असम के सीएम न कहा बंगाल सहयोग करे तो बांग्लादेशी घुसपैठ रोक लेंगे
- हिंदू सीमा पार से नहीं आ रहे हैं यहां
- चाय बगानों के अवैध आवास पर सख्त
- आधार के लिए एनआरसी रसीद जरूरी
भूपेन गोस्वामी
गुवाहाटी : असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के मद्देनजर सीमावर्ती राज्यों को घुसपैठ की कोशिशों को विफल करने के लिए आपस में और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के साथ समन्वय करना चाहिए।
उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि असम और त्रिपुरा सरकारें पहले से ही बीएसएफ के साथ मिलकर काम कर रही हैं, लेकिन यह तभी एक सुनियोजित प्रयास होगा जब पश्चिम बंगाल भी घुसपैठियों की पहचान करना शुरू कर दे,
क्योंकि इन दो पूर्वोत्तर राज्यों से वापस भेजे गए लोग वहां से फिर से प्रवेश कर सकते हैं।शर्मा ने कहा, पिछले दो महीनों में, लगभग हर दिन हम अपने राज्य में विदेशियों को पकड़ रहे हैं। मेरा मानना है कि सीमा के खुले होने के कारण, बीएसएफ के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, कुछ लोग अवैध रूप से भारत में आ रहे हैं।
शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य सरकारों को अवैध प्रवासियों की सक्रियता से पहचान करनी होगी और असम तथा त्रिपुरा पहले से ही ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रयासों के बावजूद कुछ घुसपैठिये भारत के अन्य राज्यों में प्रवेश करने में सफल हो गए हैं, जैसा कि कुछ अवैध प्रवासियों की गिरफ्तारी से स्पष्ट है। वे अपने देश से और अधिक लोगों को लाने के लिए बांग्लादेश वापस गए थे।
उन्होंने दावा किया कि भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने का प्रयास करने वाले लोग हिंदू नहीं बल्कि रोहिंग्या हैं। शर्मा ने कहा, हिंदू-बंगालियों के आने की कोशिश के बारे में धारणा गलत है। रोहिंग्या घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे हैं।
राज्य सरकारों को सतर्क रहना चाहिए और बीएसएफ के साथ मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, असम और त्रिपुरा पहले से ही ऐसा कर रहे हैं। अगर पश्चिम बंगाल सरकार भी लोगों की पहचान करना शुरू कर दे तो यह एक सुनियोजित प्रयास होगा। शर्मा ने कहा कि सभी सीमावर्ती राज्यों को बीएसएफ को आक्रामक तरीके से सहयोग करना चाहिए, अन्यथा स्थिति बिगड़ सकती है।
उन्होंने बताया है कि बीते दो महीने में असम सीमा पर पकड़े गए सभी अवैध घुसपैठिए रोहिंग्या ही हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल से भी घुसपैठियों की पहचान में सहयोग करने को कहा है।सरमा ने बताया है कि उन्होंने कुछ ऐसे लोगों की पहचान भी की है जो भारत में घुसपैठ के बाद वापस बांग्लादेश जाते हैं और नए घुसपैठियों को लाते हैं। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश से आने वाले जिन घुसपैठियों को असम रोक रहा है, वह पश्चिम बंगाल के रास्ते फिर घुस सकते हैं।
असम में अब सभी नए आधार कार्ड आवेदकों को अपने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) आवेदन की रसीद नंबर जमा करनी होगी। यह घोषणा मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने की है। हालांकि,असम सरकार ने चाय बागानों की भूमि पर अवैध आवासों से निपटने के लिए कड़े कदम उठाए हैं।
इस कदम का उद्देश्य 31 दिसंबर, 2022 से पहले इन भूमियों पर रहने वाले स्वदेशी लोगों के हितों को संरक्षित करते हुए भूमि पर कब्जे को नियमित करना है। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बिप्लब शर्मा आयोग की रिपोर्ट ने इन नए नियमों के लिए आधार का काम किया है, जिसमें चाय बागान क्षेत्रों में अनधिकृत निर्माण के प्रति शून्य-सहिष्णुता की नीति पर जोर दिया गया है।
इन व्यक्तियों को मामूली 10 फीसद प्रीमियम का भुगतान करके भूमि प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये प्रावधान चाय बागान समुदाय के उन सदस्यों पर लागू नहीं होते जो अपनी जमीन पर घर बना रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्थानीय निवासियों पर नए दिशानिर्देशों का प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।