भारतीय संसदीय इतिहास में पहली बार विपक्ष की ऐसी नाराजगी
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पहले भी नाराज हुआ था विपक्ष
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राज्यसभा में भाजपा का बहुमत
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आसन पर ऐसा आरोप पहली बार
राष्ट्रीय खबर
नईदिल्लीः कल की सूचना के मुताबिक ही विपक्ष ने राज्यसभा में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। विपक्ष ने मंगलवार को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, जो भारत के संसदीय इतिहास में इस तरह की पहली कार्रवाई है।
हालांकि कांग्रेस की ओर से कोई पुष्टि नहीं की गई, लेकिन विपक्षी दलों में से एक के सूत्रों ने कहा कि प्रस्ताव पेश किया गया है, जिस पर 65 हस्ताक्षर हैं। उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए प्रस्ताव लाने के लिए न्यूनतम आवश्यक संख्या 50 है। वैसे सदन के सदस्यों की संख्या के आधार पर इस प्रस्ताव के गिर जाने की पूरी संभावना है।
फिर भी इस किस्म की गंभीर कार्रवाई भारतीय संसदीय इतिहास में पहली बार हो रही है। दरअसल विपक्ष का सीधा सीधा आरोप है कि राज्यसभा के सभापति के आसन पर बैठकर भी वह सत्ता पक्ष का हित देखते हैं और हर बार विपक्ष के नेताओं को गंभीर बात रखने से भी टोकते हैं। इसके ठीक विपरीत वह भाजपा के सदस्यों के अनर्गल बातों पर कभी लगाम नहीं लगाते।
हाल के दिनों में चर्चा के लिए दी गयी तमाम नोटिसों को उन्होंने खारिज भी कर दिया हैं, जिसमें से कई अडाणी के अलावा देश के अन्य भागों की समस्याओं से संबंधित थे। विपक्ष ने इससे पहले अगस्त में भी धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर विचार किया था – अपनी बात साबित करना चाहता है कि पीठासीन अधिकारी ने उसे सदन में बोलने का मौका नहीं दिया।
मंगलवार को भी उच्च सदन की कार्यवाही कुछ ही घंटों में समाप्त हो गई, क्योंकि भाजपा ने फिर से कांग्रेस पर अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस के साथ मिलकर देश को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। कांग्रेस की अगुवाई में यह नोटिस विपक्षी दलों और राज्यसभा के सभापति के बीच अशांत संबंधों के मद्देनजर आया है।
राज्यसभा की कार्यवाही को जिस तरह से वे बेहद पक्षपातपूर्ण तरीके से संचालित कर रहे हैं, उसके लिए भारत समूह से संबंधित सभी दलों के पास राज्यसभा के विद्वान माननीय सभापति के खिलाफ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। कांग्रेस महासचिव (प्रभारी, संचार) जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, भारतीय पार्टियों के लिए यह बहुत दर्दनाक फैसला रहा है, लेकिन संसदीय लोकतंत्र के हित में उन्हें यह कदम उठाना पड़ा है।
दूसरी तरफ विपक्ष के हंगामे के कारण मंगलवार को लोकसभा की कार्यवाही दोपहर बारह बजे तक स्थगित कर दी गई। सदन समवेत होते ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संसद एक पवित्र स्थल है। इस भवन की उच्च गरिमा और मर्यादा है। संसद में देश की आकांक्षाओं अपेक्षाओं को पूरा किया जाता है।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से संसद परिसर में जिस प्रकार के प्रदर्शन और नारेबाजी की जा रही है वह ना केवल अशोभनीय है बल्कि मर्यादा के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि प्रतिपक्ष के नेताओं का व्यवहार भी संसदीय मर्यादाओं के अनुरूप नहीं है। अध्यक्ष ने आग्रह किया कि सत्ता पक्ष हो या प्रतिपक्ष, सभी दल के लोग संसद की गरिमा मर्यादा परंपरा को बनाए रखें, इससे जनता में सही संदेश जाएगा।
उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल महत्वपूर्ण है, इसे चलने दें। उन्होंने प्रश्नकाल चलाने के लिए भारतीय जनता पार्टी के दिलीप सैकिया का नाम लिया लेकिन विपक्षी सदस्य हंगामा करने लगे। उसके बाद अध्यक्ष ने कहा कि आप सदन नहीं चलाना चाहते है और सदन की कार्यवाही बारह बजे तक स्थगित कर दी गई।