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दिल्ली में तापमान 52.3 डिग्री पर पहुंचा

जलवायु परिवर्तन का खतरा अब भारतवर्ष में भी दिखा


  • भारत में अब तक का सबसे अधिक तापमान

  • गर्मी से बिजली आपूर्ति व्यवस्था पर परेशानी

  • रेगिस्तान की तरफ से आ रही गर्म हवा के झोंके


राष्ट्रीय खबर

नईदिल्लीः दुनिया में जलवायु परिवर्तन के बारे में वैज्ञानिक पहले ही आगाह कर चुके थे। यह भी पहले ही बता दिया था कि इस बार एशिया के भारत उपमहाद्वीप इलाके में भी भीषण गर्मी पड़ेगी। यह आशंका आज सच साबित हो गयी। दिल्ली के एक मौसम कार्यालय ने आज देश में अब तक का सबसे अधिक तापमान 52.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया है।

भारत में आज अब तक का सबसे अधिक तापमान 52.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। दिल्ली के मुंगेशपुर में तापमान निगरानी स्टेशन ने दोपहर 2.30 बजे यह आंकड़ा दर्ज किया। बढ़ते तापमान के पीछे का कारण बताते हुए, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के क्षेत्रीय प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि शहर के बाहरी इलाके राजस्थान से आने वाली गर्म हवाओं की चपेट में सबसे पहले आते हैं।

उन्होंने कहा, दिल्ली के कुछ हिस्से इन गर्म हवाओं के जल्दी आने के लिए विशेष रूप से अतिसंवेदनशील हैं, जो पहले से ही खराब मौसम को और खराब कर देते हैं। मुंगेशपुर, नरेला और नजफगढ़ जैसे इलाके इन गर्म हवाओं का सबसे पहले सामना करते हैं। इसके पहले भी दिल्ली और आस पास के इलाकों का अधिकतम तापमान लगातार ऊपर जाने की जानकारी मिल चुकी थी। तापमान रिकॉर्ड तोड़ गर्मी के दूसरे दिन उम्मीद से नौ डिग्री अधिक था, और 2002 के 49.2 डिग्री सेल्सियस के रिकॉर्ड से पारा एक डिग्री अधिक हो गया। बुधवार शाम को दिल्ली में भी कुछ देर के लिए बारिश हुई, जिससे उमस का स्तर बढ़ने की संभावना है।

मौसम विज्ञान विभाग ने दिल्ली के लिए रेड अलर्ट हेल्थ नोटिस जारी किया है, जिसकी अनुमानित आबादी 30 मिलियन से ज़्यादा है। अलर्ट में चेतावनी दी गई है कि सभी उम्र के लोगों में गर्मी से होने वाली बीमारी और हीट स्ट्रोक होने की बहुत ज़्यादा संभावना है और कमज़ोर लोगों के लिए अत्यधिक देखभाल की ज़रूरत है।अन्य क्षेत्र जहाँ अत्यधिक तापमान दर्ज किया गया, वे दोनों रेगिस्तानी राज्य राजस्थान में हैं – फलौदी में 51 डिग्री सेल्सियस और 50.8 डिग्री सेल्सियस। हरियाणा के सिरसा में 50.3 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया।

अरब सागर से आने वाली नम हवाओं के कारण आज दक्षिणी राजस्थान के जिलों – बाड़मेर, जोधपुर, उदयपुर, सिरोही और जालौर – में 4 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट दर्ज की गई है, जो उत्तर-पश्चिम भारत में गर्मी की लहर में कमी आने का संकेत है। संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान डेटा, जो भविष्य के मौसम का पूर्वानुमान लगाने के लिए वर्तमान मौसम अवलोकनों को संसाधित करने के लिए कंप्यूटर मॉडल का उपयोग करता है, का मानना ​​है कि यह घटती प्रवृत्ति उत्तर की ओर बढ़ेगी, जिससे 30 मई से गर्मी की लहर की स्थिति से धीरे-धीरे राहत मिलेगी। साथ ही, गुरुवार से बंगाल की खाड़ी से आने वाली नम हवाओं के कारण उत्तर प्रदेश में अधिकतम तापमान में धीरे-धीरे गिरावट आने की संभावना है।

भारत में भी गर्मी के मौसम में गर्मी का मौसम कोई नई बात नहीं है, लेकिन सालों के वैज्ञानिक शोध में पाया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण हीटवेव लंबी, ज़्यादा बार-बार और ज़्यादा तीव्र हो रही हैं। बिजली विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में हीटवेव के बीच 8,302 मेगावाट की अब तक की सबसे ज़्यादा बिजली की मांग दर्ज की गई, क्योंकि ज़्यादा से ज़्यादा निवासियों ने बिजली की खपत करने वाले एयर-कंडीशनिंग चालू कर दी।

दूसरी तरफ बिजली आपूर्ति पर बढ़े दबाव की वजह से पूरे देश में लगभग सभी स्थानों पर लोडशेडिंग की नौबत आयी। अनेक स्थानों पर बिजली आपूर्ति करने वाले पावर ट्रांसफार्मर लगातार गर्म होने की वजह से ट्रिप कर रहे हैं। कई स्थानों पर तपते ट्रांसफार्मरों को ठंडा करने के लिए कूलरो का सहारा लिया जा रहा है। पावर कॉरपोरेशन के बड़ी तादाद में बिजली ट्रांसफार्मर भी गर्म होकर ट्रिप होना शुरू हो गए है।

बिजली ट्रांसफार्मरो को ट्रिप होने से बचाने के लिए उन पर पानी डालकर के ठंडा करने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है और कूलर आदि की भी व्यवस्था की गयी है ताकि लोगों को निर्बाध विद्युत आपूर्ति की जा सके। बिजली विभाग ने बताया कि गर्मियों के मौसम में बिजली की खपत तेजी के साथ होती है। ऐसे में बिजली की खपत का असर सीधे ट्रांसफार्मर पर पड़ता है जिससे वह खराब हो सकता है। ऐसे में ट्रांसफार्मर को बचाने के लिए उसके सामने कूलरो को भी लगाया गया है जिससे ट्रांसफार्मर ओवरहीट ना हो सके। विभाग के लोगों का कहना है कि गर्मी की वजह से दिनभर बिजली के तार और ट्रांसफार्मर में आग लगने की घटनाएं घट रही है।

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