वॉयनॉड के सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने शुक्रवार को संसद में अपना पहला भाषण दिया, जिसमें संविधान के 75 साल पूरे होने पर चर्चा का इस्तेमाल करते हुए भाजपा द्वारा नेहरू-गांधी परिवार पर लगातार निशाना साधने का जवाब दिया और पूछा, क्या यह सब नेहरूजी की जिम्मेदारी है?
उनके भाषण में पिछले स्पीकर राजनाथ सिंह द्वारा उनके परिवार और पार्टी पर किए गए हमलों का बिंदुवार खंडन शामिल था, जिसकी भाई और विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सराहना की, जिन्होंने कहा कि उनके पहले भाषण ने उनके भाषण को पीछे छोड़ दिया है।
प्रियंका की यह बात सीधे पूरे देश तक पहुंची कि अतीत के बारे में शिकायत से वर्तमान की चुनौतियां कम नहीं होगी। जो सरकार में बैठे हैं, वे वर्तमान की बात करें और अपनी जिम्मेदारी बताएं। इससे पहले केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था, जब भी संविधान और सत्ता के बीच चुनाव करना होता है, तो कांग्रेस सत्ता को चुनती है।
प्रियंका ने राजनाथ पर सीधा हमला किया और आपातकाल के काले दिनों का हवाला देते हुए सत्ताधारी दलों से अतीत से सीखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार बैलेट पेपर से चुनाव कराती तो सब कुछ साफ हो जाता।
प्रियंका ने अपनी मां सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पति रॉबर्ट वाड्रा की मौजूदगी में बिना नाम लिए अपने परदादा नेहरू का बचाव किया और उनकी प्रशंसा की।
उन्होंने कहा, जिनका नाम आप कभी-कभी बोलने में झिझकते हैं, जबकि कभी-कभी खुद को बचाने के लिए इसका खुलकर इस्तेमाल करते हैं, उन्होंने एचएएल, भेल, सेल, गेल, ओएनजीसी, एनटीपीसी, रेलवे, आईआईटी, आईआईएम, तेल रिफाइनरियां और कई सार्वजनिक उपक्रम स्थापित किए।
अपने 32 मिनट के भाषण में प्रियंका ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने बार-बार संविधान के सामने सिर झुकाया, लेकिन हिंसाग्रस्त संभल और मणिपुर से न्याय की गुहार के प्रति गहरी अवमानना दिखाई।
उन्होंने कहा, शायद वह यह नहीं समझ पाए हैं कि भारत का संविधान संघ का विधान नहीं है। प्रियंका ने एक राजा के बारे में कहानी सुनाई जो आम आदमी की पोशाक पहनकर अपने शासन के बारे में लोगों की राय सुनने के लिए बाहर जाता है।
इसके बाद उन्होंने फिर से मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, लेकिन आज के राजा वेश तो बदलते हैं… लेकिन न जनता के बीच में जाने की हिम्मत है, न आलोचना सुनने की।
उन्होंने जोर देकर कहा कि डर बहुत लंबे समय तक नहीं रह सकता। इस भाषण की राहुल गांधी ने तारीफ की और कहा कि उनका भाषण मेरे भाषण से भी ज्यादा बेहतर रहा।
इसी बात पर फिल्म जवानी दिवानी का यह गीत याद आ रहा है. इस गीत को लिखा था आनंद बक्षी ने और संगीत में ढाला था राहुल देव वर्मन ने। इसे किशोर कुमार ने अपना स्वर दिया था। गीत के बोल इस तरह हैं
सामने ये कौन आया दिल में हुई हलचल
देख के बस एक ही झलक हो गये हम पागल
बातें मुलाक़ातें तो होंगी हम से भी
वो हम पे खुलेंगी कभी आज नहीं तो कल
आँखों ही आँखों में, बातों ही बातों में
कभी जान पहचान होगी
सुन लो ये कहानी, हसीना इक अनजानी
किसी दिन महरबान होगी
ज़ू ज़ु ज़ू, ज़ू ज़ु ज़ू, ज़ू ज़ु ज़ू, ज़ू ज़ु ज़ु ज़ु
सामने ये कौन आया …
रहना है यहाँ तो, दोनों हैं जवाँ तो
भला दूर कैसे रहेंगे Z
माना वो हसीं है तो हम भी कम नहीं हैं
वो मगरूर कैसे रहेंगे
ल ला र, ल ला र ल ला र, ल ला ल ल
सामने ये कौन आया …
कुल मिलाकर पहली बार संसद में गंभीर चर्चा के बीच सत्ता पक्ष को यह एहसास हो ही गया होगा कि सामने अब कौन आया है।
दरअसल हर मौके पर पिछले सत्तर साल के शासन का इस्तेमाल करने की दांव अब नहीं चलेगा, यह तो प्रियंका गांधी ने साफ कर दिया है।
लिहाजा अब मोदी खेमा को नये सिरे से तैयारी करनी पड़ेगी।अब इंडिया गठबंधन की भी बात कर लें तो ममता दीदी खुद नेता बनने को तैयार हैं और कई प्रमुख नेताओं ने इसका समर्थन भी कर दिया है।
जाहिर है कि अब इधर भी पुरानी विरासत को त्यागकर नया कुछ करने की विचार पनप रहा है। दरअसल इडी का खौफ खत्म होने के बाद विपक्ष के नेता अब मोदी की लोकप्रियता के साथ संघर्ष करने के लिए नया कुछ सोच रहे हैं।
इधर झारखंड में भी फिर से मुख्यमंत्री बनने के बाद हेमंत सोरेन ने साफ कर दिया है कि वह न सिर्फ किंग है बल्कि किंग मेकर भी है। अपने मंत्रिमंडल के चयन में कई फेरबदल से उन्होंने साफ कर दिया कि सब कुछ उनकी सोच के हिसाब से ही चलना चाहिए। इसलिए हर किसी को यह सोचना है कि सामने कौन आया है कि दिल में हलचल हो रही है।