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नैयर हसनैन खान की आर्थिक अपराध इकाई में हो सकती है तैनाती, देखें वीडियो

पुलिस मुख्यालय में डीजीपी ने विधि व्यवस्था को लेकर की बैठक

  • आईपीएस अमित लोढ़ा को एडीजी में प्रमोशन

  • कई पर कार्रवाई और कई के साथ पक्षपात भी

  • खान को सरकार के रिक्वेस्ट पर बिहार बुलाया गया

दीपक नौरंगी

भागलपुरः बिहार में लगातार पुलिस पर हुए हमले को लेकर मंगलवार के दिन डीजीपी विनय कुमार ने विधि व्यवस्था को लेकर समीक्षा बैठक की है पुलिस मुख्यालय के एडीजी हेड क्वार्टर कुंदन कृष्णन एडीजी सीआईडी पारसनाथ एडीजी स्पेशल ब्रांच सुनील कुमार एडीजी विधि व्यवस्था पंकज दरार सहित कई जिम्मेदार पदाधिकारी इस बैठक में शामिल थे जिले और रेंज के पुलिस पदाधिकारी ऑनलाइन के माध्यम से इस बैठक में शामिल हुए।

डीजीपी विनय कुमार ने कई गंभीर बिंदुओं पर समीक्षा बैठक की है। फील्ड में जो लापरवाह पुलिस पदाधिकारी है उन्हें हटाया भी जा सकता है। बिहार में कई चर्चित आईपीएस पदाधिकारी पर नीतीश कुमार के सुशासन में कार्रवाई हुई इस कार्रवाई में बिहार पुलिस के दो विभाग आज भी बड़े चर्चा में है।

देखने इसकी वीडियो रिपोर्ट

जिसमें आर्थिक अपराध इकाई और विशेष निगरानी इकाई विभाग सरकार के महत्वपूर्ण विभाग है। बताया जाता है केंद्र से लौट रहे सीमा सुरक्षा बल में तैनात नैयर हसनैन खान को फिर से सरकार इसी विभाग में तैनाती कर सकती है। सरकार के रिक्वेस्ट पर इन्हें फिर से बिहार बुलाया गया है।

कुछ महीना पहले ही इनकी केंद्र में सेवाओं के लिए तैनाती हुई थी। सीमा सुरक्षा बल में यह आईजी के पद पर तैनात थे। पहले इनके कार्यकाल में यह सवाल भी खड़े हुए सवालों के घेरे में भी रहे। क्यों रहे क्या कारण है इसका सच तो जानिए। किसी पर भी आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज होगा केस दर्ज होने के बाद तुरंत उसके छापामारी होगी।

बिहार में जिन आईपीएस पदाधिकारी पर आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज हुआ सभी पर छापामारी हुई लेकिन एक आईपीएस अमित लोढ़ा का बिहार में इतने प्रभावशाली माने जाते हैं कि उनके ऊपर आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज हुआ लेकिन छापामारी नहीं हुई। एक दिन के लिए वह सस्पेंड नहीं हुए विभागीय कार्रवाई नहीं हुई।

उन पर दर्ज मामले को लेकर सरकार ने उनको कहीं न कहीं एक बड़ी राहत दे दी। उनका प्रमोशन एडीजी में हो गया गया। आईजी रहते हुए जो गंभीर सवाल अमित लोढ़ा की कार्यशैली पर उठे। उसको लेकर बिहार सरकारी नहीं जांच एजेंसी ही नहीं गृह मंत्रालय तक सवालों के घेरे में है। क्योंकि यह मामला गया आईजी रहते हुए एक किट्टी नॉमिनी से जुड़ता है क्योंकि इस व्यक्ति का जन्म पाकिस्तान में हुआ है।

यह गया में आकर कैसे इसने एक संस्था बनाई और उसके तहत यह जमीन का कारोबार करने लगा। कई बड़े-बड़े आईपीएस ने गया में रहते हुए किट्टी नोमानी को पूरा सहयोग किया सीबीआई ने इन पर रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी की। लेकिन जिन पदाधिकारी ने इनको गया में रहते हुए पूरा सहयोग किया। उनकी हर गलत कार्यों में लिप्त रहे उन पर पूरा देश का सिस्टम चुप है।

यह क्या न्याय संगत है ऐसे में यह साफ तौर पर चर्चा होती है कि कानून क्या सिर्फ कमजोर लोगों के लिए बना हुआ है। जो प्रभावशाली लोग और पदाधिकारी है क्या उनके लिए कानून नहीं है। ऐसे में कहीं ना कहीं बिहार सरकार सहित बड़ी-बड़ी केंद्रीय जांच एजेंसी सवालों के घेरे में है। एक आईपीएस पदाधिकारी के यहां एक राष्ट्रपति का जाना सरकार को इतना बुरा लगा की सरकार ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में केस भी दर्ज हुआ और छापामारी भी हुई।

राकेश दुबे का करियर का चार साल बाद महत्वपूर्ण बर्बाद हुआ। जीवन पर उनका दाग भी लगा हुआ है लेकिन कोई सच जानना नहीं चाहता है। कितने को फंसाया कितने को बचाया सरकार को दोनों विभाग की जांच करानी चाहिए लेकिन बिहार में कार्रवाई के नाम पर भी पक्षपात जातिवाद हो रहा है जो किसी से छिपा नहीं है। पोस्टिंग के नाम पर भी हो रहा है यह भी किसी से नहीं छुपा है।

हाल फिलहाल बिहार में इसी वर्ष विधानसभा चुनाव है तो सरकार ने अपने रिक्वेस्ट पर केंद्र से पहले एडीजी कुंदन कृष्णन को बुलाए उन्हें दो महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी। फिर नैयर हसनैन खान को गए कुछ महीने ही हुए थे उन्हें भी सरकार ने रिक्वेस्ट पर बुला लिया है। अब सरकार उन्हें किस पद पर तैनाती रहती है या पहले जो विभाग दिए थे वही तैनाती करती है या और कोई महत्वपूर्ण विभाग की भी जिम्मेदारी दी जा सकती है, यही चर्चा का विषय है।

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