Breaking News in Hindi

कांग्रेस और भाजपा दोनों ही गुटबाजी के नाव पर सवार

चुनाव करीब आने से दिल्ली दरबार का दौरा


  • चेहरा चमकाने की कवायद तेज हुई

  • अखबारों की कटिंग से हो रही दावेदारी

  • झामुमो और आजसू भी मौके की ताक में


राष्ट्रीय खबर

 

रांचीः जैसे जैसे विधानसभा चुनाव करीब आ रहा है, टिकट चाहने वालों की चाहत भी उसी अनुपात में बढ़ रही है। इसी वजह से भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों में आंतरिक गुटबाजी अब उभरने लगी है। स्थानीय स्तर पर फैसला अपने पक्ष में होने का भरोसा नहीं होने वाले दिल्ली दरबार का दौरा कर रहे हैं। कई समझदार लोग खुद नहीं जाकर अपने पक्ष में पैरवी करने वालों को दिल्ली के बड़े नेताओं के पास भेज रहे हैं। इसी वजह से झारखंड के विधानसभा चुनाव को लेकर इन दोनों ही दलों के बड़े नेताओँ की परेशानी और बढ़ती जा रही है।

सिर्फ रांची विधानसभा सीट की बात करें तो इस सीट के लिए दोनों ही दलों के पास चार से अधिक दावेदार है। इनलोगों ने पहले से ही सामाजिक कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हुए अखबारों की कटिंग भेजकर अपनी लोकप्रियता की दावेदारी की है। वैसे बताते चलें कि इनमें से कई लोग अचानक अमीर होने की वजह से सिर्फ चंदा देकर सामाजिक कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि बनते रहे हैं। इस बात को प्रदेश स्तर के नेता भी अच्छी तरह जान रहे हैं। भाजपा खेमा के अंदर से इस बात की चर्चा तेज है कि इस बार शायद चंद्रेश्वर प्रसाद सिंह चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसी चर्चा की वजह से दावेदारों की संख्या अचानक से बढ़ गयी है। दूसरी तरफ कांग्रेस की तरफ से भी पहले से जारी गुटबाजी की वजह से अलग अलग दावेदार अपना चेहरा चमका रहे हैं।

इसी क्रम में जातिगत समीकरणों को साधने का काम भी तेज हो गया है और किस विधानसभा में किस जाति के कितने मतदाता है, इस पर नफा नुकसान को तौला जा रहा है। झारखंड की राजनीति में यह जातिगत समीकरण बड़ी भूमिका निभाता है।

इस सच्चाई को भले ही नेता मंच से स्वीकार ना करें लेकिन अंदरखाने के सारे फैसले इसी आधार पर ही लिये जाते हैं। जानकार मानते हैं कि कुछ ऐसी ही हालत अब हटिया विधानसभा सीट की भी है, जहां वर्तमान  विधायक नवीन जयसवाल का पत्ता कटने की चर्चा को भाजपा के अंदर से ही लोग हवा दे रहे हैं। इसके पीछे का तर्क ईडी की जांच है और उनके व्यापारिक गतिविधियां रही हैं। दूसरी तरफ खुद नवीन जयसवाल के कई पुराने साथ अब उन्हें छोड़ चुके है। इसी देखकर दूसरे भी दंगल में दांव आजमाना चाह रहे हैं।

मजेदार स्थिति यह है कि बिना किसी शोर शराबे के झामुमो और आजसू भी अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं।

वास्तविकता के धरातल पर फिलहाल इन दोनों ही दलों की संगठनात्मक स्थिति मजबूत होने की वजह से बैनरों और पोस्टरों में दावेदारी की झलक मिल जाती है। लिहाजा अगर किसी वजह से एनडीए और इंडिया गठबंधन एक साथ चुनाव नहीं लड़ते, उस मौके की तलाश दोनों दलों को है। कुल मिलाकर कहें तो यह दोनों पार्टियां मौका देखकर चौका मारने की तैयारियों में जुटी है।

 

उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा।