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नीतीश कुमार भाजपा के साथ गये, फिर सीएम बने

बिहार के राजनीतिक नाटक का अपेक्षित पटाक्षेप हुआ


  • अब भाजपा को दो डिप्टी सीएम होंगे

  • नये चेहरों को आगे बढ़ाया भाजपा ने

  • गृह विभाग पर भाजपा का नियंत्रण रहेगा


राष्ट्रीय खबर

पटना: पिछले एक सप्ताह से जारी उठा पटक का राज अब औपचारिक तौर पर खुल गया। इस बार की उम्मीद पहले से ही की जा रही थी कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर से भाजपा के साथ जा सकते हैंं।

ऐसा ही हुआ और सारे समीकरण सही होने के बाद उन्होंने औपचारिक तौर पर इस गठबंधन के नेता के तौर पर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का एलान कर दिया।

उस एलान के वक्त भी श्री कुमार ने यह राज नहीं खोला था कि वह वाकई भारतीय जनता पार्टी के साथ जा रहे हैं। कुछ देर बाद यह स्थिति भी स्पष्ट हो गयी। पता चला है कि नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के पहले भाजपा विधायकों का समर्थन पत्र मांगा था, जिस पर भाजपा तैयार नहीं हुई।

भाजपा ने शर्त रखी कि पहले वह इस्तीफा दें उसके तुरंत बाद उन्हें यह समर्थन पत्र सौंप दिया जाएगा। अंदरखाने की चर्चा है कि दरअसल पहले चोट खा चुकी भाजपा यह सुनिश्चित करना चाहती थी कि नीतीश कुमार उनके पाले में आयेंगे। पहले समर्थन पत्र देने पर वह महागठबंधन ते नेताओं को वह पत्र दिखाकर मोल भाव भी कर सकते थे।

नीतीश कुमार ने रविवार को जदयू के विधायकों, सांसदों और वरिष्ठ नेताओं के साथ मुख्यमंत्री आवास में बैठक में इस्तीफा देने के निर्णय की जानकारी दी। इसके बाद वह अपने वरिष्ठ मंत्रिमंडल सहयोगी विजेंद्र प्रसाद यादव के साथ राजभवन जाकर राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर को इस्तीफा सौंप दिया।

राज्यपाल से मिलकर लौटने के बाद श्री कुमार ने राजभवन के बाहर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सबकी राय सुनने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और इसके साथ ही उनके नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार अब अस्तित्व में नहीं रह गई है ।

उन्होंने कहा कि महागठबंधन की सरकार करीब डेढ़ साल तक चली लेकिन अब साथ रहना मुश्किल हो गया था । सभी ओर से और पार्टी के सहयोगियों से भी सुझाव मिल रहे थे कि महागठबंधन से अलग हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब राज्य में नए गठबंधन की सरकार बनेगी ।

इसके घटक दलों के नेता आज ही मिलेंगे और उसके बाद जल्द ही नई सरकार के संबंध में निर्णय लिया जाएगा । श्री कुमार से जब पत्रकारों ने उनपर राजनीतिक अवसरवादी होने के आरोपों पर सवाल किया तब वह सीधा जवाब देने से बचते रहे और केवल इतना कहा कि गठबंधन में चीजें ठीक नहीं चल रही थीं । इसके कारण यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा ।

इसके बाद नीतीश कुमार ने करीब दो घंटे के अंदर ही भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया । श्री कुमार भाजपा विधानमंडल दल के नेता सम्राट चौधरी और विधानसभा में विधायक दल के नेता विजय सिन्हा, जो नई सरकार में उपमुख्यमंत्री की जिम्मेवारी संभालेंगे, के साथ राजभवन जाकर राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश करते हुए समर्थन का पत्र सौंपा ।

उनके साथ भाजपा के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े, जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के वरिष्ठ नेता विजय कुमार चौधरी, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतनराम मांझी और निर्दलीय विधायक सुमित कुमार सिंह भी मौजूद थे । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनने वाली नई सरकार का शाम पांच बजे राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह होना तय हो गया था और वह बतौर सीएम शपथ ले चुके है।

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, नई सरकार में मंत्रियों के नाम और उन्हें मिलने वाले विभाग भी तय हो गए हैं । पहली बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गृह विभाग की जिम्मेवारी छोड़ने को राजी हो गए हैं । इस बार गृह विभाग की जिम्मेवारी भाजपा के मंत्री को दी जाएगी।

भाजपा ने सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को उप मुख्यमंत्री बनाकर सबको चौंका भी दिया। माना जा रहा था कि कार्यवाहक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बेहतर तालमेल बनाये रखने में माहिर भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी उप मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे हैं। साथ ही भाजपा कोटे से पूर्व में बिहार के उप मुखमंत्री रह चुकी श्रीमती रेणु देवी को एक बार फिर से यह जिम्मेवारी सौंपी जा सकती है।

लेकिन, भाजपा ने अपने चिर-परिचित अंदाज में एक बार फिर आम धारणा को गलत साबित करते हुए अपने ऐसे दो सिपाहियों श्री सम्राट चौधरी और श्री विजय सिन्हा को उप मुख्यमंत्री पद की जिम्मेवारी सौंपी है, जिसकी राजनीतिक गलियारे में कोई खास चर्चा तक नहीं थी। प्रदेश में पिछले दस दिनों से जारी राजनीतिक घमासान के बीच रविवार सुबह भाजपा की बैठक के बाद उप मुख्यमंत्री पद की जिम्मेवारी श्री चौधरी और श्री सिन्हा को दिए जाने को लेकर तस्वीर साफ हो गई।

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