भाजपा ने चुनाव आयोग का ध्यान गंभीर मुद्दे की तरफ खींचा
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उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला
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इतनी अधिक बढ़ोत्तरी सामान्य नहीं
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जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कार्रवाई हो
राष्ट्रीय खबर
रांचीः भारतीय जनता पार्टी, झारखंड प्रदेश की एक टीम द्वारा विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं की अप्रत्याशित वृद्धि के संदर्भ में गहन अध्ययन किया गया, जिसमें पाया गया कि विधानसभा चुनाव 2019 की मतदाता सूची की तुलना में लोकसभा चुनाव- 2024 की मतदाता सूची में अनेक बूथों पर 20 से 123 प्रतिशत तक मतदाताओं की अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, जो चिंताजनक है।
विज्ञप्ति में बताया गया है कि भाजपा टीम द्वारा 10 विधानसभा क्षेत्रों का गहन अध्ययन किया गया, जिसमें यह निष्कर्ष आया है कि 5 वर्षों में अमूमन 15 से 17 प्रतिशत तक की वृद्धि होती है।
इस संदर्भ में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा दिनांक 22 जनवरी, 2024 को मतदाता सूची के संबंध में जारी प्रेस नोट में भी इसी वृद्धि दर को स्वीकार किया गया है। जबकि हिन्दू बाहुल्य क्षेत्रों में यह वृद्धि 8 से 10 प्रतिशत तक रहती है लेकिन अल्पसंख्यक (विशेष कर मुस्लिम) क्षेत्रों में यह वृद्धि 20 से लेकर 123 प्रतिशत तक की है। मतदाता सूची का अध्ययन करने से यह स्पष्ट होता है कि अल्पसंख्यक समुदाय वाले कई बूथों पर 123 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है, वहीं बहुसंख्यक समाज के बूथों पर 5 से 10 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। यहां तक की कई हिन्दू बाहुल्य बूथों पर मतदाता घटे हैं। 10 विधानसभा क्षेत्रों के कई बूथों का उदाहरण है, जिसमें अप्रत्याशित रूप से वृद्धि दर्ज हुई है। यह तो एक बानगी है, पूरे झारखंड के अतिसंवेदनशील बूथों पर जांच कराई जाए तो एक सोची समझी योजना के तहत डेमोग्राफी बदलने का षडयंत्र है। इसमें कहीं न कहीं विदेशी घुसपैठियां, जो वर्तमान में राज्य सरकार के सह पर प्रशासनिक अफसरों पर दबाव डालकर मतदाता सूची में नाम अंकित कराया गया है।
इनके लिए अवैध रूप से अन्य जरुरी प्रमाण पत्र भी उपलब्ध कराया गया है, जिससे इनका नाम मतदाता सूची में दर्ज हो पाए। वैसे नाम जो मतदाता सूची में अवैध रूप से दर्ज कराये गए हैं, उनको आरपी एक्ट की धाराओं के आलोक में हटाया जाए।
विदित हो कि माननीय झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा एक मामले में दिनांक 03 जुलाई, 2024 के आदेश में कहा गया है कि गोड्डा, जामताड़ा, पाकुड़, दुमका और साहेबगंज में अवैध रूप से घुसपैठ किये हुए लोगों की जांच की जाए। इस आदेश की प्रति भी आवेदन के साथ संलग्न है।
जो मतदाता भारतीय नागरिकता की धाराओं से अच्छादित नहीं है, उनका नाम मतदाता सूची से हटाया जाए। इस संदर्भ में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा अपने निर्णय में स्पष्ट आदेश दिया गया है कि राज्य सरकार घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें उनके देश वापस भेजें।
मतदाता सूची का गहन अध्ययन करने पर यह बात सामने आया है कि राज्य सरकार के पदाधिकारियों द्वारा एक साजिश के तहत बहुसंख्यक समाज के बूथों पर मतदाताओं के नाम हटा दिया गया है, जो हजारों की संख्या में है। जिसके कारण ये मतदाता वोट डालने से वंचित रह गए, यह एक गंभीर मामला है।
वैसे मतदाताओं की भी बड़ी संख्या है, जो वर्षों से वोट डालते आ रहे हैं, परंतु लोकसभा चुनाव-2024 में वोट नहीं डाल सके, क्योंकि मतदाता सूची में उनका नाम नहीं था। जबकि उनके पास आज भी मतदाता पहचान पत्र उपलब्ध है, यह भी जांच का विषय है।