा करते थे।

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