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मै लुट पुट गया, हुन की करां

 

मैं लुट पुट गया, यह कहने से क्या होगा अब। जिसे माल बटोरना था वह बटोर रहा है, जो मदद कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई करने वाला कोई भी नहीं है। अब सेबी का हाल ही देख लीजिए।

कोई और सरकार होती तो कमसे कम इस पर जांच का आदेश तो हो जाता पर यहां हाल है कि सब के सब मुंह के बल्लम चुप्पी साधे बैठे हैं। पता है कि जुबान से भूल से कोई बात निकली तो बात का बतंगड़ बन जाएगा।

जिन्हें बोलना चाहिए, वे भी मीडिया से बचते बचते फिर रहे हैं। अब मैडम माधवी बुच को ही ले लीजिए, पहले मैडम मीडिया के सामने आ जाया करती थी, जब से आरोप लगे हैं, सार्वजनिक समारोहों तक में जाने से परहेज कर रही हैं।

सच क्या है और झूठ क्या है, यह तो जांच से ही पता चलेगा। हमलोग हैं कि अरबों की हेराफेरी को छोड़कर तिरुपति के लड्डू को लेकर बहस में उलझे हैं। इसी को असली राजनीति कहते हैं कि एक मुद्दा परेशान करे तो पब्लिक को बहस के लिए दूसरा मुद्दा पकड़ा दो।

खैर इसके बाद भी हरियाणा का चुनाव परिणाम देश की दशा और दिशा तय करने वाला साबित हो सकता है। अगर यहां भाजपा हार गयी तो जाहिर है कि उनकी नाव से चूहे कूदकर भागने लगेंगे।

वैसे भी दोनों सहयोग यानी अपने नायडू भइया और नीतीश चचा मौके की ताड़ में बैठे हुए हैं। जरा सी चूक हुई तो पटखनी दे देंगे क्योंकि दोनों का अपना एजेंडा सिर्फ समर्थन के नाम पर अपने राज्य के लिए अधिक से अधिक माल लेना ही है।

उनकी अपनी कोई राष्ट्रीय राजनीति की महत्वाकांक्षा फिलहाल नहीं है। बेचारे मोदी जी और मोटा भाई अब भी वहां के चुनाव मे दामाद का राग अलाप रहे हैं। वे भूल रहे हैं कि पिछले दस साल से भाजपा की ही सरकार हरियाणा में थी।

जिसने राबर्ट वाड्रा के खिलाफ कुछ भी नहीं किया। दूसरी तरफ आम लोग यह मान रहे हैं कि पहले किसान, नौजवान और पहलवान, यह तीन ऐसे मुद्दे हैं, जिनका संतोषजनक उत्तर भाजपा के पास नहीं है।

हरियाणा की सीमा पर किसानों के लिए बैरिकेड्स लगाने का परिणाम क्या होगा, इसका एहसास भाजपा को निश्चित तौर पर होगा। बेरोजगार और मानव तस्करी का मुद्दा सर चढ़कर बोल रहा है। रही सही कसर महिला पहलवान विनेश फोगाट के साथ हुए अन्याय ने पूरी कर दी है।

इसी बात पर हाल ही एक चर्चित फिल्म डंकी का एक गीत याद आ रहा है। इस गीत को लिखा था स्वानंद किरकिरे और आईपी सिंह ने और संगीत में ढाला था प्रीतम ने। इसे आज के दौर के सुपरहिट गायक अरिजीत सिंह ने अपना स्वर दिया था। गीत के बोल कुछ इस तरह हैं।

मैं लुटेया पुटेया जाऊंगा तेरे इश्क में गोते खाऊंगा
ओह मन्नू मैं तो गया तेरे दिल में टेंट लगाऊंगा
हूं पिंड न वापस जाऊंगा ओह मन्नू मैं तो गया
बंदा जीता था खुल के तेरी गली में आया भूल के
जी चंगा भला सी मैं लुट पुट गया
ओह मैं तो लुट पुट गया लुट पुट गया
मैं तो गया ओह मैं तो लुट पुट गया
लुट पुट गया हुन की करां

ओह मैं तो लुट पुट गया लुट पुट गया
हुन की करां  ओह
मैं तो पहले सोता था रातों में
अब जाग जाग कर खाब तेरे देखूं, ऐसा क्यों
मैं तन्हा तन्हा रहता था

अब बेगानो से भी पूछू हाउ डू यू डू, ऐसा क्यों
एह दिल तन्हा इमोशन पुछदा है मैनु क्वेश्चन
की चंगा भला सी
क्यों लुट पुट गया ओह मैं तो लुट पुट गया
लुट पुट गया, मैं तो गया
ओह मैं तो लुट पुट गया
लुट पुट गया, हुन की करां

ओह मैं तो लुट पुट गया
लुट पुट गया मैं तो गया, ओह मैं तो

अब उसके बाद ही महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव का नंबर लगेगा। इन दोनों राज्यों में भी भाजपा के लिए अभी कोई सुखद संकेत नहीं है।

दोनों स्थानों पर तमाम हैवीवेट नेताओं को उतारने के क्रम में नरेंद्र मोदी उतने सक्रिय नहीं है।

जिसका साफ संकेत है कि अब भाजपा भी मान रही है कि सिर्फ मोदी के चेहरे के भरोसे अब चुनाव नहीं जीता जा सकता है। ऊपर से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को बदलने में हो रही चर्चा भी उन्हें टेंशन दे रही है। कोई दूसरे मिजाज का आ गया तो क्या होगा। झारखंड में तौ मइंया योजना ने भाजपा की नैय्या डूबाने की तैयारी कर दी है। भाजपा के नेता प्रचार में कारपेट बॉम्बिंग तो कर रहे हैं पर इस एक दांव की काट नहीं खोज पाये हैं। अब शिवराज सिंह चौहान और हिमंता बिस्वा सरमा की कोशिशों के बाद भी पार्टी की अपनी गुटबाजी का रोग दूर होता तो नहीं दिख रहा है। इसलिए आम कार्यकर्ता भी कह कहने को विवश हैं कि हून मैं कि करां।

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