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रफ्ता रफ्ता देखो आंख मेरी लड़ी है

कभी बिछड़ गये थे तो दोनों तरफ से काफी कुछ कहा गया पर ईश्वर को धन्यवाद कि समय से पहले सब कुछ फिर से नार्मल हो गया था। अगर झगड़ा बना ही रहता तो इस चुनाव के बाद सरकार कैसे बनती और अपने मोदी जी तीसरी बार शपथ कैसे लेते। खैर जो होता है भले के लिए ही होता है। अब बहुमत का तराजू कुछ ऐसे लटका हुआ है कि जरा सी चूक हुई तो दूसरी तरफ झूक जाएगा।

प्रचंड बहुमत के दावों के बीच अब मोदी की गारंटी की चर्चा नहीं हो रही है। पहले लोकसभा का पिक्चर साफ हो जाए तो आगे कोई बात हो। जो दो मजबूत सहयोगी है, उनका अपना पॉलिटिकल एजेंडा, मोदी जी के एजेंडा से मेल नहीं खाता। दोनों के सामने फिलहाल अपने अपने राज्य में अपनी पकड़ मजबूत रखने की असली चुनौती है। इसलिए वे भी अपनी प्राथमिकता को त्याग कर मोदी जी के एजेंडे को आगे बढ़ाने का काम करेंगे, इसकी बहुत कम उम्मीद है।

दूसरी तरफ की बात करें तो संसद में इस बार कई ऐसे चेहरे दोबारा नजर आयेंगे, जिन्हें देखते ही सत्ता पक्ष को बुखार आ जाता है। खास कर राहुल गांधी और महुआ मोइत्रा ऐसे दो चेहरे हैं, जिन्हें सदन से बाहर निकालने के लिए बहुमत के अध्यक्ष ओम बिड़ला का सहारा लेना पड़ा था। इस बार लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर कौन होगा, यह लाख नहीं करोड़ टके का सवाल बना हुआ है। मसला सिर्फ इतना ही नहीं है बल्कि कई राज्यों के विधानसभा चुनाव भी अब करीब आ रहे हैं। जिस राम के भरोसे सारा खेल चालू किया गया था। उदघाटन के कार्यक्रम की वजह से लोकसभा चुनाव के एलान की तारीख बढ़ा दी गयी थी, वह भी काम नही आया। अब अयोध्या को कोसने से क्या होगा, ट्रेन तो प्लेटफॉर्म से निकल चुकी है।

इसी बात पर फिल्म कहानी किस्मत की का यह गाना याद आ रहा है। इस गीत को लिखा था राजिंदर कृष्ण ने और संगीत में ढाला था कल्याण जी आनंद जी ने। इसे किशोर कुमार के साथ फिल्म अभिनेत्री रेखा ने अपना स्वर दिया था। गीत के बोल कुछ इस तरह से हैं।

अरे सुनो सुनो, ओ भाइयों, बहनों

अरे मगन भाई, ओ छगन भाई, ओ सामालो रे दामालो

ओ सुनो सुनो, ओ राघोबा, ओ धोंडीबा

ओ कर्नल सिंह ओ जर्नैल सिंह

ओ तुस्सी भी सुनो पाप्पे

अरे रफ़्ता रफ़्ता देखो आँख मेरी लड़ी है (२)

आँख जिससे लड़ी है वो पास मेरे खड़ी है

मुझे जानती है जबसे ये मरती है तबसे

मैं भी इससे चोरी छुपे चाहता हूँ तबसे

दिल में ये मेरे बस गई !

ऐ कुड़ी फ़ँस गई !!

ये तुम क्या कह रहे हो ? मैने ऐसा तो नहीं कहा था

हे हे !! अरे रफ़्ता रफ़्ता देखो आँख मेरी लड़ी है

आँख जिससे लड़ी है वो पास मेरे खड़ी है

मुझे प्यार सिखाया किसने? इसने! (२)

मुझे प्यार सिखाके दीवाना बनाया किसने? इसने!

ये प्यार का कमाल है शराब का सुरूर नहीं

होना था सो हो गया किसीका भी क़ुसूर नहीं

हाथों में मेरे रस गई !!

ए कुड़ी फ़ँस गई !!

ओह्फ़ो! ये तुम क्या कह रहे हो? मैने ऐसा तो नहीं कहा था!!

कि: हममममम!! अरे रफ़्ता …

अरे पहली शरारत किसने की? इसने की!  (२)

अरे पहली शरारत करके मोहब्बत किसने की?

इसने की!!

इसको पसंद मैं, मुझे ये पसंद है

दिल मिल जाते ???? बातें यहाँ बंद हैं

बात है ये असली!!

ओ पांडोबा, पोरगी फ़सली रे फ़सली!

पागल हो गए हो क्या? मैने ऐसा तो नहीं कहा था!

आगये! ज़वाल ये लाजो नको (४)

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल का अलग टेंशन बना हुआ है। निचली अदालत ने ईडी की तमाम दलीलों को नकारते हुए उन्हें जमानत दे दी तो भागे भागे हाई कोर्ट पहुंचे। अब इस कथित घोटाले का सबूत दरअसल क्या है, यह जनता की समझ से तो परे है। ईडी की बेचैनी यह बता रही है कि सरकार में भी कोई तो है जो इस अदालती फैसले से परेशान हुआ है। इसके बाद आगे हेमंत सोरेन के अलावा इसी एक पीएमएलए कानून में जेल में बंद किये गये दूसरे नेताओं का नंबर है। सबूत नहीं दिखा पाये तो वे भी बाहर आयेंगे और छाती पर मूंग दलेंगे।

असली टेंशन को साथियों को लेकर है। पता नहीं कब पलटी मार देंगे। ऐसा हुआ तो जिन फाइलों पर कुंडली मारकर यह सरकार बैठी हुई है, वे फाइलें सतह पर आ जाएंगी और यह अच्छा नहीं होगा, यह सभी जानते हैं। राफेल विमान से लेकर पेगासूस और बड़े कर्जदारों की कर्जमाफी से लेकर सरकारी संपत्ति निजी हाथों में कौड़ी के भाव सौंप देने का मामला भी परेशान करेगा। इसलिए ए कुड़ी फ़ँस गई चलती रहे।

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