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नईदिल्लीः केंद्र सरकार ने अखबार में लपेटी झालमुड़ी, कचौड़ी की बिक्री रोकने का आदेश दिया है। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के मुताबिक खाद्य पदार्थों की पैकिंग, भंडारण और परोसने के लिए अखबार का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए।
ट्रेन में सफर के दौरान कागज के ठोंगे में झालमुड़ी खाने का मजा ही अलग है। समोसा से लेकर जलेबी और कचौरी भी सड़क किनारे इसी तरह अखबारी कागज के टुकड़ों पर परोसे जाते हैं। दरअसल जांच में पाया गया है कि छपाई के बाद अखबारी कागज में जो स्याही लगी होती है, वह परोक्ष तौर पर इंसानी स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने हाल ही में खाद्य पदार्थों की पैकिंग, भंडारण और परोसने के लिए अखबार के इस्तेमाल को रोकने का निर्देश जारी किया है। अखबार में इस्तेमाल की जाने वाली स्याही में कुछ रसायन होते हैं, जो विभिन्न बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
अखबारों में इस्तेमाल होने वाली स्याही में कई जैव-सक्रिय पदार्थ होते हैं। जो अखबार या ठोंगा में लपेटे हुए भोजन से आसानी से संक्रमित हो जाता है और शरीर पर विषैला प्रभाव डालता है। फिर, इस स्याही में इस्तेमाल किया जाने वाले रसायन शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है।
एफएसएसआई द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि अखबार के रद्दी में खाना रखना बहुत अस्वास्थ्यकर है। साफ-सुथरे, स्वच्छ तरीके से पकाए जाने पर भी अखबार में लपेटने से फूड पॉइजनिंग हो सकती है। अखबार की छपाई की स्याही में इस्तेमाल होने वाले रंग, रंगद्रव्य, संरक्षक, रसायन, रोगजनक सूक्ष्म जीव निगलने पर गंभीर शारीरिक समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
कागज में मौजूद रसायन शरीर में चले जाने पर पाचन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं। नतीजा यह होता है कि अखबार में खाना लपेटकर खाने की आदत से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। एफएसएसएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जी कमला वर्धन राव ने कहा, देश भर के उपभोक्ताओं और खाद्य विक्रेताओं को खाद्य पदार्थों को परोसने और भंडारण के लिए अखबार का उपयोग तुरंत बंद कर देना चाहिए। कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के खतरे से बचने के लिए ये फैसला लिया गया है।